संकट में कमलनाथ सरकार, सीबीआई कर सकती है कार्रवाई
लोकसभा चुनावों के दौरान मध्य प्रदेश में कांग्रेस के 11 उम्मीदवारों को पैसे दिए जाने और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को 20 करोड़ रुपये दिए जाने की जानकारी सामने आई है। इससे संबंधित रिकॉर्ड्स अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के पास हैं। आयकर विभाग की ओर से इस संबंध में जाँच रिपोर्ट और ज़रूरी साक्ष्य चुनाव आयोग में जमा कर दिए गए हैं और अब इन्हें सीबीआई को भेज दिया गया है। अख़बार के मुताबिक़, पैसे का लेन-देन करने वालों में से पाँच मुख्य लोग कमलनाथ से जुड़े हैं। यह जानकारी सामने आने के बाद कमलनाथ सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। बता दें कि पिछले महीने आयकर विभाग ने कमलनाथ के पूर्व ओएसडी प्रवीण कक्कड़ तथा राजेन्द्र मिगलानी के मध्य प्रदेश और दिल्ली स्थित अन्य ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसमें प्रवीण कक्कड़ के ठिकानों से करोड़ों रुपये बरामद होने की जानकारी सामने आई थी। तब इसे लेकर बीजेपी और कांग्रेस में ख़ासी जुबानी जंग भी हुई थी।
बहरहाल, आयकर विभाग ने अपनी जाँच में साक्ष्यों और पैसे के लेन-देन से जुड़ी जानकारियों का मिलान किया है। इसके अलावा विभाग ने वॉट्स ऐप चैट और फ़ोन पर हुई बातचीत के द्वारा पैसे के लेन-देन को भी पकड़ा है। इन सभी फ़ोन कॉल की प्रतिलिपि अभी चुनाव आयोग को नहीं दी गई है। लेकिन यह कहा गया है कि यह रकम कथित रूप से कई उम्मीदवारों को चुनाव में इस्तेमाल के लिए दी गई थी। आयकर विभाग ने यह बात 4 मई को सीबीआई जाँच की सिफ़ारिश करते हुए चुनाव आयोग को भेजी अपनी रिपोर्ट में लिखी है।
आयकर विभाग की जाँच के रिकॉर्ड से पता चलता है कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भोपाल सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह पैसा लेने वालों की सूची में सबसे ऊपर हैं। आयकर विभाग को यह जानकारी अकाउंटेंट ललित कुमार चालानी के कंप्यूटर से मिली है। चालानी कमलनाथ के पूर्व सहयोगियों आरके मिगलानी और प्रवीण कक्कड़ के साथ काम कर चुके हैं।
जाँच रिकॉर्ड्स से पता चलता है कि चालानी के द्वारा लोकसभा उम्मीदवारों को 25 से 50 लाख रुपये दिए गए और दिग्विजय सिंह को 90 लाख रुपये मिले।
अख़बार के मुताबिक़, आयकर विभाग को जाँच में पता चला है कि केवल दो उम्मीदवारों राजाराम त्रिपाठी (सतना) और मधु भगत (बालाघाट) के मामले में हस्ताक्षर की गई रसीदें लगाई गई हैं। चुनाव आयोग में सभी उम्मीदवारों के चुनावी ख़र्च से जुड़ी जानकारी जून महीने के अंत तक ही आ पायेगी, इसलिए आयोग की ओर से होने वाली कार्रवाई के लिए इंतजार करना पड़ सकता है।
पैसा लेने वाले अन्य उम्मीदवारों के नाम हैं - मीनाक्षी नटराजन (मंदसौर), कमल मारावी (मंडला), प्रमिला सिंह (शहडोल), अजय सिंह राहुल (सीधी), देवाशीष जरारिया (भिंड), शैलेंद्र सिंह दीवान (होशंगाबाद), कविता सिंह नातीराजा (खजुराहो) और प्रताप सिंह लोधी (दमोह)।
मध्य प्रदेश में दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव के लिए जहाँ तक पैसा जुटाने की बात है, इस मामले में आयकर विभाग को पता चला है कि 87 उम्मीदवारों को 17.9 करोड़ रुपये दिए गए और इनमें से 40 उम्मीदवार चुनाव जीतकर आए। चुनाव आयोग ने कहा है कि इन उम्मीदवारों की ओर से जमा कराई गई रसीदों में से कोई भी रसीद चुनावों में हुए ख़र्च से संबंधित नहीं है और कई मामलों में यह आयोग की ओर से निर्धारित किए गए ख़र्च की सीमा यानी कि 28 लाख रुपये से ऊपर थी।
कोई फर्क नहीं पड़ता: कमलनाथ
इस मामले के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘उन्हें (चुनाव आयोग को) इस मामले को सीबीआई को भेजने दीजिए, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वे जो कहना चाहते हैं उन्हें कहने दीजिए। जिन लोगों के वहाँ छापेमारी की गई उनमें से एक शख़्स हिमांशु शर्मा, टीवी पर कह चुका है कि वह बीजेपी के लिए काम करता है।’कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा 17 मई को सीबीआई को दिए गए रिकॉर्ड्स में कई सेक्शन ऐसे हैं, जो आयकर विभाग द्वारा जुटाए गए साक्ष्यों को मुख्यमंत्री कमलनाथ से जोड़ते हैं।आयकर विभाग की जाँच में एक अहम जानकारी यह भी मिली है कि मध्य प्रदेश में विभिन्न सरकारी विभागों से कथित तौर पर भारी-भरकम धनराशि जुटाई गई थी और इसका पता कमलनाथ के पूर्व ओएसडी प्रवीण कक्कड़ के फ़ोन के वॉट्सऐप संदेशों से चला। इसमें परिवहन विभाग से 54.45 करोड़, उत्पाद शुल्क विभाग से 36.62 करोड़, खनन विभाग से 5.50 करोड़, लोक निर्माण विभाग से 5.20 करोड़ और सिंचाई विभाग से 4 करोड़ रुपये की राशि जुटाई गई।
अख़बार के मुताबिक़, आयकर विभाग को मिले अन्य साक्ष्यों में यह भी अहम है कि ललित कुमार चालानी की ओर से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) को लोकसभा चुनाव में ख़र्च के लिए 17 करोड़ रुपये दिए गए।
आयकर विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन 17 करोड़ रुपये के बारे में पक्की जानकारी हिमांशु शर्मा के फ़ोन के संदेशों और कमलनाथ के नई दिल्ली आवास में काम करने वाले विजयन दामोदरन की गवाही से मिलती है। आयकर विभाग की ओर से चुनाव आयोग को भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक़, विजयन दामोदरन की गवाही कमलनाथ के नई दिल्ली स्थित आवास से एआईसीसी को 6 अप्रैल, 2019 को भेजी गई 20 करोड़ की रकम के मामले में बेहद अहम साबित हो सकती है। विजयन की तलाश की गई और उसने इस बात को स्वीकार किया कि उसने ही यह नकद रकम एआईसीसी को दी थी।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने, जाँच रिपोर्ट में जिन कांग्रेस के उम्मीदवारों के नाम सामने आए हैं, उनसे बात करने की कोशिश की तो उनमें से कई ने या तो इन आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया या टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। कुछ उम्मीदवारों ने यह भी कहा कि पैसे भेजने को लेकर किए गए सभी लेन-देन पूरी तरह वैध थे। अख़बार के मुताबिक़, कई बार प्रयास किए जाने के बाद भी दिग्विजय सिंह से इस मामले में संपर्क नहीं हो सका।
सीधी लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार रहे और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह ने इन आरोपों को पूरी तरह बेबुनियाद बताया है। कमलनाथ के पूर्व ओएसडी आरके मिगलानी ने इस बारे में टिप्पणी करने से मना कर दिया।
मंडला से कांग्रेस उम्मीदवार कमल मारावी ने कहा कि वह चुनाव हार चुके हैं और अब इस बारे में उन्हें कुछ नहीं कहना है। उनकी सहयोगी प्रमिला सिंह ने कहा कि पार्टी की ओर से उनके अकाउंट में रकम डाली गई थी। अख़बार के मुताबिक़, मीनाक्षी नटराजन ने इस बारे में कॉल करने और मैसेज भेजने के बाद भी कोई जवाब नहीं दिया।
भिंड से कांग्रेस उम्मीदवार देवाशीष जरारिया ने कहा कि जब छापेमारी की गई थी तो उस समय वह उम्मीदवार भी नहीं थे। उन्होंने कहा कि वह नहीं जानते कि क्यों उन्हें इस मामले में घसीटा जा रहा है। जरारिया के मुताबिक़, ‘मेरा टिकट 13 अप्रैल को फ़ाइनल हुआ था। मेरे पास पैसे नहीं थे, इसलिए पार्टी ने मेरे चुनावी खाते में पैसे डाले थे और इस बारे में मैंने पूरी जानकारी चुनाव आयोग को दे दी है।’
कांग्रेस के अन्य उम्मीदवारों प्रताप सिंह लोधी और राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि उन्होंने कुछ भी ग़लत नहीं किया है। खजुराहो से उम्मीदवार कविता सिंह नातीराजा ने कहा, ‘मैंने कुछ भी ग़लत नहीं किया है। मुझे जो भी पैसा मिला मेरे बैंक अकाउंट में वैध तरीक़े से मिला और मैं सभी जानकारी चुनाव आयोग को दूँगी। मैंने कोई अपराध नहीं किया है, इसलिए मुझे किसी बात का डर नहीं है।’
होशंगाबाद से कांग्रेस उम्मीदवार शैलेंद्र सिंह दीवान ने कहा कि उन्हें बैंक अकाउंट में मिली रकम से अलग कुछ भी नहीं मिला है। प्रवीण कक्कड़ ने कहा कि छापेमारी के दौरान उनके घर से किसी भी तरह का कैश या कोई भी दस्तावेज नहीं मिले हैं।
इस नए ख़ुलासे के बाद कमलनाथ सरकार को जवाब देना भारी पड़ सकता है। क्योंकि लोकसभा चुनाव में बेहद निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी के अंदरुनी हालात ठीक नहीं हैं और नेतृत्व परिवर्तन की माँग जोर पकड़ सकती है। कमलनाथ के लिए इन चुनौतियों से पार पाना आसान नहीं होगा।