+
लखनऊ का लुलु मॉल विवादों में, नमाज पढ़ने का वीडियो सामने आया

लखनऊ का लुलु मॉल विवादों में, नमाज पढ़ने का वीडियो सामने आया

लखनऊ में लुलु मॉल का रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उद्घाटन किया था। बुधवार को जब यह पब्लिक के लिए खुला तो पहल ेही दिन एक लाख लोग यहां पहुंचे लेकिन बुधवार से यह मॉल हिन्दू-मुसलमान विवाद में आ गया। गुरुवार को एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें कुछ लोग इस मॉल में कथित तौर पर नमाज पढ़ते आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर संघ के मुखपत्र ऑर्गनाइजर के ट्विटर हैंडल से यह वीडियो खूब शेयर हुआ। 

लखनऊ में 10 जुलाई को खुला लुलु मॉल सोशल मीडिया की वजह से विवादों में आ गया है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ लोग एक खाली जगह में नमाज पढ़ते नजर आ रहे हैं। वीडियो बनाने वाले ने कहा है कि यह जगह लखनऊ का लुलु मॉल है। इस वीडियो के आने की देर थी कि फौरन हिन्दू संगठनों की प्रतिक्रिया आने लगी। उन्होंने कहा कि अगर वहां नमाज होगी तो हम हनुमान चालीसा पढ़ेंगे। हालांकि लुलु मॉल प्रबंधन की ओर से इसका खंडन किया गया और कहा गया कि मॉल में किसी भी तरह के धार्मिक कार्य की अनुमति नहीं है।

अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने गुरुवार को चेतावनी जारी करते हुए कहा कि अगर खुले में नमाज अदा की जाएगी तो वह धरना, प्रदर्शन और सुंदर कांड का पाठ कर विरोध करेगी। हिन्दू महासभा ने सभी हिंदुओं से मॉल का बहिष्कार करने को भी कहा है। बयान में कहा गया है कि मॉल के 70 प्रतिशत कर्मचारी एक धर्म के हैं। संघ के मुखपत्र ऑर्गनाइजर के ट्विटर हैंडल से शेयर किए गए इस वीडियो को अब तक एक लाख लोग सोशल मीडिया पर देख चुके हैं। लेकिन कोई दावे के साथ यह नहीं कह रहा है कि यह वीडियो लुलु मॉल लखनऊ का है। 

मंगलवार को कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए पूछा कि उन्हें खुले में नमाज अदा करने की अनुमति क्यों दी जा रही है। गुस्से के साथ-साथ कुछ ने यह भी आरोप लगाया कि मॉल के सभी पुरुष कर्मचारी मुस्लिम थे, जबकि महिला कर्मचारी हिंदू थीं। इस कथित तथ्य की भी आलोचना हुई कि कर्मचारी हिंदी नहीं बोल सकते। हालांकि तमाम लोगों ने सवाल उठाया है कि यहां पर मुस्लिम कर्मचारी ज्यादा हैं तो वीडियो में सिर्फ 8 लोग ही क्यों नमाज पढ़ते नजर आ रहे हैं, उनकी संख्या तो ज्यादा होना चाहिए क्योंकि इस मॉल में सैकड़ों कर्मचारी काम कर रहे हैं। 

हालांकि इन बातों का खंडन इस तथ्य से हो जाता है कि मॉल की वेबसाइट पर जॉब ओपनिंग में यह कहीं नहीं लिखा है कि आवेदक किसी विशेष धर्म से संबंधित होने चाहिए।

वीडियो की आड़ में कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने मॉल को लेकर हिन्दू-मुस्लिम विवाद खड़ा कर दिया। एक ने लिखा, 'लुलु मॉल एक मुसलमान ने बनाया है, अगर कुछ हिंदुओं को नमाज से आपत्ति है, तो कृपया मॉल में न जाएं'। एक अन्य यूजर ने लिखा, 'नए भारत में प्रार्थना करना अपराध है?'

 - Satya Hindi

सीएम योगी आदित्यनाथ रविवार को लुलु मॉल में थे। उनके बगल लुलु ग्रुप के चेयरमैन यूसुफ अली एमए हैं।

लखनऊ में लुलु मॉल 2,000 करोड़ रुपये के निवेश से आया है। इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक हाई-प्रोफाइल कार्यक्रम में किया था। उद्घाटन में यूपी विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक भी शामिल थे।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने लुलु मॉल के बनाने के तरीके पर अपनी 'अत्यंत खुशी' जताई थी। उन्होंने इस बात की भी अपनी प्रशंसा की कि समूह के मालिक यूसुफ अली एमए ने प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर और कानपुर में निवेश की घोषणा की है।

बुधवार को एक लाख लोग इस मॉल में आए थे, जिसमें 2.2 मिलियन वर्ग फुट में फैली 300 खुदरा दुकानें हैं। मॉल में 11 मंजिला पार्किंग है। मॉल से 5,000 प्रत्यक्ष और 10,000 अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने की उम्मीद है। संयोग से, परियोजना के लिए भूमि मौजूदा राज्य सरकार ने नहीं बल्कि अखिलेश यादव की सरकार ने दी थी, जो उद्घाटन से गायब थे।

कौन हैं यूसुफ अली

अबू धाबी स्थित सुपर मार्केट चेन लुलु ग्रुप ने रविवार को लखनऊ में अपना चौथा मॉल खोला। कोच्चि, बेंगलुरु और तिरुवनंतपुरम में लुलु ग्रुप लोकप्रिय सुपरमार्केट स्थापित कर चुका है। LuLu Group India हाइपरमार्केट, शॉपिंग मॉल, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, ई-कॉमर्स और फन स्टेशनों में निवेश कर रहा है।

66 वर्षीय युसूफ अली एम ए का जन्म केरल के त्रिशूर जिले में हुआ था, जहां उन्होंने बिजनेस मैनेजमेंट करने के लिए गुजरात जाने से पहले अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। उन्होंने 1973 में ईएमकेई ग्रुप ऑफ कंपनीज में शामिल होने के लिए अबू धाबी के लिए देश छोड़ दिया। उन्होंने 2000 में लुलु हाइपर मार्केट की स्थापना की और अब मध्य पूर्व, एशिया, अमेरिका और यूरोप के 22 देशों में इसका संचालन है। इसके कुल 235 रिटेल स्टोर हैं। पूरी दुनिया में इसके मॉल में 57 हजार लोग काम करते हैं। जिसमें लगभग हर देश के नागरिक शामिल हैं।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें