एमपी में चर्चित आईएएस रानी बंसल की सेवाएं क्यों खत्म हुईं?

10:48 pm Dec 29, 2022 | संजीव श्रीवास्तव । भोपाल

भोपाल। मध्य प्रदेश कॉडर की 2015 बैच की चर्चित आईएएस अफसर रानी बंसल की सेवाएं राज्य सरकार ने समाप्त कर दी हैं। रानी बंसल बिना सूचना के बीते साढ़े तीन सालों से नौकरी से गैरहाज़िर थीं। डीम्ड रेजिग्नेशन के प्रस्ताव पर राष्ट्रपति की मोहर के बाद उन्हें नौकरी से हटाने के बारे में आदेश जारी किए गए हैं।

रानी भोपाल की मूल निवासी हैं। रानी के पिता भोपाल के एक निजी हास्पिटल में मेडिकल स्टोर चलाया करते थे। भोपाल के राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से रानी ने इंजीनियरिंग की डिग्री ली। मेधावी विद्यार्थी होने की वजह से कैम्पस सिलेक्शन में उन्हें बड़े पैकेज (5 लाख मासिक) जॉब मिल गई थी।

रानी ने बाद में बड़े पैकेज वाले जॉब को छोड़कर यूपीएससी की परीक्षा दी थी। वे 64वीं रैंक पाने में सफल रहीं थीं। उनका सिलेक्शन साल 2015 में आईएएस में हो गया था। मध्य प्रदेश कैडर मिला था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शानदार सफलता के लिए रानी की हौंसलाअफज़ाई की थी।

रानी बंसल की अंतिम पोस्टिंग देवास जिले के बागली में एसडीएम के पद पर रही थीं। वे 31 मई 2019 से नौकरी से बिना सूचना के गायब हुईं। बताया गया है कि अनेक सूचनाएं स्थानीय अफसरों/कार्यालय ने उन्हें भेजीं। सामान्य प्रशासन विभाग ने भी उनसे खतो-खिताबत की, लेकिन उनका कोई भी जवाब नहीं आया।

जवाब नहीं आने और लंबा वक्त गुजर जाने पर मध्य प्रदेश के सामान्य प्रशासन महकमे ने रानी बंसल की अनाधिकृत अनुपस्थिति से जुड़ा पूरा मामला केन्द्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय (डीओपीटी) को भेजा। प्रकरण के परीक्षण के बाद डीओपीटी ने डीम्ड रेजिग्नेशन (स्वतः त्यागपत्र) के जरिए उन्हें नौकरी से हटाने का प्रस्ताव स्वीकृति के लिए राष्ट्रपति को भेजा। माननीय राष्ट्रपति की सहमति मिलने के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने रानी बंसल की सेवा समाप्ति का आदेश जारी कर दिया है।

मध्य प्रदेश के सामान्य प्रशासन महकमे की प्रमुख सचिव दीप्ति गौड़ मुकर्जी ने अनाधिकृत अनुपस्थिति के कारण रानी बंसल की सेवा समाप्ति का आदेश जारी करने की पुष्टि की है।

रानी बंसल

क्यों चर्चा में आयीं थीं रानी

साल 2017 में रानी बंसल तब चर्चाओं में आयीं थीं जब उनके बैंक खाते में 14 लाख रुपये आने से जुड़े मामले को लेकर सीबीआई ने पूछताछ की थी। रानी वर्ष 2017 में मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा में पदस्थ थीं।

रानी के पति केतन विश्नोई कस्टम में इंस्पेक्टर हैं। इंस्पेक्टर पति के दोस्त कस्टम इंस्पेक्टर परमानंद सिंघारिया ने रानी बंसल के खाते में 14 लाख रुपये ट्रांसफर किये थे। काला धन मामले की शिकायत होने पर सीबीआई ने पहले परमानंद सिंघारिया और बाद में रानी से भी पूछताछ की थी। रानी ने 14 लाख रुपये की राशि पति केतन द्वारा दोस्त परमानंद को उधार देने और बाद में इसकी वापसी परमानंद द्वारा उनके खाते में करने की बात कही थी। इस मामले में आगे क्या कार्रवाई हुई? पता नहीं चल पाया है।

मध्य प्रदेश विधानसभा के हाल ही में समाप्त हुए शीतकालीन सत्र में विधायक सतीश सिकरवार के सवाल के जवाब में जानकारी सामने आयी थी कि रानी सहित मध्य प्रदेश के तीन आईएएस अफसर ऐसे हैं, जिन्होंने चल-अचल संपत्ति का सालाना ब्यौरा लंबे समय से नहीं दिया है।

किस नियम के तहत हटाया गया

केन्द्रीय कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय ने अखिल भारतीय सेवा अवकाश नियम 1955 के उपबंध 7 (2)(क) का उपयोग करते हुए रानी बंसल की सवाएं समाप्त की हैं। इस नियम में बिना सूचना के लंबे समय तक नौकरी से अनुपस्थित रहने और विभाग द्वारा किये जाने वाले पत्राचार का कोई जवाब नहीं देने पर डीम्ड रेजिग्नेशन के तहत सेवाएं समाप्त करने का अधिकार डीओपीटी को है। सेवा से हटाने संबंधी प्रस्ताव पर राष्ट्रपति का अनुमोदन आवश्यक है (रानी की सेवाएं समाप्त करने में इसी नियम का उपयोग और माननीय राष्ट्रपति का अनुमोदन लेने की प्रक्रिया को अपनाया गया है)। 

क्या बीमार हैं रानीः रानी बंसल के पिता द्वारा मीडिया को दी गई कथित प्रतिक्रिया के अनुसार रानी बंसल लंबे वक्त से बीमार हैं। पिता ने कहा है, ‘वह कुछ और समय तक नौकरी ज्वाइन करने की इच्छुक नहीं थी। फिलहाल अपने पति केतन विश्नोई के साथ मुंबई में ही रह रही है।’

एमपी में एक और मामला

रानी बंसल के पहले मध्य प्रदेश में 1999 बैच के अनिल यादव की सेवाएं इसी तरह से समाप्त की गई थीं। यादव 25 जुलाई 2007 से 24 जुलाई 2009 तक अध्ययन अवकाश पर गए थे। अध्ययन अवकाश समाप्त होने के बाद वे बिना किसी पूर्व सूचना के नौकरी पर उपस्थित नहीं हुए थे।

बिना सूचना अनुपस्थित रहने पर सरकार ने खतो-खिताबत की थी, अनिल यादव का कोई जवाब अनेक सूचनाओं के बाद भी नहीं आया था। बाद में सरकार ने डीम्ड रेजिग्नेशन प्रकरण बनाकर डीओपीटी को भेज दिया था।  प्रस्ताव भेजे जाने के बाद अनिल यादव ने नौकरी में वापस लेने का आवेदन दिया था, लेकिन उनका आवेदन मान्य नहीं हुआ था। 

डीओपीटी के निर्देश के बाद अनिल यादव की सेवाएं समाप्ति का आदेश मध्य प्रदेश सरकार ने जारी कर दिया था।