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मधुबनी हत्याकांडः पांच लोगों की हत्या पर चुप क्यों हैं नीतीश?

मधुबनी हत्याकांडः पांच लोगों की हत्या पर चुप क्यों हैं नीतीश?

बिहार के मधुबनी में 29 मार्च को होली के दिन तीन सहोदर भाइयों समेत एक ही विस्तारित परिवार के पांच लोगों की हत्या नीतीश कुमारसरकार के लिए गंभीर सवाल बनकर खड़ी हुई है।

बिहार के मधुबनी में 29 मार्च को होली के दिन तीन सहोदर भाइयों समेत एक ही विस्तारित परिवार के पांच लोगों की हत्या नीतीश कुमार सरकार के लिए गंभीर सवाल बनकर खड़ी हुई है। यह खबर स्थानीय तौर पर तो सही से कवर की गयी लेकिन पटना और बाकी जगह इसे एक तरह से दबा दिया गया। दो अप्रैल के बाद से इस कांड की चर्चा सोशल मीडिया पर होने के बाद मुख्यधारा की मीडिया में भी इसे प्रमुखता मिली है। 

चूंकि मारे गये सभी लोग राजपूत समाज से हैं और मुख्य आरोपित अन्य जाति का है, इसलिए इस मामले में जातीय जहर भी घुल रहा है। मुख्य आरोपित प्रवीण झा गिरफ्तार हो चुका है लेकिन पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक विनोद नारायण झा से उसकी कथित नजदीकी विवादों के घेरे में है। 

तेजस्वी ने बताया नरसंहार 

यह आरोप भी लग रहा है कि एसपी सत्यप्रकाश मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सजातीय हैं, इसलिए उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। कुल मिलाकर नीतीश सरकार शुरू में इस हत्याकांड पर, जिसे मंत्री नीरज कुमार सिंह और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव समेत कई लोग नरसंहार भी बता रहे हैं, चर्चा न होने से जितनी सहज थी, अब नहीं है। 

होली के दिन क्या हुआ था?

राजधानी पटना से लगभग 190 किलोमीटर दूर उत्तर मधुबनी जिले के बेनीपट्टी थाने के मोहम्मदपुर गांव में होली के दिन जब सारे लोग रंग-गुलाल में मस्त थे, दोपहर एक बजे दिन में छह लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग की गयी। इनमें से एक के बाद एक चार लोगों की मौत तो घटनास्थल पर ही हो गयी, जबकि एक रुद्र नारायण सिंह ने बाद में दम तोड़ दिया। बाकी एक मनोज सिंह का इलाज चल रहा है। ये सभी उसी गांव के थे। 

मरने वालों में एक बीएसएफ के एएसआई राणा प्रताप सिंह भी थे। मारे गये तीन अन्य रणविजय सिंह, वीरेंद्र उर्फ वीरू सिंह और अमरेन्द्र सिंह तीनों सहोदर भाई थे। इन तीनों के पिता सुरेन्द्र सिंह पूर्व सैनिक हैं।

अब तक क्या कार्रवाई हुई?

इस गोलीबारी का कारण पोखर में मछली मारने का पुराना विवाद बताया गया है। इस बारे में दर्ज एफआईआर में 35 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है। इसके अलावा कई अज्ञात भी आरोपित हैं। इनमें से मुख्य आरोपी शूटर प्रवीण झा के अलावा चंदन झा, भोला सिंह और मुकेश साफी को गिरफ्तार करने की जानकारी पुलिस ने कांड के नौ दिन बाद सात अप्रैल को दी। 

एसपी सत्यप्रकाश के मुताबिक 14 नामजद और दो अप्राथमिकी आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है। बेनीपट्टी के थानाध्यक्ष राकेश कुमार रंजन के अनुसार, दस लोगों को पहले गिरफ्तार किया गया था। जो अभियुक्त फरार हैं उनके घरों की कुर्की का अदालती आदेश लिया जा रहा है। 

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हत्याकांड में जातीय रंग कैसे आया?

इस हत्याकांड के बाद नेताओं का दौरा शुरू होने के बाद इस बहस में जातीय जहर भी घुलने लगा। सोशल मीडिया पर भी यह राजपूत बनाम झा बिरादरी का मुद्दा बन गया। दौरा करने वाले अधिकतर नेताओं की जाति भी इसकी जद में आ गयी। 

कांग्रेस एमएलसी प्रेमचंद मिश्रा ने सरकार पर इस घटना को जातीय रंग देने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तापक्ष से जुड़े और एक जाति विशेष के नेता लगातार मोहम्मदपुर का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने सुरेन्द्र सिंह को, जिनके तीन बेटों की हत्या की गयी है, स्थानीय कांग्रेस नेता बताया।

सुशील मोदी का हमला

उधर, बीजेपी सांसद और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर इस हत्याकांड के बहाने जातीय द्वेष की राजनीति को हवा देने का आरोप लगाया। 

उन्होंने ट्वीट किया - “आरजेडी के राजकुमार” आज जिस समाज के लोगों की दुखद हत्या पर ओवर रिएक्शन दे रहे हैं, उसी समाज के एक वरिष्ठ नेता को इन लोगों ने जीते जी इतना अपमानित किया कि एम्स के बेड से सादे कागज पर अपना इस्तीफा लालू प्रसाद को भेजना पड़ा था।” 

मोदी का इशारा आरजेडी के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय रघुवंश प्रसाद सिंह की ओर था। इसके अलावा उन्होंने जगदानंद सिंह की भी चर्चा कर कहा - “आरजेडी के बड़े राजकुमार’ अपने सीनियर नेता को केवल इसलिए खरी-खोटी सुना चुके हैं कि उन्होंने प्रदेश कार्यालय में उनकी अगुवानी नहीं की।” 

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‘रावण सेना’ और पूर्व मंत्री का विवाद

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने छह अप्रैल को पीड़ित परिवारों से मुलाकात के बाद ‘रावण सेना’ का उल्लेख किया जिसे इस हत्याकांड के पीछे बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्य अभियुक्त प्रवीण झा रावण सेना चला रहा है और प्रशासन को पता तक नहीं है। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवारों का कहना है कि प्रवीण झा को एक पूर्व मंत्री का संरक्षण प्राप्त है। इसकी जांच होनी चाहिए। 

वैसे, स्थानीय लोगों के अनुसार प्रवीण झा अपने नाम के साथ रावण लगाता है, इसलिए उसके गुर्गों को रावण सेना का नाम दे दिया गया। 

पुलिस पर आरोप

इस हत्याकांड को लेकर पुलिस पर शिथिलता के आरोप लग रहे हैं। गांव वालों के अनुसार पुलिस थाना महज तीन किलोमीटर दूर है लेकिन कांड के बाद भी उसे वहां पहुंचने में चार घंटे लगे। कई लोगों का यह भी इल्जाम है कि पुलिस को इस हमले के कुछ देर पहले सूचना दी गयी थी लेकिन उसकी ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गयी। पुलिस पर पहले से ही प्रवीण झा को प्रश्रय देने का आरोप भी लगा है। 

मछली मारने से मना किया था

हत्याकांड के बाद मोहम्मदपुर गये वरिष्ठ पत्रकार दिनेश सिंह ने लिखा कि पिछले साल छठ के बाद तालाब में जबरन मछली मारने से मना करने पर प्रवीण झा ने मृतक तीन सहोदर भाइयों के बड़े भाई संजय सिंह को मारकर बुरी तरह घायल कर दिया था। इसके बाद पुलिस ने प्रवीण झा पर कार्रवाई करने के बदले संजय सिंह को ही जेल भेज दिया गया। इसके अलावा संजय सिंह पर फर्जी तौर दलित उत्पीड़न का केस भी दर्ज करवा दिया। संजय सिंह अब भी जेल में हैं। 

नीतीश कुमार पर आरोप

तेजस्वी यादव लगातार सवाल कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दोनों उपमुख्यमंत्री अब तक पीड़ित परिवारों से मिले क्यों नहीं। पूर्व आईपीएस अधिकारी और बिहार विप्लवी परिषद के चेयरमैन अमिताभ कुमार दास ने बिहार के पुलिस महानिदेशक को एक पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि उनका गांव बिजई-सलेमपुर, मधुबनी है और उन्हें पक्की जानकारी है कि इस ’नरसंहार’ का मास्टरमाइंड बेनीपट्टी के बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री विनोद नारायण झा हैं। 

उन्होंने आगे लिखा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निर्देश दिया है कि बीजेपी विधायक विनोद नारायण झा को बचा लेना है। दूसरी ओर विनोद नारायण झा ने बयान जारी कर कहा है कि उनका प्रवीण झा से कोई लेना-देना नहीं है।

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