मध्य प्रदेश के धार जिले में 300 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन जल संसाधन विभाग के डैम की एक साइड की दीवार का बड़ा हिस्सा ढहने से हड़कंप मच गया है। डैम फूटने के खतरे और बाढ़ से संभावित तबाही के मद्देनज़र सरकार भी एक्शन में है। धार और पड़ोसी जिले खरगोन के कुल 16 गांवों के 40 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। आपात स्थिति के लिए एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर भी तैयार हैं।
बता दें, धार के भरूड़पुरा और कोठीदा के बीच कारम नदी पर बीते चार सालों से डैम का निर्माण चल रहा है। 300 करोड़ रुपये की लागत वाले डैम के निर्माण में भ्रष्टाचार की शिकायतें काफी वक्त से आ रही हैं। आरोप है कि मशीनरी और सरकार ने शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया।
शुक्रवार को डैम के एक हिस्से की मिट्टी धंस गई। बाद में दीवार का बड़ा हिस्सा ढह गया। दीवार का हिस्सा ढहा तो पानी की बड़ी धाराएं फूट पड़ीं। अन्य छोटे लीकेज़ भी बढ़ गये। माना जा रहा है लीकेज नहीं रूका तो बढ़ा बांध फूट भी सकता है। बांध में 15 एमसीएम पानी है।
खबर सोशल मीडिया एवं मीडिया पर चली तो अफसर और सरकार हरकत में आये। युद्ध स्तर पर लीकेज़ भरने की कार्रवाई आरंभ हुई। उम्मीद के अनुसार सफलता मिलती नहीं दिखी तो आनन-फानन में धार के 12 और खरगोन के 6 गांवों को खाली कराने के लिये मुनादी कराई गई।
राहत व बचाव कार्य जारी
दरअसल, लीकेज से पानी का प्रवाह बढ़ता देखकर प्रशासन के हाथ-पैर फूले हुए हैं। जानकार कह रहे हैं कि यदि डैम फूट गया तो 40 हजार लोगों की जान पर बन आयेगी। गांव के गांव जलसमाधि ले लेंगे। इसी वजह से ग्रामीणों को पहाड़ी क्षेत्रों में पहुंचाया जा रहा है।
अनेक लोग अपना बसा-बसाया घर और गृहस्थी छोड़ने को तैयार नहीं हो रहे हैं। बहुतेरे लोग जान जाने के डर से जो समेट सकते थे, उसे लेकर और तिल-तिल कर जुटाई गृहस्थी छोड़कर सुरक्षित स्थानों के लिये निकल गये हैं। चूंकि लगातार बारिश हो रही है, इसलिये काफी मुश्किलें पेश आ रही हैं।
धारा 144 लागू
डैम से प्रभावित होने वाले गांवों में धारा 144 लगा दी गई है। बेवजह घूमने वालों को हिरासत में लेने की घोषणा भी कर दी गई है।
डैम के फूट जाने के बाद संभावित बाढ़ की तबाही से निपटने के लिये एयरफोर्स के दो हेलीकॉप्टर और एक कंपनी बुला ली गई है। सरकार सेना के भी संपर्क में है।
राज्य के अपर मुख्य सचिव गृह राजेश राजौरा ने एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर और कंपनी की तैनाती की पुष्टि की है। उन्होंने कहा है, ‘एनडीआरएफ-एसडीआरएफ सहित राहत और बचाव का काम करने वाली तमाम एजेसियों को मुस्तैद किया गया है। राहत और बचाव का कार्य पूरी गति से चल रहा है।’
डैम फूटने पर बाढ़ का पानी जिस नदी में जाना तय है, उस नदी के रास्ते पर आगरा-मुंबई नेशनल हाइवे तीन का पुल भी है। तमाम संभावनाओं और खतरे के मद्देनज़र एहितयातन पुल पर ट्रैफिक कंट्रोल के लिये टीम तैनात कर दी गई है। वाहनों की आवाजाही कम करने की वजह से रोड पर जाम के हालातों की सूचनाएं भी आ रही हैं।
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार सुबह चीफ़ सेक्रेटरी इक़बाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव गृह राजेश राजौरा सहित अन्य अफ़सरों के साथ राहत व बचाव कार्यों की समीक्षा की है। साथ ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिये मौके पर मौजूद अफ़सरों तथा बचाव दल के मुखिया के साथ भी बात की है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि हमारे इंजीनियर्स, विशेषज्ञों की टीम कमिश्नर, कलेक्टर, सारे प्रशासनिक अधिकारी बांध स्थल पर और प्रभावित होने वाले क्षेत्र में उपस्थित हैं। इस बारे में उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा हुई है। भोपाल कंट्रोल रूम से भी हम निरंतर स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, "हमारा प्रयास है, एक बाईपास चैनल बन जाए जिससे पानी बाईपास करके निकाला जा सके और इस पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि जनता की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसलिए धार जिले के 12 गांव और खरगोन जिले के 6 गांव हमने खाली कराए हैं।"
सूचनाओं के अनुसार, डैम में गुरुवार से ही रिसाव होने लगा था, जो अब और बढ़ गया है। मरम्मत कार्य जारी है। डैम को धंसने से बचाने के लिए इसका पानी खाली किया जा रहा है। इसके लिए पोकलैंड मशीनें लगाई गई हैं। बांध के पास एक नहरनुमा रास्ता बनाया गया है, ताकि पानी निकल सके। वाटर लेवल कम होने पर ही मरम्मत संभव होगी।
धार जिले में कारम नदी परियोजना के लिए 4 साल से काम चल रहा है। परियोजना पूरी होने पर 52 गांवों की 10 हजार 500 हेक्टेयर जमीन सिंचित होने की योजना है। योजना पूरी होने के पहले ही इसमें लीकेज और एक हिस्सा ढहने से लोग दहशत में हैं।
कमलनाथ ने सरकार को घेरा
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा है, ‘304 करोड़ की इस योजना में शुरू से ही स्थानीय ग्रामीण और जनप्रतिनिधि घटिया निर्माण की शिकायत कर रहे थे। शिकायतों की अनदेखी की गई। सरकार से मांग है कि जांच दल गठित कर इसकी जांच कराई जाए।’
उधर, जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने मीडिया से कहा, ‘मैं स्वयं मौके पर पहुंच रहा हूं। डैम की दो स्तर पर जांच होगी। एक जांच प्रशासनिक अधिकारियों की टीम करेगी, दूसरी टीम में तकनीकी विशेषज्ञ इसकी गुणवत्ता और निर्माण कार्य की जांच करेंगे। पहली प्राथमिकता संभावित नुकसान को रोकना है।’