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बीजेपी ने नवीन पटनायक की 'दोस्ती' देखी, अब जबरदस्त विरोध देखेगी!

बीजेपी ने नवीन पटनायक की 'दोस्ती' देखी, अब जबरदस्त विरोध देखेगी!

बीजेडी ने कहा है कि पार्टी विधायक उन्हें सौंपे गए विभागों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखेंगे और सदन में उनकी चर्चाओं में सक्रियता से उठाएँगे। तो क्या ओडिशा में बीजेपी सरकार के लिए कड़ी मुश्किलें आने वाली हैं?

एनडीए में बीजेपी के लंबे समय तक और सबसे विश्वस्त सहयोगियों में से एक रहे नवीन पटनायक के बीजेडी ने बीजेपी के ख़िलाफ़ अब मोर्चा खोल दिया है! राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता नवीन पटनायक ने अपने 50 पार्टी विधायकों को विभिन्न विभाग सौंपे हैं। बीजेडी हलकों में इसे 'शैडो कैबिनेट' के रूप में देखा जा रहा है। ये विधायक राज्य में भाजपा सरकार के कामकाज की बारीकी से पड़ताल करेंगे और विधानसभा में विभिन्न विभागों से संबंधित मुद्दों को उठाएंगे।

इस तरह के सख़्त रुख को लेकर अपनी स्थिति बीजेडी ने चुनाव नतीजों के तुरंत बाद ही साफ़ कर दी थी। तब पिछले महीने बीजेडी अध्यक्ष नवीन पटनायक ने अपनी पार्टी के नौ राज्यसभा सांसदों के साथ बैठक की थी और उनसे 27 जून से शुरू होने वाले सत्र के दौरान एक मज़बूत विपक्ष के रूप में पेश आने को कहा था।

ये उस बीजेडी का रुख है जिसने या तो लंबे समय तक बीजेपी के साथ गठबंधन में सरकार चलाई है या फिर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन सरकार की नीतियों का समर्थन किया है। बीजेपी और बीजेडी के बीच 1998 से 2009 के बीच एक दशक से अधिक समय तक गठबंधन रहा था। दोनों दल 2009 तक तीन लोकसभा और दो विधानसभा चुनाव एक साथ लड़े थे। लेकिन इस लोकसभा व विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच गठबंधन नहीं हो पाया। 

इस बार विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बीजेपी और बीजेडी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा और इसमें बीजेडी को काफ़ी नुक़सान हुआ। विधानसभा चुनाव में 78 सीटें जीतकर बीजेपी ने सरकार बनाई है, जबकि नवीन पटनायक का बीजेडी 51 सीटें ही जीत पाया। भाजपा ने लोकसभा की 21 में से 20 सीटें जीत ली हैं। वहीं, एक सीट कांग्रेस के खाते में गई है। यहां सत्तारूढ़ बीजेडी का खाता भी नहीं खुल सका है।

बीजेडी की हार के कुछ सप्ताह बाद पार्टी अध्यक्ष नवीन पटनायक, सीएम मोहन चरण माझी के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ भाजपा सरकार को चुनौती देने के लिए अपने प्रयासों को तेज कर रहे हैं। बीजेडी द्वारा बुधवार को जारी एक बयान में पटनायक के हवाले से कहा गया, 

विपक्षी दल लोगों के हितों का संरक्षक है। विपक्षी दल की राज्य विधानसभा में महत्वपूर्ण भूमिका है। विधायक उन्हें सौंपे गए विभागों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखेंगे और राज्य विधानसभा में उन विभागों पर चर्चा के दौरान सक्रिय रूप से भाग लेंगे। वे लोगों के हितों की रक्षा के लिए काम करेंगे।


नवीन पटनायक

माना जा रहा है कि बीजेडी के इस क़दम के पीछे का विचार एक मजबूत विपक्षी दल के रूप में उभरना और विभिन्न मुद्दों पर भाजपा सरकार का मुकाबला करना है।

पटनायक का यह कदम राज्य में पहली भाजपा सरकार के गठन के बाद पहले विधानसभा सत्र के शुरू होने से एक सप्ताह पहले आया है। बजट सत्र 22 जुलाई से शुरू होने वाला है और दो चरणों में 13 सितंबर तक चलेगा।

पटनायक का यह कदम इस बात का भी स्पष्ट संकेत है कि वह ओडिशा की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते रहेंगे और बीजेडी सदन में भाजपा सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाएगा।

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