मुख्यमंत्री कमलनाथ के बर्थडे पर मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के एक विज्ञापन को लेकर हुए जोरदार विवाद और जबरदस्त किरकिरी के बाद पीसीसी ने यू-टर्न ले लिया है। पीसीसी ने सोमवार को छपे विज्ञापन को मंगलवार को ‘शुद्धियों’ के साथ दोबारा छपवाया है। रोचक बात यह है कि इस विज्ञापन से पीसीसी ने सोमवार को पल्ला झाड़ लिया था और इसकी जांच कराने की बात कही थी।
सोमवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ का 73वां जन्मदिन था। नाथ मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। नाथ के बर्थडे पर समर्थकों और कांग्रेसियों ने जमकर विज्ञापन जारी किए थे। प्रदेश के सभी अख़बार नाथ को जन्मदिन की शुभकामनाएं देने से रंगे रहे थे।
पीसीसी की ओर से भी एक विज्ञापन अखबारों में छपा था। प्रमुख समाचार पत्रों में छपे इस विज्ञापन को लेकर तब विवाद हो गया था जब विज्ञापन की भाषावली को लेकर सवाल उठाए गए थे। दरअसल, पीसीसी के विज्ञापन में कमलनाथ की राजनीतिक यात्रा के बखान के साथ कुछ ऐसी बातें भी प्रकाशित हुई थीं जो कमलनाथ की प्रशंसा के बजाय आलोचना करती दिखाई पड़ रही थीं।
पीसीसी के विज्ञापन को लेकर ना केवल कांग्रेसी चकित थे, बल्कि आम पाठकों के गले भी यह विज्ञापन उतर नहीं पाया था। अखबार लोगों तक पहुंचने के कुछ देर बाद से ही पीसीसी के जिम्मेदार पदाधिकारियों के फोन गूंजने लगे थे। फोन लगाने वालों में मीडिया भी पीछे नहीं था। कई पदाधिकारी फोन उठाने से बचते रहे। दोपहर बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रभारी उपाध्यक्ष चंद्रप्रभाष शेखर कुछ पदाधिकारियों के साथ मीडिया के बीच पहुंचे थे।
विज्ञापन की भाषा पर शेखर ने भी हैरानी जतायी थी। उन्होंने कहा था कि पीसीसी पूरे मामले की जांच करवाने जा रही है। प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया ने तो विज्ञापन को विरोधियों की साज़िश तक बता डाला था।
बहरहाल, पीसीसी सोमवार को भले ही विज्ञापन से पल्ला झाड़ती रही, जांच की बात करती रही लेकिन मंगलवार सुबह समाचार पत्रों में यह विज्ञापन दुबारा प्रकाशित हुआ है लेकिन इस बार वे लाइनें नदारद हैं जिन्हें लेकर विवाद खड़ा हुआ था।
सूत्र बताते हैं कि अखबार में छपे पीसीसी के विज्ञापन की कॉपी मुख्यमंत्री कमलनाथ को भेजी गई थी। कमलनाथ मनाली में थे और जन्मदिन पर मत्था टेकने के लिए केदारनाथ निकलने वाले थे। मनाली में जब विज्ञापन की कॉपी उन तक पहुंची थी तो वह भड़क गए थे। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और मध्य प्रदेश के प्रभारी दीपक बावरिया ने भी प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारियों की जमकर क्लास ली थी। विज्ञापन में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी के अलावा बावरिया का भी फोटो प्रकाशित किया गया था। कमलनाथ मंगलवार दोपहर बाद भोपाल पहुंचेंगे और उसके बाद पूरे मामले को लेकर दोषियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।
किन बातों पर हुआ था विवाद
सभी प्रमुख अखबारों में छपे इस विज्ञापन में कमलनाथ के राजनीतिक सफर का उल्लेख करते हुए अनेक बातें कही गई थीं। इन बातों में जो बातें किसी के भी गले नहीं उतर पायी थीं उनमें, ‘आपातकाल के बाद केन्द्र का निजाम बदलने के बाद जनता पार्टी सरकार में संजय गाँधी के जेल भेजे जाने के दौरान कमलनाथ के एक जज से झगड़कर तिहाड़ जेल चले जाने’ का विज्ञापन में उल्लेख करना कांग्रसियों के अलावा आमजन की भी समझ में नहीं आ पाया था।’
इसी विज्ञापन में एक जगह कहा गया था, ‘साल 1993 में कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के पूरे अवसर थे लेकिन वरिष्ठ नेता अर्जुन सिंह ने ऐन वक्त पर दिग्विजय सिंह का नाम आगे कर दिया और कमलनाथ सीएम बनने से चूक गये।’ इसी क्रम में आगे लिखा गया था, ‘अब 25 साल बाद दिग्विजय सिंह के समर्थन से उन्हें मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला।’ विज्ञापन में एक जगह अपने अजेय गढ़ छिंदवाड़ा में 1996 में लोकसभा के उपचुनाव में बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुंदरलाल पटवा से पटखनी मिलने का भी जिक्र किया गया था।
पीसीसी की ओर से पहले छपवाया गया विज्ञापन।
विज्ञापन में प्रकाशित उपरोक्त तथ्यों ने कांग्रेसियों को तो चकित किया ही था, साथ ही आम पाठक भी यह नहीं समझ पाये थे कि ‘प्रदेश कांग्रेस कमेटी (विज्ञापन उसी के नाम से छपा था) नाथ की तारीफ कर रही है या उनकी चुटकियां ले रही है।’ विज्ञापन से आहत एक कांग्रेसी ने तंज कसते हुए यहां तक कह दिया था कि पीसीसी अपने विज्ञापन में सिख दंगों में नाथ की ‘अहम भूमिका’ का जिक्र और कर देती तो नाथ का ‘उज्जवल’ राजनीतिक सफरनामा पूरा हो जाता।
विज्ञापन में सोनिया, राहुल, दीपक बावरिया के अलावा दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुरेश पचौरी और नाथ सरकार में मंत्री पीसी शर्मा के अलावा अजय सिंह (अर्जुन सिंह के बेटे और मध्य प्रदेश विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष), पीसीसी के पूर्व अध्यक्ष अरूण यादव और कांतिलाल भूरिया के फोटो छापे गये थे। इन प्रमुख नेताओं के अलावा पीसीसी के प्रभारी उपाध्यक्ष चंद्रप्रभाष शेखर के अलावा कई मौजूदा अधिकारियों के फोटो भी विज्ञापन में चस्पा थे।
प्रदेश कांग्रेस की मीडिया सेल के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता (इनका फोटो भी विज्ञापन में छपा है) ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘विज्ञापन को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी छानबीन करवा रही है। विज्ञापन पीसीसी की ओर से जारी नहीं किया गया है। यह किसकी शरारत और साजिश है, प्रदेश कांग्रेस कमेटी शीघ्र ही इसे साफ कर देगी।
किरकिरी से बचने और पूरे विवाद पर अंकुश लगाने की नीयत से पीसीसी ने ’शुद्ध’ करते हुए विज्ञापन छपवाया है। प्रेक्षकों का मानना है कि भले ही पीसीसी ने दुबारा विज्ञापन छपवा दिया है लेकिन यह मामला आसानी से शांत होने वाला नहीं है।
पीसीसी की ओर से ’शुद्धियों’ के साथ छपवाया गया विज्ञापन।
बीजेपी ने ली थी चुटकी
मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘यह विज्ञापन जिसने भी छपवाया, वह जान-बूझकर छपवाया। पूरे विज्ञापन को विवादित बनाने वाला हरेक तथ्य सटीक है। इस विज्ञापन के जरिये विपक्ष का आधे से अधिक काम कर दिया गया है। विज्ञापन में उन बातों का जिक्र किया गया है जो कांग्रेस की अंर्तकलह को स्पष्ट कर रही हैं। बीजेपी तो पहले से ही कह रही है कि यह सरकार अंतर्विरोधों से घिरी हुई है।’