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बीजेपी-RSS पर मदनी के बयान से क्यों बिफरे मौर्य

बीजेपी-RSS पर मदनी के बयान से क्यों बिफरे मौर्य

मौलाना महमूद मदनी ने अपने संगठन के कार्यक्रम में बीजेपी-आरएसएस से मुस्लिमों के रिश्ते पर विस्तार से रोशनी डाली लेकिन यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने उन्हें चुनौती दे डाली। जानिए मदनी ने क्या कहाः

जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने शनिवार को कहा कि मुस्लिम और उनके संगठन बीजेपी और आरएसएस के खिलाफ नहीं है, लेकिन उनके बीच वैचारिक मतभेद हैं। महमूद मदनी ने कहा कि हिंदुत्व को गलत तरह से पेश किया जा रहा है और हिंदुत्व का वर्तमान स्वरूप भारत की भावना के खिलाफ है। यह अलग बात है कि यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को मदनी का बयान पसंद नहीं आया। मौर्य ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि मदनी किसी मुगालते में नहीं रहें। देश का नेतृत्व मजबूत हाथों में है। हालांकि केशव प्रसाद मौर्य क्या कहना चाहते थे, यह साफ नहीं है। क्योंकि मदनी ने अपने बयान में पीएम मोदी को कोई चुनौती नहीं दी है।

दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीयत के 34वें आम सत्र में मदनी ने यह बात कही। कार्यक्रम रविवार तक चलेगा।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रमुख ने कहा कि पसमांदा मुसलमानों के साथ भेदभाव किया जा रहा है और जेयूएच इन मुसलमानों के आरक्षण के लिए लड़ेगा। उन्होंने पसमांदाओं के उत्थान के लिए सरकार के प्रयासों की सराहना की लेकिन कहा कि इस दिशा में और कोशिशों की जरूरत है। 

उनकी टिप्पणी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में आयोजित बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं से 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने के लिए कहा था।

मदनी ने कहा कि पसमांदाओं के लिए आरक्षण की जरूरत है। हमें जातियों के आधार पर किए जा रहे अन्याय पर खेद है। हर मुसलमान समान है। इस्लाम में जातिगत भेदभाव को स्वीकार नहीं किया गया है।

बीजेपी-संघ से समस्या नहीं

जमीयत प्रमुख ने कहा, आरएसएस के विचार समस्याग्रस्त हैं, लेकिन वर्तमान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा दिए गए हालिया बयानों को भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

मतभेदों को दूर करने के लिए आरएसएस प्रमुख और उसके नेताओं का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा, हम आरएसएस और बीजेपी के खिलाफ नहीं हैं, हमारे बीच वैचारिक मतभेद हैं। सभी नागरिक समान हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि देश में शिक्षा का भगवाकरण हो रहा है। एक खास धर्म की किताबें दूसरों पर थोपी नहीं जानी चाहिए। यह मुसलमानों के लिए अस्वीकार्य है और भारतीय संविधान के मूल्यों के खिलाफ है।

महमूद मदनी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार और उनका प्रशासन नफरती अपराधों और भाषणों का गवाह है। उन्होंने मांग की है कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा भड़काने वालों को विशेष रूप से दंडित करने के लिए एक अलग कानून बनाया जाए। मदनी ने कहा - 

यह 140 करोड़ लोगों का देश है। जहां विविधताएं हैं, फिर भी हम एकजुट हैं। मुसलमानों ने इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह विचार कि हमें पाकिस्तान जाना चाहिए था या हमें जाना चाहिए यह गलत है। इस देश में हमारी जड़ें हैं। हमारी लड़ाई इस देश के बहुमत के खिलाफ नहीं है। मनभेद नहीं है मतभेद है और वह भी एक वर्ग के लोगों के साथ।


-मौलाना महमूद मदनी, अध्यक्ष, जमीयत उलमा-ए-हिंद, 10 फरवरी 2023, दिल्ली में

पैगंबर का अपमान बर्दाश्त नहीं

जमीयत प्रमुख ने कहा, यह धारणा गलत है कि मुसलमान भारत में बोझ हैं। पैगंबर मोहम्मद का अपमान स्वीकार्य नहीं है। मुस्लिम कारीगर और बड़े व्यापारिक घराने सभी तरह की मुश्किलों का सामना करने के बावजूद भारत की जीडीपी में योगदान दे रहे हैं। अरब देशों से भेजे जाने वाले 4-5 अरब डॉलर में से लगभग 70 फीसदी मुस्लिम भेजते हैं।

बता दें कि बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा एक टीवी बहस के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी करने के बाद विवाद हो गया था। इस पर उनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज कराई गईं और उनकी टिप्पणी ने मुस्लिम दुनिया में एक प्रतिक्रिया पैदा की। बीजेपी ने बाद में नूपुर शर्मा को निलंबित कर दिया था। इसके बाद तेलंगाना में बीजेपी विधायक टी. राजा सिंह ने भी आपत्तिजनक बयान दिया।

जमीयत प्रमुख ने तुर्की की सहायता के लिए मोदी को धन्यवाद दिया। यह भारत की विदेश नीति का एक अच्छा हिस्सा है। उन्होंने कहा, फिलिस्तीन और इस्राइल पर भारत की विदेश नीति में बदलाव लंबी अवधि में भारत के लिए फायदेमंद नहीं है। इससे कम फायदा हो सकता है, लेकिन लंबी अवधि में सही नहीं है।

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