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सिंधिया पर बीजेपी: 'माफ़ करो महाराज' से 'स्वागत है महाराज' तक

सिंधिया पर बीजेपी: 'माफ़ करो महाराज' से 'स्वागत है महाराज' तक

पिछले विधानसभा चुनाव में ‘माफ़ करो महाराज’ का नारा उछालने वाले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ‘सुर’ भी बदला हुआ है और अब वह कह रहे हैं - स्वागत है महाराज, साथ हैं शिवराज।’

सचमुच राजनीति अजब है। कल तक जिस बीजेपी ने कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर ‘माफ़ करो महाराज’ का नारा गढ़ा था, आज वही बीजेपी पलक-पांवड़े बिछाकर कह रही है - ‘स्वागत है महाराज।’ पिछले विधानसभा चुनाव में ‘माफ़ करो महाराज’ का नारा उछालने वाले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ‘सुर’ भी बदला हुआ है और अब वह कह रहे हैं - स्वागत है महाराज, साथ हैं शिवराज।’

ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में आ गये हैं। कांग्रेस के 19 सालों के साथ और ‘हाथ’ को छोड़कर बुधवार को उन्होंने कांग्रेस का पारंपरिक गमछा उतारकर केसरिया गमछा अपने गले में लटका लिया है। सिंधिया राजघराने के इस चिराग को पूरी बीजेपी कल तक पानी पी-पीकर कोसा करती थी। कांग्रेस के बेहद उजले और पाक-साफ चेहरों में सिंधिया शुमार हुआ करते थे। लेकिन पार्टी छोड़ते ही वह कांग्रेस नेताओं के लिये हीरो से खलनायक हो गये। जबकि बीजेपी ने इस ‘नये हीरो’ का दिल खोलकर स्वागत किया है। 

सिंधिया के स्वागत के लिये बीजेपी ने भोपाल एयरपोर्ट से हबीबगंज स्टेशन के समीप स्थित बीजेपी दफ्तर तक के मार्ग पर झंडे-बैनर और सिंधिया के पोस्टर लगाये थे। सूबे के मुख्य अखबारों में पूरे-पूरे पेज के विज्ञापन सिंधिया समर्थकों ने दिये। इन विज्ञापनों में सिंधिया, मोदी-शाह और नड्डा के साथ प्रदेश बीजेपी के नेतागण भी नजर आये।

सिंधिया रैली की शक्ल में बीजेपी मुख्यालय तक पहुंचे। रास्ते में जगह-जगह बीजेपी और कांग्रेस छोड़कर साथ आये उनके समर्थकों ने सिंधिया का स्वागत किया। 

शुक्रवार को परचा दाख़िल करेंगे

बीजेपी ने सिंधिया को मध्य प्रदेश से राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है। सिंधिया गुरुवार को भोपाल आने के बाद तमाम कार्यक्रमों में शामिल होंगे और  रात्रि विश्राम भोपाल में ही करेंगे। शुक्रवार को वह राज्यसभा के लिए अपना परचा दाख़िल करेंगे। इससे पहले वह बीजेपी कार्यालय पहुंचेंगे। महापुरूषों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण के बाद वह राज्य बीजेपी के आला नेताओं के साथ नामांकन भरने के लिए विधानसभा पहुंचेंगे। परचा दाखिल करने के बाद सिंधिया का विधानसभा से सीधे एयरपोर्ट पहुंचकर दिल्ली के लिए उड़ जाने का कार्यक्रम है।

कांग्रेस छोड़ने के साथ ही सिंधिया अपनी पुरानी पार्टी में ‘अछूत’ से हो गये। बीजेपी ज्वाइन करते ही मध्य प्रदेश कांग्रेस दफ्तर में लगी उनकी तख्ती हटवा दी गई। पीसीसी में लगे बैनर-पोस्टर जिनमें सिंधिया का चेहरा था, वे भी पार्टी ने बिना देर किये हटवा दिये। कांग्रेसियों ने सिंधिया के पुतले भी फूंके।

कमलनाथ सरकार भी सिंधिया को लेकर एक्शन में नजर आयी। सिंधिया की अनुशंसा पर गुना और ग्वालियर में बनाये गये कलेक्टरों को बिना देर किये सरकार ने बुधवार दोपहर को ही हटाने के आदेश कर दिये। दोनों जिलों में सरकार ने अपने हिसाब से नये कलेक्टरों की तैनाती भी कर दी।

सूत्र बतला रहे हैं कि नये कलेक्टरों को ‘निर्देश’ दिये गये हैं सिंधिया और उनके समर्थकों के ख़िलाफ़ बिना देर किये जो भी क़ानूनी एक्शन पुरानी शिकायतों के आधार पर हो सकते हैं, वे उसे अविलंब लें। नये कलेक्टरों को इसके लिए पूरी तरह से ‘फ्री हैंड’ दिये जाने की भी सुगबुगाहट है। 

सिंधिया जब कांग्रेस में थे तब बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा के सदस्य प्रभात झा ने ग्वालियर से जुड़ी जमीनों का मुद्दा जमकर उछाला था। झा का आरोप था कि सिंधिया राजघराने ने बड़े पैमाने पर सरकारी ज़मीनों पर जबरिया कब्जा कर रखा है। उन्होंने शिवराज की सरकार रहते हुए भी यह मसला उठाया था। मगर शिवराज सरकार कार्रवाई करने में हिचकिचाती रही थी। ऐसा माना जा रहा है कि प्रभात झा को बीजेपी की सरकार में भले ही ‘न्याय’ ना मिल सका हो लेकिन कमलनाथ सरकार उनके पुराने आवेदनों पर सिंधिया के ख़िलाफ़ बड़ी कार्रवाई कर सकती है। 

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