राजस्थान के करौली में हुई हिंसा के दौरान एक ऐसी महिला की खबर सामने आई है जिसने दंगाइयों का डटकर मुकाबला किया। 48 साल की इस महिला का नाम मधुलिका सिंह है और उन्होंने अपनी बहादुरी से कुल 16 लोगों को बचाया जिनमें से 12 मुसलिम समुदाय से थे और चार हिंदू समुदाय से।
करौली में 2 अप्रैल को रामनवमी के जुलूस के दौरान हिंसा हुई थी और उसके बाद आगजनी भी हुई थी।
मधुलिका सिंह इस इलाके की एक बाज़ार में कपड़ों की दुकान चलाती हैं। इस बाज़ार में बड़ी संख्या में मुसलिम समुदाय के लोगों की भी दुकान है।
पुलिस के मुताबिक, जुलूस में लाउडस्पीकर पर संवेदनशील गाने बजाए जा रहे थे जिसके बाद पत्थरबाजी और हिंसा की घटना हुई।
मधुलिका सिंह ने एनडीटीवी से कहा कि जुलूस में भगदड़ के बाद सारे दुकान वाले घबरा गए थे और उन्होंने अपनी दुकानों के शटर गिरा दिए थे। लेकिन मैंने उन्हें अपने ऊपर के कमरे में बुला लिया और अपना मेन गेट लॉक कर दिया।
मधुलिका सिंह कहती हैं कि उन्होंने इंसानियत के नाते से उन लोगों को बचाया। इस दौरान दंगाइयों ने कई दुकानों में तोड़फोड़ भी की और आग लगा दी। इस पूरे वाकये के दौरान मधुलिका के साथ उनके भाई संजय भी थे।
इसी बाजार में दुकान चलाने वाले मोहम्मद तालिब खान ने एनडीटीवी को बताया कि जब कुछ लोग डंडे वगैरह लेकर बाजार में घूम रहे थे तो मधुलिका सिंह ने उन्हें बुलाया और कहा कि उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी।तालिब खान ने कहा कि उनकी हिफाजत के लिए मधुलिका सिंह 4 घंटे नीचे खड़ी रहीं और गेट खोलने का दबाव बना रहे लोगों को ऊपर नहीं आने दिया।
यहां की बाजार संघ के अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि आपसी भाईचारे में दरार पड़ी हो। उन्होंने कहा कि सभी व्यापारी चाहते हैं कि सरकार इस पर ध्यान दे और आपसी भाईचारे का माहौल फिर से बने।
निश्चित रूप से मधुलिका सिंह ने इंसानियत की बड़ी मिसाल पेश की है और इस बाजार के लोगों ने कहा है कि वे लोग अमन चैन से जीना चाहते हैं। दंगा फसाद में शामिल असामाजिक तत्वों के खिलाफ राजस्थान की गहलोत सरकार को सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।