इस चुनाव में कई प्रत्याशियों ने अपनी पिछली हार का हिसाब बराबर कर लिया है। उन्होंने पिछले चुनाव में सांसद बनने की राह में बाधा बनने वाले वर्तमान सांसदों को हराकर उनका ही रास्ता रोक दिया।
इस चुनाव में बिहार के ऐसे चार प्रत्याशी हैं जिन्होंने पिछली हार का बदला लिया। इसमें एनडीए और महागठबंधन दोनों ही ओर के उम्मीदवार शामिल हैं। सबसे बड़ा उलटफेर तो लालू प्रसाद यादव की पुत्री मीसा भारती ने किया है। मीसा भारती भाजपा सांसद रामकृपाल यादव से न केवल पिछली हार का बदला लिया है बल्कि पाटलीपुत्र लोकसभा सीट पर पहली बार राजद को जीत भी दिलाई। मीसा भारती 85174 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की और रामकृपाल यादव 528109 मत पाकर दूसरे स्थान पर रह गए। मीसा पिछले दो चुनाव में बेहद मामूली अंतर से हार रही थीं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि पाटलिपुत्र सीट पर उनके पिता लालू यादव भी राजद को जीत नहीं दिलवा सके थे। 2009 के चुनाव में लालू प्रसाद यादव भी जदयू उम्मीदवार रंजन यादव से 24 हजार वोटों के अंतर से हार गए थे।
इसी तरह जहानाबाद से राजद के सुरेंद्र यादव ने भी जीत हासिल की। उन्हें पिछली बार जदयू के चंदेश्वर चंद्रवंशी ने पराजित किया था। इस बार सुरेंद्र यादव ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की है, उन्हें 443035 वोट मिले। जबकी जदयू के निर्वातमान सांसद चंदेश्वर चंद्रवंशी 142591 वोटों के अंतर से हार गए। पिछले कई चुनावों से सुरेंद्र यादव राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे और मुंह की खानी पड़ रही थी। 2019 में तो राजद उम्मीदवार सुरेंद्र यादव जदयू प्रत्याशी चंदेश्वर चंद्रवंशी से 2 हजार से भी कम मतों के अंतर से हार गए थे। जहानाबाद की जीत राजद से ज्यादा सुरेंद्र प्रसाद यादव को सुकून देने वाला है।
बिहार में मुजफ्फरपुर से बेहद चौंकाने वाले परिणाम सामने आये हैं। इस बार यहां दोनों ही प्रमुख उम्मीदवार निषाद/मल्लाह समाज से थे। मुजफ्फरपुर में लगभग 2 लाख के आसपास निषाद मतदाता हैं।
पिछले चुनाव में जो दो प्रमुख उम्मीदवार मुकाबले में थे, इस बार भी वही दोनों मुकाबले में थे। फर्क बस इतना था कि इस बार दोनों ही उम्मीदवार पाला बदल चुके थे। पिछले दो चुनाव से बीजेपी के टिकट पर बड़े अंतर से जीत दर्ज कर रहे अजय निषाद को इस बार बीजेपी ने टिकट नहीं दिया, तो वह कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतर गए। जबकि 2019 के चुनाव में वीआईपी के टिकट से चुनाव लड़ने वाले राज भूषण चौधरी को इस बार बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया। यह एक तरह से भारतीय जनता पार्टी का प्रयोग ही था, जिसमें वो सफल रही। क्योंकि जो राजभूषण निषाद 2019 में 4 लाख से भी अधिक मतों के अंतर से हार गये थे, इस बार 234927 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है। अजय निषाद ने 2019 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर लगभग चार लाख से अधिक वोटों के अंतर से राजभूषण चौधरी को पटकनी दे दी थी, इस बार उन्हीं के हाथों मुंह की खानी पड़ी और 384822 मत पाकर दूसरे स्थान पर रह गए।
कटिहार में कांग्रेस के तारीक अनवर ने जदयू के दुलालचंद गोस्वामी को पराजित किया है। पिछली बार 2019 में गोस्वामी ने उन्हें हराया था। इस बार तारीक ने हिसाब चुकता कर लिया। पिछले चुनाव में दुलालचंद गोस्वामी ने कांग्रेस उम्मीदवार तारीक अनवर को लगभग 57 हजार वोटों के अंतर से मात दे दी थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में यहां से यही दोनों उम्मीदवार थे। कांग्रेस उम्मीदवार तारीक अनवर 49863 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है। दुलालचंद गोस्वामी 517229 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रह गए।