मप्र हनी ट्रैप: कोर्ट ने सरकार से कहा, सीबीआई को सौंपें मामला
मध्य प्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप कांड को लेकर हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने कमलनाथ सरकार की जमकर ‘क्लास’ ली है। दस दिनों में तीन बार एसआईटी चीफ़ को बदलने के फ़ैसले पर सवाल खड़ा करते हुए हाई कोर्ट ने पूरा मसला सीबीआई को सौंप देने के लिए कहा है और जवाब देने के लिए सरकार को दो सप्ताह का वक़्त दिया है।
हनी ट्रैप कांड का ख़ुलासा हुए दो सप्ताह से ज़्यादा का वक़्त हो गया है लेकिन तमाम जांच के बाद भी मध्य प्रदेश पुलिस किसी के भी नाम का ख़ुलासा अभी तक नहीं कर सकी है। पिछले दस दिनों में कमलनाथ सरकार ने एसआईटी का तीन बार पुनर्गठन किया है। पूरे मामले को लेकर इंदौर खंडपीठ में तीन अलग-अलग याचिकाएं दर्ज की गई हैं। इन याचिकाओं में हनी ट्रैप जांच की प्रगति के साथ ही मध्य प्रदेश पुलिस और सरकार के कामकाज पर भी अनेक सवाल खड़े किये गये हैं।
हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश सरकार को जमकर आड़े हाथों लिया है। बार-बार एसआईटी का चीफ़ बदलने पर बेंच ने तीख़ी नाराजगी जताई है। कमलनाथ सरकार ने सबसे पहले सीनियर अफ़सर डी. श्रीनिवास को एसआईटी का मुखिया बनाया था। उनके नाम का आदेश जारी होने के 24 घंटे बाद ही उन्हें हटाते हुए संजीव शमी को यह जिम्मेदारी दे दी गई थी। शमी तीन ही दिन काम कर पाये थे कि उन्हें भी सरकार ने हटा दिया था। उन्हें हटाकर राजेन्द्र कुमार को एसआईटी का प्रमुख बना दिया गया था।
याचिकाकर्ता की तरफ़ से वरिष्ठ अधिवक्ता मनोहर दलाल ने अपनी याचिका में कहा है कि हनी ट्रैप मामले में बार-बार एसआईटी में फ़ेरबदल होने से न केवल जांच प्रभावित होगी, बल्कि जांच की निष्पक्षता और गोपनीयता भी प्रभावित होगी।
उच्च न्यायालय ने एसआईटी में हो रहे बदलाव के साथ पूरे प्रकरण की रिपोर्ट तलब की है। हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि हनी ट्रैप मामले में जांच के लिए बनाई गई एसआईटी के चीफ़ को बार-बार क्यों बदला जा रहा है, इसका जवाब गृह विभाग के सचिव बंद लिफ़ाफ़े में हाइकोर्ट के सामने प्रस्तुत करें। हाइकोर्ट के सामने याचिकाकर्ता ने यह भी दलील दी थी कि पुलिस ने अब तक हनी ट्रैप से जुड़े किसी भी शख्स के नाम का ख़ुलासा नहीं किया है। बार-बार एसआईटी में हो रहे बदलाव का असर पुलिस जांच पर पड़ रहा है। लिहाजा, पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए।
जांच को कर सकते हैं प्रभावित
हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता की तरफ़ से यह भी दलील दी गई है कि इस मामले में गिरफ़्तार अभियुक्त प्रभावशाली हैं, इसमें कई रसूखदारों के नाम सामने आ रहे हैं, इसलिए अधिकारियों को बदलने से जांच प्रभावित होने की पूरी आशंका है। इन दलीलों को मानते हुए हाई कोर्ट ने 21 अक्टूबर तक जवाब पेश करने के लिए कहा है। वहीं, हाई कोर्ट ने अब तक इस मामले में लगाई गई सभी याचिकाओं को शामिल कर लिया है। सभी की सुनवाई एक साथ होगी।
‘दोषियों के नाम उजागर करे सरकार’
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी हनी ट्रैप मसले पर सरकार पर बरसे हैं। उन्होंने कहा, ‘मामले में कांग्रेस को गंदी राजनीति नहीं करनी चाहिए। सभी पर संदेह के बादल गहरा देना, किसी का भी नाम चला देना पाप है। जांच को मजाक बना दिया है। बीजेपी के लोग हैं, ऐसा बार-बार कहा जा रहा है।’
“
मैं, मुख्यमंत्री से अपील करूंगा कि वह मध्य प्रदेश को बदनाम ना होने दें। हर नेता-हर नौकरशाह को बदनाम ना होने दें। जो इसमें शामिल हैं, उनका नाम सामने लायें और कार्रवाई करें। मामला ख़त्म करें।
शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश
शिवराज ने यह भी पूछा है कि, ‘सरकार ने सप्ताह भर में एसआईटी के तीन अधिकारियों को आख़िर क्यों बदला सरकार सबसे पहले यह बताए कि वह क्या छिपाना चाह रही है उसे रोका किसने है, जिनके नाम हैं - सामने लाये।’
हनी ट्रैप मामला: एक नज़र में
बता दें कि इस कांड में एसआईटी ने पांच महिलाओं को पकड़ा है। ये महिलाएं अभी जेल में हैं। ये महिलाएं ‘शिकार’ को अपने जाल में फंसाकर अतरंग पलों के वीडियो बना लिया करती थीं और भरोसे में लेकर उनके साथ अश्लील चैटिंग भी करती थीं। बाद में अश्लील वीडियो और चैटिंग का भय दिखाकर हर शिकार को ब्लैकमेल करना गिरोह का काम था। चार हज़ार से ज़्यादा वीडियो और बातचीत की रिकार्डिंग एसआईटी इस गिरोह से बरामद कर चुकी है।
नौकरशाहों, मालदार लोगों को फंसाया
इन महिलाओं ने कई नामी-गिरामी नेताओं के अलावा बड़े नौकरशाहों और मालदार लोगों को फंसाया। लंबे वक़्त तक इन्हें ब्लैकमेल किया। करोड़ों रुपये वसूले। सरकारी ठेके लिये। जांच दल के सूत्रों ने माना है कि अनेक ऐसे चेहरे जब्त किये गये वीडियो और ऑडियो रिकार्डिंग में उजागर हुए हैं, जिनके सार्वजनिक होने पर मध्य प्रदेश की राजनीति और प्रशासनिक हलकों में तूफान खड़ा हो सकता है।
एक पखवाड़े से ज़्यादा समय हो जाने और जांच की प्रगति तेज होने के बावूजद एक भी बड़े नाम अथवा चेहरे को अभी तक जांच दल ने ‘उजागर’ नहीं किया है। बार-बार एसआईटी के मुखियाओं को बदलने से न केवल जांच को लेकर प्रश्न उठ रहे हैं, बल्कि तमाम तरह के संदेह भी गहरा रहे हैं।
उधर, इसी बीच जांच दल को गिरोह की मास्टर माइंड श्वेता स्वप्निल जैन के भोपाल स्थित किराये के घर से एक और हार्डडिस्क मिलने की सूचना है। यह हार्डडिस्क दीवार में चिनवाकर रखी गई थी। गिरोह के दस सालों के ‘कारनामे’ इस हार्डडिस्क में कैद मिले हैं। काफ़ी संख्या में अश्लील वीडियो और ऑडियो चैट में सात रसूखदारों के नाम भी सामने आये हैं।
मंत्री के बयान ने चौंकाया
कमलनाथ सरकार के वरिष्ठ मंत्री डॉ. गोविंद सिंह के एक ताजा बयान ने सभी को चैंकाया है। वह पूर्व में इस कांड को लेकर बार-बार कहते थे कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जायेगा। हाल ही में उन्होंने कहा, ‘गिरोह से बरामद कथित अश्लील वीडियो और ऑडियो रिकार्डिंग के जखीरे की जांच के बाद आयी प्रारंभिक रिपोर्ट इशारा कर रही है कि महिला गैंग एक सूत्रीय तरीके से नेता और अफ़सरों को फंसाने का काम करता था।’ मंत्री द्वारा संकेतों में अधिकारियों और नेताओं को दी जा रही ‘क्लीन चिट’ से सभी लोग हैरान हैं। हैरानी जताने वालों का कहना है, ‘यह सही है कि गिरोह की सदस्य ख़ुफ़िया कैमरों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से लाइव सैक्स को रिकॉर्ड करती थीं, लेकिन नेता, अफ़सर और अन्य रसूखदार उनके पास जाते तो अपनी मर्जी से ही थे ना।’
हनी ट्रैप कांड में पकड़ी गई एक महिला बरखा सोनी के पति अमित सोनी ने मीडिया से कहा है, ‘मेरी पत्नी के कई मंत्रियों और अफ़सरों से बेहद मधुर संबंध थे। इस बात की जानकारी मुझे भी है लेकिन ये संबंध मर्यादाओं को लांघने वाले कदापि नहीं रहे।’
अमित ने यह भी दावा किया कि न तो उनका कोई एनजीओ है और न ही उसकी पत्नी कोई एनजीओ चलाती थी। अमित ने कहा कि पुलिस ने तमाम कहानी गढ़ी है, बरखा निर्दोष है और उसे फंसाया गया है। उन्होंने कहा कि एफ़आईआर में नाम ना होने पर भी पुलिस बरखा को जमकर प्रताड़ित कर रही है और उससे अनेक कोरे कागजों पर साइन करा लिये गये हैं।
सरकार का 'रुख' बदलने पर चर्चा
मध्य प्रदेश में अक्टूबर के तीसरे सप्ताह में ग्लोबल इन्वेस्टर समिट होने जा रही है। देश के नामी-गिरामी उद्योगपतियों के अलावा दुनिया के जाने-माने व्यावसायियों के भी समिट में आने की संभावना है। अनेक बड़े नामों ने समिट में शामिल होने के लिए अपनी सहमति दे दे दी है। तीन दिनों तक उसी इंदौर में समिट का आयेाजन होना है, जहां इस कांड की पहली रिपोर्ट हुई है।
कहा जा रहा है कि सरकार ने अपना ‘रुख’ इस पूरे कांड को लेकर इसलिए ‘बदला’ है ताकि समिट के वक़्त अखबार और मीडिया इसी मसले से रंगे ना रहें। यदि ऐसा हुआ तो सबसे ज़्यादा बदनामी मध्य प्रदेश की होगी और लोग निवेश से कतरायेंगे। इसी ‘रणनीति’ के तहत समिट का आयोजन पूरा ना होने तक सरकार मामले को बहुत ज़्यादा हवा देने के मूड में नहीं बतायी जा रही है।