उज्जैन: महाकाल लोक के लोकार्पण से चुनावी राजनीति साधेगी बीजेपी?

10:02 pm Oct 11, 2022 | संजीव श्रीवास्तव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल के आंगन में महाकाल लोक का लोकार्पण किया। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकाल का पूजन भी किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 दिनों के अंतराल के बाद मंगलवार शाम को फिर से मध्य प्रदेश आए। मध्य प्रदेश की सरकार ने महाकाल लोक के लोकार्पण समारोह का 40 देशों में सीधा प्रसारण किया। 

काशी विश्वनाथ के बाद उज्जैन के ज्योतिर्लिंग परिसर का कायाकल्प किया जा रहा है। दो चरणों वाली इस परियोजना पर 856 करोड़ रुपये का व्यय संभावित है। महाकाल परिसर अभी तक 2.8 हेक्टेयर में फैला हुआ था। दो चरणों का काम पूरा होने के बाद इसका क्षेत्रफल 47 हेक्टेयर हो जाएगा। 

पहले चरण में मंदिर परिसर के कायाकल्प का काम पूर्ण हो चुका है। कुल 946 मीटर लंबा कॉरिडोर बनकर तैयार है। शिव की लीलाओं को पूरे परिसर में उकेरा गया है। कई दृश्य मन को मोह लेने वाले हैं।

श्रेय लेने की होड़ 

लोकार्पण के ठीक पहले महाकाल परिसर के कायाकल्प का श्रेय लेने की होड़ कांग्रेस और भाजपा में लग गई है। पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमल नाथ ने कहा है, ‘मुद्दों को अपने नाम करना एवं धर्म को भी इवेंट में तब्दील कर बड़ा राजनीतिक स्वरूप दे देना कोई मोदी-शिवराज से सीखे!’

कमल नाथ ने कहा है, ‘महाकाल परिसर के कायाकल्प की परिकल्पना सरकार में आने के बाद हमने (कांग्रेस ने) की थी। योजना बनाई। बजट का प्रावधान किया। कार्य आरंभ कराया। सरकार गिराने के बाद भाजपा ने इस इश्यू को अपने नाम कर लिया है।’

उधर, राज्य सरकार के प्रवक्ता और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, ‘कमल नाथ को सलाह दे रहे हैं कि वे महाकाल बाबा के नाम पर राजनीति नहीं करें।’

मिश्रा ने दावा किया, ‘महाकाल परिसर के कायाकल्प की रूपरेखा 2017 में शिवराज सरकार के कार्यकाल में बनी और उसी दौर में इसने मूर्त रूप लिया।’

योजना किसके दौर में बनी? इसे छोड़ दिया जाये तो भी कमल नाथ के इस दावे में खासा दम है जिसमें उन्होंने कहा है कि ‘धर्म के मामलों को भी भाजपा बखूबी भुनाती है। वह इन मामलों को भव्य इवेंट का रूप देती है।’

महाकाल लोक के लोकार्पण के लिये प्रधानमंत्री द्वारा समय देने के बाद से शिवराज और उनकी सरकार एवं प्रदेश भाजपा पूरी ताकत से कार्यक्रम को सफल बनाने में जुटी रही। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीते दो दिनों में कई देशों के लोगों से वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये बातचीत की है। कायाकल्प के बाद महाकाल के निराले लोक को देखने का आग्रह किया है।

11 महीने में पीएम का तीसरा दौरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को पालपुर कूनो नेशनल पार्क आये थे। अफ्रीकन चीतों को उन्होंने पालपुर कूनो पार्क में छोड़ा था। इसके पहले 16 नवंबर, 21 को भी पीएम मोदी ने आदिवासी गौरव दिवस आयोजन के कार्यक्रम में मध्य प्रदेश में शिरकत की थी। मोदी ने इसके अलावा भी सूबे की कई परियोजनाओं का लोकार्पण/शिलान्यास वर्चुअली किया है।

बता दें, मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव अगले साल होने हैं। बीजेपी 2003 में राज्य में सत्ता में आयी थी। इसके बाद लगातार दो और चुनाव (2008 और 2013 में) उसने जीते। साल 2018 के चुनाव में मामूली अंतर से भाजपा के हाथों से सत्ता निकल गई थी। हालांकि बाद में कांग्रेस में तोड़फोड़ कर उसने सत्ता को दोबारा हासिल कर लिया था। 

देश के अन्य हिन्दी भाषी राज्यों की तरह मध्य प्रदेश के चुनावों में भी धर्म-कर्म बड़ा मुद्दा होता रहा है। राजनैतिक दलों के ‘खेवैय्याओं’ ने ‘धर्म की नैया’ पर सवार होकर ‘चुनाव रूपी वैतरणी’ को अनेक बार ‘पार’ किया है।

कई राज्यों में चुनाव 

इसी साल गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। साल 2023 में मध्य प्रदेश के अलावा जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम में विधानसभा के चुनाव होंगे। साल 2023 के ठीक बाद मई, 2024 में सत्ता का फाइनल ‘खेला’ जाना है। कुल मिलाकर अगले 20-22 महीने भाजपा के लिये अग्नि परीक्षा वाले होंगे। 

मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और राजनैतिक विश्लेषक राकेश दीक्षित का कहना है, ‘महंगाई, बेरोजगारी, कानून-व्यवस्था की बदतर स्थिति, सांप्रदायिक सौहार्द्र का डगमग होता तानाबाना और ऐसे अनेक मुद्दों पर परदा डालने के लिये इवेंट्स-घोषणाओं की झड़ी आवश्यक है।’

दीक्षित आगे कहते हैं, ‘कांग्रेस जब तक भाजपा की तरह मसलों को तूल देना नहीं सीखेगी तब तक उसे ठौर मिलनी मुश्किल होती रहेगी।’

वे यह भी कहते हैं, ‘देश और राज्यों का आज जो राजनीतिक परिदृश्य है, उसके मद्देनज़र चुनावी हितों को साधने के लिये भाजपा आने वाले दिनों में धर्म का तड़का और तेजी से लगायेगी।’