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पहले चरण में दाँव पर है इन नेताओं की प्रतिष्ठा

पहले चरण में दाँव पर है इन नेताओं की प्रतिष्ठा

लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण में 20 राज्यों की 91 लोकसभा सीटों पर वोट डाले गए। पहले चरण में कांग्रेस, बीजेपी सहित अन्य राजनीतिक दलों के दिग्गजों की प्रतिष्ठा दाँव पर है। 

लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 11 अप्रैल को 20 राज्यों की 91 लोकसभा सीटों पर वोट डाले गए। इस चरण में बीजेपी, कांग्रेस और अन्य दलों के कई दिग्गज नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों की सीटों पर भी वोट डाले गए। बता दें कि 17वीं लोकसभा के गठन के लिए सात चरणों में मतदान होगा। चुनाव को स्वतंत्र, निष्पक्ष और भयमुक्त तरीके़ से संपन्न कराने के लिए चुनाव आयोग ने देश भर में व्यापक सुरक्षा बंदोबस्त किए हैं। पहले चरण के चुनाव प्रचार में कांग्रेस, बीजेपी सहित अन्य राजनीतिक दलों ने पूरी ताक़त झोंक दी। आइए, इस चरण के प्रमुख उम्मीदवारों और उनकी सीटों पर एक नज़र डालते हैं।

नितिन गडकरी (बीजेपी)

नागपुर में बीजेपी उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और कांग्रेस के नाना पटोले के बीच मुक़ाबला है। कुछ समय पहले पटोले बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आ गए थे। नागपुर में दलित और मुसलिम मतदाता अच्छी संख्या में हैं। यहाँ राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का मुख्यालय भी है, इसलिए यह सीट काफ़ी अहम मानी जाती है। चुनाव में गडकरी के साथ ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की भी प्रतिष्ठा दाँव पर है। 

डॉ. महेश शर्मा (बीजेपी)

देश की राजधानी से सटी उत्तर प्रदेश की गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट प्रदेश की वीआईपी सीटों में शुमार की जाती है। यहाँ से मोदी सरकार में संस्कृति मंत्री महेश शर्मा दोबारा मैदान में हैं।  कांग्रेस के उनके ख़िलाफ़ युवा चेहरे अरविंद कुमार सिंह को उतारा है तो एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन से सतवीर नागर ताल ठोक रहे हैं। इस सीट पर त्रिकोणीय मुक़ाबला माना जा रहा है। 

वीके सिंह (बीजेपी)

बीजेपी के उम्मीदवार और मोदी सरकार में विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ग़ाज़ियाबाद से फिर चुनाव लड़ रहे हैं। ग़ौरतलब है कि पिछले चुनाव में जनरल वीके सिंह को सबसे ज़्यादा रिकॉर्ड 7,58,000 वोट मिले थे और उन्होंने 5,67,000 वोटों के अंतर से कांग्रेस के प्रत्याशी राज बब्बर को हराया था। इस बार कांग्रेस ने यहाँ से युवा नेता डॉली शर्मा को मैदान में उतारा है। उनके लिए प्रियंका गाँधी रोड शो करके कांग्रेस की ताक़त का एहसास भी करा चुकी हैं। गठबंधन की ओर से पूर्व विधायक सुरेश बंसल मैदान में हैं। 

असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम)

हैदराबाद सीट से एक बार फिर मौजूदा सांसद और एआईएमआईएम के नेता असदउद्दीन ओवैसी मैदान में हैं। ओवैसी देश में जाने-पहचाने चेहरे हैं। उनके खिलाफ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने पी. श्रीकांत को टिकट दिया है।

हरीश रावत (कांग्रेस) 

उत्तराखंड की इस हाई प्रोफ़ाइल सीट से कांग्रेस उम्मीदवार और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का सियासी करियर दाँव पर लगा हुआ है। रावत का सीधा मुक़ाबला बीजेपी के उम्मीदवार अजय भट्ट से है। अजय भट्ट बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं लेकिन 2017 में मोदी लहर में वह विधानसभा चुनाव हार गए थे। हरीश रावत भी तब दो सीटों से चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें हार मिली थी। 

चिराग पासवान (एलजेपी)

जमुई से केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान फिर से एलजेपी के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं। उनका मुक़ालबा उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी के भूदेव चौधरी से हैं। ग़ौरतलब है कि बिहार में जेडीयू-बीजेपी-एलजेपी का गठबंधन है। दूसरी ओर कांग्रेस-आरजेडी-आरएलएसपी-हम और कुछ अन्य दल मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। 

जीतनराम माँझी (हम)

आरजेडी-कांग्रेस-हम-आरएलएसपी के महागठबंधन की ओर से गया सीट से पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम माँझी चुनाव मैदान में हैं। यहाँ से जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के विजय माँझी से उनका सीधा मुक़ाबला है। इस सीट पर माँझी, मुसलिम और यादव वोटर अच्छी संख्या में हैं। 

सत्यपाल सिंह (बीजेपी)

बाग़पत सीट से चौधरी अजित सिंह लंबे समय तक सांसद रहे हैं। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह ने हरा दिया था। सत्यपाल सिंह इस सीट पर दोबारा से बीजेपी उम्मीदवार हैं। इस बार उनका मुकाबला अजित सिंह के बेटे और पूर्व सांसद जयंत चौधरी से है। जयंत चौधरी पिछला लोकसभा चुनाव मथुरा से हार गए थे। 

नसीमुद्दीन सिद्दीकी (कांग्रेस)

कभी बीएसपी की राजनीतिक प्रयोगशाला रहे बिजनौर से मायावती ने लोकसभा में क़दम रखा था। यहाँ 40 फ़ीसदी मुसलमान होने के बावजूद गठबंधन ने मलूक नागर को अपना उम्मीदवार बनाया है। मलूक नागर का सीधा मुक़ाबला बीजेपी सांसद भारतेंद्र सिंह से होने की उम्मीद जताई जा रही है। कांग्रेस ने पहले घोषित की गईं उम्मीदवार इंदिरा भाटी का टिकट काटकर बीएसपी के कद्दावर नेता रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी को चुनाव मैदान में उतारा है। 

चौधरी अजित सिंह (आरएलडी)

मुज़फ़्फ़रनगर में 2013 में हुए दंगों के बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में जबरदस्त ध्रुवीकरण हुआ था। इससे बीजेपी को ख़ासा फायदा हुआ था और उसे उत्तर प्रदेश में अकेले दम पर 71 सीटों पर जीत मिली थी। इस बार यहाँ से एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन की ओर से चौधरी अजित सिंह मैदान में हैं। 2014 में वह अपने गढ़ बाग़पत में हार गए थे। उनका मुक़ाबला बीजेपी के उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान से है।

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