उत्तर प्रदेश पुलिस की फ़ाइलों में फरार बने रहने वाले अपराधियों को मध्य प्रदेश पुलिस आखिर कैसे ‘बेहद आसानी’ से ‘पकड़’ लेती है, इस सवाल की गूंज तेज हो गई है। मध्य प्रदेश कांग्रेस तो उंगलियां उठाते हुए एमपी पुलिस के साथ दोनों सूबों की बीजेपी सरकारों को भी कठघरे में खड़ा कर रही है।
बता दें, उत्तर प्रदेश के भदोही से बाहुबली विधायक विजय मिश्रा यूपी पुलिस की फ़ाइलों में फरार हैं और फरारी के बीच ही मिश्रा को शुक्रवार को मध्य प्रदेश की पुलिस ने पकड़ लिया। यूपी में मिश्रा पर 73 मामले दर्ज हैं। ज्यादातर मामले संगीन अपराध वाले हैं। हाल ही में यूपी पुलिस को एक कंपनी पर कब्जा जमाने संबंधी रिपोर्ट मिली है। मिश्रा के अलावा उनकी पत्नी और बेटे पर भी इस वारदात में लिप्त होने के आरोप हैं।
यहां बता दें, विजय मिश्रा चौथी बार के विधायक हैं। तीन बार समाजवादी पार्टी (एसपी) से विधायक रहे और पिछला चुनाव उन्होंने निषाद पार्टी के टिकट पर जीता है। भदोही समेत यूपी के अनेक जिलों में विजय मिश्रा का बड़ा रूतबा है। एसपी के दौर में तो अच्छे-अच्छे लोग उनसे थर्राया करते थे। पार्टी से झंझट होने पर उन्होंने एसपी छोड़कर निषाद पार्टी का दामन थाम लिया था।
बहरहाल, मध्य प्रदेश में विजय मिश्रा का पकड़ा जाना आमजन के गले नहीं उतर रहा है। राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में यह मामला चर्चा मे है।
सवाल उठ रहा है कि एमपी पुलिस को यूपी पुलिस के फरार अपराधी इतनी आसानी से आखिर मिल कैसे जाते हैं? मिलते भी हैं तो शांति के साथ पुलिस के सामने वे नतमस्तक कैसे हो जाते हैं?
दरअसल, राज्य के लोग यूपी के गैंगस्टर विकास दुबे के मध्य प्रदेश में ‘पकड़े’ जाने से लेकर विकास के एनकाउंटर तक के नाटकीय घटनाक्रम को अभी भूले नहीं हैं।
हमलवार हुई प्रदेश कांग्रेस
यूपी के बाहुबली विधायक विजय मिश्रा को उज्जैन रेंज के आगर मालवा में दो सहयोगियों के साथ ‘पकड़े’ जाने के बाद राजनीति भी गर्मा गई। प्रदेश कांग्रेस ने प्रदेश की पुलिस और शिवराज सरकार पर निशाना साधा है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख केके मिश्रा ने तमाम सवाल उठाते हुए कहा है, ‘किसी मुसलिम अपराधी के सामने आते ही मध्य प्रदेश की पुलिस और सरकार ऐसे तत्व को आतंकवाद से जोड़ देती है। जबकि यूपी पुलिस में मोस्ट वांटेड और बेहद गंभीर किस्म के अपराध करने वाले तत्वों को सुनियोजित तरीके से पकड़कर आवभगत करती है और बिना केस दर्ज किए ही यूपी पुलिस को सौंप देती है।’
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कमलनाथ सरकार में छेड़े गए अभियान के बाद आपराधिक प्रवृत्ति के लोग मध्य प्रदेश छोड़कर भाग खड़े हुए थे। मगर शिवराज सरकार की वापसी के बाद ये तत्व ना केवल लौट आये हैं, बल्कि फल-फूल भी रहे हैं। इनके अलावा अब यूपी समेत दूसरे राज्यों के अपराधी भी सुविधानुसार मध्य प्रदेश राज्य, पुलिस और राजनीतिज्ञों का उपयोग कर रहे हैं।
केके मिश्रा, मीडिया प्रमुख, मध्य प्रदेश कांग्रेस
मिश्रा ने कहा, ‘यूपी के आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को मध्य प्रदेश में संरक्षण देने और ऐसे लोगों के तथाकथित गाॅडफादर बने बैठे चेहरों को राज्य की खुफिया पुलिस और मध्य प्रदेश में पदस्थ केन्द्र सरकार की गुप्तचर एजेंसियों को बेनकाब करना चाहिए।’
‘सत्य हिन्दी’ ने विजय मिश्रा के पकड़े जाने के बाद कांग्रेस द्वारा उठाये गये सवालों और लगाये गये आरोपों को लेकर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन वे प्रतिक्रिया के लिए उपलब्ध नहीं हो पाये।
एमपी में ही ‘धरा’ गया था दुबे
मध्य प्रदेश की पुलिस ने बीती 9 जुलाई को बेहद आसानी के साथ कानपुर के उस गैंगस्टर विकास दुबे को ‘धरा’ था, जिसने यूपी पुलिस के साथ-साथ योगी सरकार की नाक में भी दम कर रखा था। विकास दुबे के ख़िलाफ़ बड़ी संख्या में यूपी पुलिस में केस दर्ज थे। हत्या और हत्या के प्रयास से लेकर तमाम संगीन आपराधिक वारदातों का विकास आरोपी रहा था।
एमपी के उज्जैन में पकड़ा गया था विकास दुबे।
दुबे ने अपने साथियों के साथ मिलकर बिकरू गांव में 8 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया था और घटना के बाद वह फरार हो गया था। यूपी पुलिस उसे खोजती रही थी और वह एमपी पुलिस को आसानी से उज्जैन मे मिल गया था। बाद में उसे यूपी पुलिस को सौंप दिया गया और कानपुर पहुंचने से ठीक पहले एक एनकाउंटर में मारा गया था।
इसे संयोग कहा जाए या कुछ और, क्योंकि भदोही विधायक विजय मिश्रा भी यूपी से भागने के बाद मध्य प्रदेश के उज्जैन पहुंचे। महाकाल के दर्शन किये और कथित तौर पर यूपी वापस लौटते वक्त आगर मालवा की पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया।
एमपी पुलिस ने विजय मिश्रा को पकड़े जाने की सूचना यूपी पुलिस को दी और भदोही पुलिस विजय मिश्रा को लेकर शनिवार को वापस रवाना हो गई।
परिजनों ने जताई थी आशंका
यूपी पुलिस के मध्य प्रदेश पहुंचने से पहले परिजनों ने विजय मिश्रा की जान को ख़तरा होने की आशंका जताई थी। विजय मिश्रा की बेटी ने शुक्रवार को मीडिया के माध्यम से अपील की थी कि यूपी पुलिस उनके पिता को सुरक्षित ढंग से लेकर आये और एनकाउंटर जैसी घटना उनके पिता के साथ नहीं होनी चाहिए।’ विजय मिश्रा की पत्नी ने भी यूपी पुलिस से ऐसी ही अपील की थी। यूपी पुलिस ने मिश्रा के परिजनों की एनकाउंटर वाली आशंका को निराधार करार दिया था।
विधायक ने भी जताया था अंदेशा
भदोही विधायक ने भी कुछ दिन पहले एक वीडियो संदेश जारी कर स्वयं की हत्या की आशंका जताई थी। मिश्रा ने कहा था कि उनकी गिरफ्तारी हो सकती है और कभी भी हत्या हो सकती है। विधायक का कहना था कि भदोही के गोपीगंज थाने की पुलिस ने उनके परिवार का रहना-खाना दुश्वार कर दिया है और यह सब आने वाले पंचायत चुनावों को लेकर हो रहा है।