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सिंधिया दरबारः आवेदन रद्दी की टोकरी में, भड़के आवेदक!

सिंधिया दरबारः आवेदन रद्दी की टोकरी में, भड़के आवेदक!

केन्द्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का ‘जनता दरबार’ फिर सुर्खियों में है। इस बार आवेदनों के ‘हश्र’ को लेकर हंगामा हुआ है।

एमपी के शिवपुरी जिले की पिछोर मुख्यालय में लगा सिंधिया दरबार विवादों में आ गया है। दरबार में आये लोगों को सिंधिया ने सुना। कई पीड़ितों ने अपनी-अपनी समस्याओं और मांगों से जुड़े आवेदन उन्हें सौंपे। सिंधिया ने दरबार में घूम-घूमकर भी लोगों को सुना। आवेदन लिए। भरोसा दिलाया। लेकिन उसके बाद जो हुआ, उससे बीजेपी के बड़े नेता हैरान हैं। 

 - Satya Hindi

सिंधिया के दरबार में आवेदनों को बाद में फाड़ कर फेंक दिया गया।

दरबार खत्म हुआ। इसके ठीक बाद लोग भड़क उठे। दरअसल पंडाल के भीतर एक हिस्से में बहुत सारे आवेदन लावारिस हालत में मिले। लोगों ने वीडियो बनाये। मीडिया को मसाला मिल गया। मीडिया भी फोटो लेता रहा। वीडियो बनाता रहा। आवेदन देने वालों कके आरोप एवं दावों को अपने-अपने कैमरों में रिकार्ड किया। इसके बाद खबरें चलीं तो हंगामा मच गया।

तीन पटवारियों सहित पांच सस्पेंड

जनसुनवाई में ड्यूटी पर तैनात किये गये तीन पटवारियों दीपक शर्मा, प्रतीक पाराशर एवं दीपक दांगी और दो सहयाक ग्रेड तीन कर्मचारियों प्रमोद वर्मा एवं प्रशांत शर्मा को निलंबित किया गया है। इसके अलावा पंजीयन काउंटर पर तैनात शिक्षक संतोष गुप्ता, राम प्रकाश गुप्ता, श्रीकांत पाराशर, राकेश ओझा एवं अनिल पाराशर के विरूद्ध कार्यवाही का प्रस्ताव भेजा गया है।

यह पहला मौका नहीं था, इसके पहले भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के जनता दरबार या ऐसे अन्य आयोजन में बवाल कटने की घटनाएं सामनें आ चुकी हैं। हंगामें की तस्वीरें और खबरें, इलेक्ट्रानिक मीडिया में चलीं। अखबारों में छपीं। यह पूरा ताजा मसला भी मीडिया की सुर्खियां बना है।

फीता काटने पर बवाल...!

गुना के पूर्व भाजपा सांसद के.पी.सिंह यादव ने अपने समर्थकों बीते वर्ष गुना के डाकघर में बने पासपोर्ट सेवा केन्द्र का लोकार्पण कर दिया था। वे निरीक्षण के लिए पहुंचे थे। फीता काट देने पर बवाल हुआ था। दरअसल इस केन्द्र का लोकार्पण सिंधिया करने वाले थे। उनके द्वारा लोकार्पण के पहले फीता काट दिये जाने पर बवाल मचा था।

लोकार्पण को लेकर यादव ने कहा था, ‘शुभ दिन था। इसलिए लोकार्पण कर दिया।’ इस घटनाक्रम के तत्काल बाद सिंधिया समर्थकों ने दावा किया था,  ‘जिस केन्द्र का लोकार्पण यादव ने कर दिया, वो सिंधिया जी की पहल पर स्वीकृत हुआ था।’ उधर यादव और उनके सर्मथकों का दावा था, ‘पासपोर्ट केन्द्र गुना लाने के लिए दिल्ली में उन्होंने अपनी चप्पलें घिसीं थीं। कोशिश के बाद ही केन्द्र स्वीकृत हुआ था। सिंधिया तब कांग्रेस में थे।’

यादव ने सिंधिया को हराया था

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में गुना-शिवपुरी सीट पर केपी सिंह यादव ने कांग्रेस प्रत्याशी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया को बुरी तरह से हराया था। यहां बता दें, यादव एक वक्त सिंधिया की चुनाव प्रबंधन टीम का हिस्सा हुआ करते थे। सिंधिया से ठनने के बाद यादव को भाजपा ने अपने साथ कर लिया था। टिकिट दिया था। यादव कामयाब हुए थे।

साल 2019 की टीस 2024 में सिंधिया के भाजपा के टिकिट पर लड़ और जीतकर फौरी तौर पर खत्म हो गई। माना यह जाता है, सिंधिया और उनके समर्थक केपी सिंह यादव को पचा नहीं पाते हैं। 

शायद यही वजह है, गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र में होने वाले बवाल पर ‘यादव ऐंगल’ की ‘तलाश’ मीडिया वाले करने लगते हैं। सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी के लोग भी इसी चश्मे से गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र के तमाम उठा-पटक वाले घटनाक्रमों को देखते हैं। चटखारे लेते हैं।

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