लोकसभा स्पीकर का चुनावः भाजपा की 'टाइमपास' रणनीति काम नहीं कर पाई
लोकसभा स्पीकर को लेकर अगर विपक्षी नेता अगर फौरन फैसला नहीं लेते तो भाजपा अपनी रणनीति में सफल होने जा रही थी। विपक्ष गठबंधन इंडिया ने सुबह 11.50 तक इंतजार किया कि शायद भाजपा आलाकमान (मोदी-अमित शाह) मान जाएं और विपक्ष को डिप्टी स्पीकर का पद देकर स्पीकर पर समझौता कर लें। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भाजपा आलाकमान और उसके पैरोकार 12 बजे तक का समय पास करना चाहते थे। इस बात को विपक्ष ने भांप लिया। भाजपा आलाकमान के निर्देश पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्षी नेताओं से बुधवार सुबह संपर्क साधना शुरू किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राजनाथ से कहा कि अगर सरकार डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को दे दे तो स्पीकर पर आम राय कायम हो सकती है। लेकिन राजनाथ ने जवाब नहीं दिया।
इसके बाद इंडिया गठबंधन की ओर से केसी वेणुगोपाल और टीआर बालू को लोकसभा में राजनाथ सिंह के पास अंतिम बातचीत के लिए भेजा गया। वेणुगोपाल और बालू ने कहा कि विपक्ष डिप्टी लोकसभा स्पीकर अपना चाहता है। हम स्पीकर को समर्थन उस स्थिति में दे देंगे।
केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए कहा कि "स्पीकर पद के बारे में बात करने के लिए केसी वेणुगोपाल और टीआर बालू आए थे। उन्होंने रक्षा मंत्री से बात की। रक्षा मंत्री ने एनडीए की ओर से लोकसभा स्पीकर उम्मीदवार के बारे में जानकारी दी और समर्थन मांगा। वेणुगोपाल ने कहा कि डिप्टी के बारे में बताइए। रक्षा मंत्री ने कहा कि जब चुनाव आएगा तो हम साथ बैठेंगे और चर्चा करेंगे...लेकिन वे लोग अपनी शर्त पर अड़े रहे।'' राजीव रंजन सिंह ने दावा किया कि वेणुगोपाल और टीआर बालू ने कहा था कि वे एनडीए उम्मीदवार का समर्थन तभी करेंगे जब सरकार उपसभापति का पद विपक्ष को देगी।
केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद पीयूष गोयल ने कहा कि केसी वेणुगोपाल और टीआर बालू शर्तें तय करना चाहते थे। गोयल ने कहा "सुबह राजनाथ सिंह मल्लिकार्जुन खड़गे से चर्चा करना चाहते थे। वह व्यस्त थे इसलिए उन्होंने कहा कि केसी वेणुगोपाल आपसे बात करेंगे। उनकी शर्त थी कि पहले तय हो कि लोकसभा का उपाध्यक्ष कौन होगा और फिर अध्यक्ष के लिए समर्थन दिया जाएगा।''
गोयल ने कहा- "अध्यक्ष को आमराय से चुनना एक अच्छी परंपरा होती। अध्यक्ष किसी पार्टी या विपक्ष का नहीं होता, वह पूरे सदन का होता है। इसी तरह, उपाध्यक्ष भी किसी पार्टी या समूह का नहीं होता, वह पूरे सदन का होता है। इसलिए सदन की सहमति होनी चाहिए। ऐसी शर्तें कि किसी विशेष पार्टी का कोई विशेष व्यक्ति ही उपाध्यक्ष हो, लोकसभा की किसी भी परंपरा में फिट नहीं बैठती है।''
इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के. सुरेश ने कहा कि कांग्रेस ने सरकार की प्रतिक्रिया के लिए समय सीमा से 10 मिनट पहले सुबह 11.50 बजे तक इंतजार किया। फिर मैंने अपना नामांकन दाखिल कर दिया। यह पार्टी का निर्णय है, मेरा नहीं। लोकसभा में एक परंपरा है कि अध्यक्ष सत्ता पक्ष से होगा और उपाध्यक्ष विपक्ष से होगा... उपाध्यक्ष हमारा अधिकार है। लेकिन वे इसे हमें देने के लिए तैयार नहीं हैं। सुबह 11:50 बजे तक हम सरकार की ओर से जवाब का इंतजार कर रहे थे, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया, इसलिए हमने नामांकन दाखिल किया।
ऐसा नहीं है कि भाजपा कोई नई परंपरा कायम करती। उपसभापति यानी डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को मिलता रहा है। यूपीए सरकार में कांग्रेस ने हमेशा यह पद विपक्ष को दिया। भाजपा ने 2014 में अपनी सहयोगी पार्टी अन्नाद्रमुक के एम थंबी दुरई को उपाध्यक्ष नियुक्त किया था। तब भी उसने विपक्ष को यह पद नहीं दिया। हो सकता है कि इस बार भी वो टीडीपी या जेडीयू के किसी सांसद को डिप्टी स्पीकर का पद दे दे। लेकिन वो फिर एनडीए का ही हिस्सा रहेगा। 2019 में भाजपा ने यह पद खाली रखा। अब 2024 में वो फिर से इस पद के लिए पैंतरेबाजी कर रही है। विपक्ष ने पेशकश की थी कि स्पीकर का चुनाव आम राय से हो और डिप्टी स्पीकर विपक्ष से बने लेकिन भाजपा ने यह मांग स्वीकार नहीं की।