+
इंदौर: अक्षय कांति बम पर बीजेपी में ही घमासान; अब नोटा को वोट पड़ेंगे?

इंदौर: अक्षय कांति बम पर बीजेपी में ही घमासान; अब नोटा को वोट पड़ेंगे?

इंदौर से कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम के आख़िरी क्षण में नाम वापस लेने पर क्या बीजेपी को अब बड़ा नुक़सान हो सकता है? सुमित्रा महाजन ने क्यों कहा कि 'लोग कह रहे हैं, वे अब नोटा को वोट डालेंगे'?

इंदौर लोकसभा सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी अक्षय कांति बम को तोड़ने और पार्टी ज्वाइन कराने को लेकर बीजेपी में जबरस्त घमासान मचा हुआ है। लंबे समय के बाद इस मसले पर लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष एवं इंदौर की 9 बार की सांसद सुमित्रा महाजन ‘ताई’ और भाजपा के बड़े नेता कैलाश विजयवर्गीय (भाई) में ‘ठन’ गई है। विजयवर्गीय ने तो बम से जुड़े बयानों को लेकर ताई की अपरोक्ष तरीके से निन्दा तक कर डाली है।

बीते मंगलवार 30 अप्रैल को कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने अपना नाम वापस ले लिया था। घटनाक्रम से कांग्रेस में हड़कंप मच गया था। पर्चा वापस लेने के लिए बम कैलाश विजयवर्गीय के सिपहासालार एवं इंदौर के विधायक रमेश मैंदोला के साथ कलेक्टोरेट पहुंचे थे। नाम वापस लेने के बाद कलेक्टोरेट से भाजपा के दफ्तर तक जिस गाड़ी में सवार होकर बम निकले थे, उसमें कैलाश विजयवर्गीय भी बैठे नजर आये थे। मसला यहीं नहीं रुका था। विजयवर्गीय ने एक ट्वीट करते हुए बम का स्वागत प्रधानमंत्री, केन्द्रीय गृह मंत्री और पार्टी अध्यक्ष नड्डा की ओर से भी किया था। यह पूरा मामला बीते मंगलवार से ही सुर्खियों में बना हुआ है।

कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाकर घेर लिया है। कांग्रेस ने इंदौर में प्रदर्शन किए हैं। राज्य की 17 सीटों पर वोटिंग होना है। इन 17 सीटों में इंदौर सहित 9 लोकसभा क्षेत्रों में 7 मई को वोट डाले जाने हैं। बची हुई 8 सीटों पर 13 मई को वोटिंग होगी।

कांग्रेस लगातार वोटरों से अपील कर रही है कि भाजपा की बेईमानी का जवाब खुलकर दे। नोटा का बटन दबाये। दरअसल देश के सबसे स्वच्छ शहरों का लगातार पहला ईनाम जीतने वाले इंदौर की जनता को राजनीति की कथित गंदगी भरा भाजपा का ‘खेल’ रास नहीं आया है। बीते चार-पांच दिनों से जनता के बीच यही चर्चा है कि बेहद सेफ सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने आखिर यह क़दम क्यों उठा लिया है? वोटरों को दो राष्ट्रीय दलों में से एक को चुनने का अवसर आखिर क्यों देना मुनासिब नहीं समझा गया है?

कांग्रेस और वोटरों के मन की बात को सुमित्रा महाजन ने हवा दे दी है। सुमित्रा महाजन ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में खुलकर कहा है, ‘अक्षय कांति बम को भाजपा में शामिल कर लिए जाने के बाद लगातार फोन आ रहे हैं। लोग सवाल पूछ रहे हैं। कह रहे हैं, वे अब नोटा को वोट डालेंगे।’

ताई के बयान के बाद रार तेज हो गई है। मध्य प्रदेश भाजपा के नेताओं की ओर से इस मामले में तर्कसंगत जवाब नहीं आया है। ताई के बयान के बाद कांग्रेस को अलबत्ता बल मिल गया है।

चार दिनों से मचे घमासान के बाद रविवार को मोहन यादव सरकार के मंत्री और भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय सामने आये। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस की। प्रेस कांफ्रेंस में बम ने अपने विचार रखे।

कैलाश विजयवर्गीय की सफाई और ताई को दिया गया ‘जवाब’ पूरे विवाद को बढ़ाता नज़र आ रहा है। प्रेस कांफ्रेंस के आरंभ में ही कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, ‘ताई वरिष्ठ नेता हैं। उनसे जुड़े सवालों का कोई जवाब वे नहीं देंगे।’ इसके साथ ही विजयवर्गीय ने यह भी कहा, ‘हमने अक्षय पर दबाव नहीं डाला। वे मर्जी से भाजपा में आये। कांग्रेस को छोड़ा।’

विजयवर्गीय यहीं नहीं रुके और उन्होंने कहा, ‘लोकसभा चुनाव में इंदौर सीट पर 14 उम्मीदवार हैं, लेकिन कांग्रेस नोटा की मांग कर रही है। मैं उनके इस क़दम को निंदा करता हूँ। हमारी कोशिश है कि अधिकतम मतदान हो, हमारा हर बूथ पर नेटवर्क है। जनता से आग्रह है कि अपने वोट का इस्तेमाल ज़रूर करें, यह मोदी को तीसरी बार पीएम बनाएगा।’

विजयवर्गीय द्वारा कांग्रेस की निन्दा को ताई से भी जोड़ा जा रहा है। भाजपा का नाराज़ धड़ा मान रहा है, विजयवर्गीय ने पार्टी फोरम पर अपनी ग़लती स्वीकारने की बजाय अपरोक्ष तौर पर ताई (नोटा वाली बात कही थी) की भी निन्दा कर दी है। इंदौर में 27 लाख वोटर हैं। इंदौर भाजपा का गढ़ है। इस सीट को 1989 से भाजपा लगातार जीत रही है। सीट से सुमित्रा महाजन 9 बार लोकसभा पहुंची हैं। साल 2019 का चुनाव शंकर ललवानी ने देश भर में बड़ी जीतों में इंदौर को जीतकर दर्ज किया था।

कैलाश विजयवर्गीय एंड कंपनी के क़दम के बाद से भाजपा का बहुत बड़ा धड़ा नाराज है। यह धड़ा ललवानी की सबसे बड़ी जीत के लिए जमकर मेहनत कर रहा था। अब उसे लग रहा है कि कांग्रेस के हटने के बाद पिछले चुनाव जैसी जीत भी इंदौर में भाजपा की हो पायेगी या नहीं?

अक्षय कांति ने खुद बताया ईमानदार

प्रेस कांफ्रेंस में अक्षय कांति बम ने मीडिया से खुलकर चर्चा करते हुए तमाम सफाई दी। उन्होंने कहा, ‘नाम वापसी के आखिरी दिन मैंने 12 बजे कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में नामांकन वापस लिया। कांग्रेस को अपना प्रत्याशी घोषित करने के लिए 3 घंटे थे, लेकिन कांग्रेस ने नहीं किया। यह मेरी ईमानदारी है कि हारी हुई सीट पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हुआ। चुनाव के बाद जाता तो गद्दारी होती, यह मेरी ईमानदारी है।’

बम ने कहा, ‘मैं भाग्यशाली हूं कि कैलाश विजयवर्गीय जी का संरक्षण मिला है। कैलाश जी से मेरे 20 साल और पिता के 35 साल पुराने संबंध हैं। अपनी समस्या पिता कांति बम को बताई, उन्होंने कैलाशजी को बताया, उनकी सलाह पर नामांकन वापस लिया। ताई देश की बड़ी नेता हैं। मैं उनकी बात का जवाब दूं इतनी मेरी औकात नहीं है।’

बम ने कहा, ‘24 मार्च को जब पहली बार सामने आया तो कांग्रेस के बहुत कम लोग आए थे। कुल 2600 बूथ पर काम करने के लिए मेरे पास इतनी बड़ी टीम नहीं थी। पार्टी के कार्यकर्ता काम करते हैं, लेकिन चुनाव में उन्हें मोटिवेट करना होता है। केवल 12 दिन बचने पर भी जनसंपर्क नहीं हो रहा था तो मैं क्या करता। इतना बड़ा चुनाव बिना संगठन नहीं लड़ा जा सकता, संगठन मेरे साथ नहीं था।’

उन्होंने कहा, ‘मैं कांग्रेस नेताओं से पूछता हूं, हर बूथ पर प्रचार सामग्री और मतदाता सूची पहुंची या नहीं। झंडे क्यों नहीं लगे? जिन्हें सभा लेना थी, वे एअरपोर्ट से क्यों लौट गए?’

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें