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कमलनाथ-सिंधिया में हुई ‘सुलह’!, कांग्रेस को मिली राहत

कमलनाथ-सिंधिया में हुई ‘सुलह’!, कांग्रेस को मिली राहत

मध्य प्रदेश में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के ख़ेमों के बीच चल रही लड़ाई क्या ख़त्म हो गई है। पिछले कुछ दिनों में दोनों दिग्गज साथ दिखाई दिए हैं। 

लगता है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच ‘सुलह’ हो गई है। एक-दूसरे से तने-तने दिखने वाले ये नेता मध्य प्रदेश में इन दिनों ‘साथ’ नजर आ रहे हैं। सिंधिया को लोकसभा चुनाव में हराने वाले गुना-शिवपुरी के बीजेपी सांसद पर 420 समेत कई धाराओं में मुक़दमा दर्ज होने से सिंधिया समर्थकों के हरे घावों पर मरहम भी लगा है। 

15 साल के वनवास के बाद 2018 में कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी की थी। इस वापसी में ज्योतिरादित्य सिंधिया का रोल बेहद अहम रहा था। सिंधिया मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल थे लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के हस्तक्षेप से कुर्सी मिली थी कमलनाथ को। मुख्यमंत्री न बन पाने का मलाल सिंधिया के चेहरे पर पहले ही दिन से दिखाई दिया था। 

कमलनाथ को मुख्यमंत्री बने एक साल पूरा हो चुका है। पिछले दस-ग्यारह महीने से सिंधिया के तेवर बेहद तल्ख रहे हैं। सार्वजनिक मंचों से उन्होंने नाथ सरकार के कामकाज की मजम्मत करने में कोई गुरेज नहीं दिखाया लेकिन महीने भर से सिंधिया के तेवर नर्म दिखे हैं।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नाथ सरकार के कामकाज और साल भर में 365 वादे निभाने (नाथ सरकार का ऐसा दावा है कि 365 वचन पूरे कर दिये हैं) को लेकर कोई तारीफ नहीं की है, लेकिन महीने भर के दरमियान उन्होंने पहले जैसा सरकार के कामकाज की आलोचना वाला कोई बयान भी नहीं दिया है।

पिछले महीने भर में दिलचस्प कोण यह बना है कि दोनों नेता कई अवसरों पर साथ नज़र आये। पार्टी से जुड़े कुछ कार्यक्रमों में शिरक़त करने के लिए दोनों नेताओं ने एक ही जहाज से यात्राएं भी कीं। कमलनाथ द्वारा सिंधिया को ‘तवज्जो’ दिये जाने से दोनों ही ख़ेमों ने राहत की सांस ली है। यहां बता दें कि कांग्रेस के कुल 114 विधायकों में से तीन दर्जन के आसपास विधायक सिंधिया ख़ेमे से हैं।

बीजेपी सांसद पर हुई एफ़आईआर

मध्य प्रदेश पुलिस ने गुना-शिवपुरी सीट से सिंधिया को हराने वाले बीजेपी के सांसद केपी यादव और उनके बेटे के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की है। पिछड़ा वर्ग कोटे से ग़लत तरीक़े से आरक्षण लेने के आरोप में पिता-पुत्र को अभियुक्त बनाया गया है। एसडीएम ने पिछले सप्ताह ही केपी यादव का प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया था। 

दरअसल, ओबीसी वर्ग में क्रीमीलेयर में आने वालों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता। यादव ने अपनी आय 8 लाख सालाना से कम बताकर बेटे को अरक्षण का लाभ दिला रखा था। चुनाव के वक्त यादव ने आय संबंधी जो घोषणाएं कीं, उनके मुताबिक़ उनकी वार्षिक आय 39 लाख थी। सिंधिया ख़ेमे के विधायक बृजेन्द्र सिंह ने इसकी शिकायत एसडीएम से की थी। जांच में शिकायत सही पायी गई और कार्रवाई की गई। जांच में सामने आया कि यादव ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर बेटे को आरक्षण दिलाया। पुलिस ने भादवि की धारा 420, 120बी, 181 और 182 में प्रकरण दर्ज किया है।

अशोक नगर के एसपी को हटाया 

बताया गया है बीजेपी सांसद यादव के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करने में अशोक नगर के एसपी पंकज कुमावत कथित तौर पर हीला-हवाली कर रहे थे। सिंधिया ने इसकी शिकायत कमलनाथ से की। कमलनाथ ने कुछ ही घंटों में एसपी की छुट्टी कर दी। एसपी कुमावत को पुलिस मुख्यालय में तैनात कर दिया गया है।

राज्यसभा जाएंगे सिंधिया! 

कमलनाथ और सिंधिया के बीच ‘सुलह’ के बाद इस बात की सुगबुगाहट तेज हो गई है कि मध्य प्रदेश में रिक्त होने जा रही तीन सीटों में से एक सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजा जाएगा। सिंधिया ख़ेमा चाहता है कि ज्योतिरादित्य को मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाए। उधर, कमलनाथ और उनके समर्थक इस पक्ष में कतई नहीं हैं क्योंकि अगर सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो मध्य प्रदेश में दो पावर सेंटर हो जाएंगे। एक मुख्यमंत्री नाथ और दूसरे पीसीसी चीफ़ की हैसियत पाने पर सिंधिया।

अप्रैल, 2020 में राज्यसभा की कुल तीन सीटें रिक्त होने वाली हैं। अभी तीन में से एक कांग्रेस और दो बीजेपी के पास हैं। सदन में संख्या बल के हिसाब से दो कांग्रेस और एक सीट बीजेपी को मिल सकेगी। कांग्रेस के पास जो एक सीट है उससे दिग्विजय सिंह राज्यसभा में हैं। बीजेपी के पास जो दो सीटें हैं उनमें से एक से प्रभात झा और दूसरी से सत्यनारायण जटिया राज्यसभा में हैं।

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