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लोकसभा चुनावः मतदाता बढ़ रहे, मतदान घट रहा, 5 चरणों का डेटा यही कहता है

लोकसभा चुनावः मतदाता बढ़ रहे, मतदान घट रहा, 5 चरणों का डेटा यही कहता है

देश में एक तरफ तो मतदाता बढ़ रहे हैं लेकिन मतदान गिर रहा है। पहले पांच चरणों में 2019 में 426 सीटों पर 70.1 करोड़ वोट पड़े थे। लेकिन 2024 में इतने ही राउंड में 428 सीटों पर 50.7 करोड़ वोट पड़े। हालांकि देश में रजिस्टर्ड मतदाता करीब 7.2 करोड़ बढ़ चुके हैं। द वायर ने डेटा के आधार पर इसका विश्लेषण किया है। आप भी जानिएः

भारत में 2024 में मतदाओं के बढ़ने का आंकड़ा 96.8 करोड़ हो गया, 2019 में इनकी तादाद 89.6 करोड़ थी। लेकिन अभी चल रहे लोकसभा चुनाव के पांच चरणों में करीब 19.4 करोड़ (19,37,72,469) वोटों की गिरावट दर्ज की गई। यह डेटा चुनाव आयोग द्वारा अब तक मुहैया कराए गए फाइनल या अंतिम आंकड़ों से सामने आया है।

द वायर ने इस डेटा का विश्वलेषण किया है। 2024 के पांच चरणों में 2019 के मुकाबले दो सीटें ज्यादा यानी 428 पर चुनाव हुआ, पांच साल पहले 426 पर पांच चरणों में वोट डाले गए गए थे। 2019 में इसी अंतराल में 70.1 करोड़ (70,16,69,757) वोट डाले गए थे जबकि इस बार 50.7 करोड़ (50,78,97,288) वोट डाले गए हैं। चुनाव आयोग की इस बात के लिए आलोचना हो रही थी कि उसने पूरा डेटा नहीं दिया और जो डेटा दिया, उसमें भी बार-बार बदलाव किया गया। हर मतदान केंद्र वार डेटा को लेकर अभी भी विवाद हो रहा है। लेकिन यहां उस डेटा की बात हो रही है, जिसे चुनाव आयोग ने अंतिम या फाइनल आंकड़े के रूप में जारी किया है। इसमें अब कोई बदलाव नहीं हो सकता। इसलिए इन आंकड़ों का विश्लेषण जरूरी है।

पहले चरण की स्थिति

चुनाव आयोग के मुताबिक 2024 के पहले चरण में 102 सीटों पर कुल 11,00,52,103 वोट पड़े। 2019 के आम चुनाव में पहले चरण में 14,20,54,978 वोट पड़े थे और सिर्फ 91 सीटों पर वोटिंग हुई थी। इस बार सीटों की संख्या ज्यादा होने और मतदाता बढ़ने के बावजूद पहले चरण में 2019 की तुलना में 3.2 करोड़ (3,20,02,875) वोट कम पड़े हैं।

दूसरे चरण की स्थिति

दूसरे चरण का आंकड़ा आंख खोलने वाला है। ज्यादा सीट होने के बावजूद गिरावट ज्यादा बड़ी दर्ज की गई। 2019 में दूसरे चरण में महज 88 सीटों पर चुनाव हुआ था, 2024 में दूसरे चरण में 95 सीटों पर चुनाव हुआ। दूसरे चरण में ज्यादा सीटों पर चुनाव होने के बावजूद 10,58,30,572 वोट डाले गए। जबकि 2019 में कम सीटें होने के बावजूद 15,52,49,472 वोट डाले गए थे। इस तरह इस बार 4.9 करोड़ (4,94,18,900) का अंतर मामूली नहीं है। चुनाव आयोग के पास करोड़ों का बजट है, सिर्फ इस बात का प्रचार करने के लिए मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक कैसे लाया जाए। लेकिन वो भीषण गर्मी में चुनाव कराएगा तो क्या होगा। अगर किसी सरकार के खिलाफ एंटी इन्कम्बेंसी बनी हुई है तो क्या चुनाव को भीषण गर्मी में कराया जाएगा, ताकि कम लोग वोट डालने जाएं।  

तीसरे चरण की स्थितिः तीसरे राउंड में मतदान बेतहाशा कम हुआ लेकिन अगर 2019 से तुलना करें तो 2024 में इस चरण में सीटें कम थीं।2024 में तीसरे चरण में 2019 के आम चुनाव की तुलना में 7.5 करोड़ (7,52,74,480) वोट कम डाले गए। हालांकि 2019 के तीसरे चरण में 117 सीटों पर वोट पड़े थे और कुल 18,85,09,156 लोगों ने वोट डाले थे। 2024 के तीसरे चरण में सिर्फ 93 सीटों पर वोट पड़े और 11,32,34,676 लोगों ने वोट डाले।

चौथे चरण की स्थिति

इस बार चौथे चरण में सुधार हुआ लेकिन फिर भी वो 2019 के चौथे चरण से कम रहा। चौथे चरण में वोटों का अंतर 57.9 लाख (57,98,110) है। 2024 के तीसरे चरण में सीटों की कुल तादाद 2019 की तुलना में 24 अधिक है। 

2019 में 72 सीटों पर 12,82,67,429 लोगों ने वोट डाले थे लेकिन 2024 में 96 सीटों पर 12,24,69,319 लोगों ने वोट डाले हैं। सीटें बढ़ने के बावजूद 2024 में वोट डालने के लिए लोग कम निकले, अन्यथा कुल वोट बढ़ने चाहिए थे।

पांचवें चरण की स्थिति

पांचवें चरण में दो सीटों के मामूली अंतर के बावजूद मतदान करने लोग कम निकले। 2019 में पांचवें चरण में 51 सीटों पर 8,75,88,722 मतदाताओं ने वोट डाला था। 2024 में 49 सीटों पर 5,57,10,618 मतदाताओं ने वोट डाला। इस तरह 2019 के मुकाबले इस बार 3.1 करोड़ (3,18,78,104) कम लोगों ने वोट डाले। 

पांच चरणों का यह डेटा लोकसभा क्षेत्रवार तभी आ सका जब चुनाव आयोग की चौतरफा आलोचना होने लगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग का खुलकर बचाव किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट सार्वजनिक आलोचनाओं को कैसे रोक सकता है। लोगों ने, राजनीतिक दलों ने, एडीआर जैसे एनजीओ ने इस मुद्दे को उठाया। इन सभी का सीधा सवाल यही है कि मतदान प्रतिशत देर से क्यों बताया गया, हर बूथ के कुल मत की सूचना आयोग के वेबसाइट पर क्यों नहीं, फॉर्म 17 सी का डेटा देर से देने या न देने की वजह क्या है। इन सारी सूचनाओं को देर से देने या न देने या खुलासा न करने की तमाम अजीबोगरीब वजहें चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताईं। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को क्लीन चिट देते हुए उसे छूट दे दी की वो बताए या न बताए। लेकिन चुनाव आयोग सोशल मीडिया पर उन बहसों को नहीं रोक पाया, जो आयोग को कटघरे में खड़ा कर रही हैं। जबकि चुनाव आयोग ईवीएम पर पहले से ही तमाम सवालों के घेरे में है। 

बहरहाल, शनिवार को चुनाव आयोग ने पांच चरणों का जो अंतिम डेटा जारी किया, उससे यह तो साबित हुआ कि मतदान कम हुआ है। लेकिन यहां याद दिलाना जरूरी है कि पहले चरण का डेटा 10 दिनों पर आयोग ने जारी किया था। इसी तरह दूसरे, तीसरे और चौथे चरण का अंतिम डेटा जारी करने में भी कई दिनों का गैप रहा है। फिर उसने जो पांचों चरण का डेटा हर लोकसभा क्षेत्र के हिसाब से जारी किया, उसमें भी फर्क है।

इस चुनाव के बाद यह बहस जिन्दा रहेगी कि जब बैलेट पेपर से चुनाव होते थे और जिसे अब चुनाव आयोग बहुत जटिल प्रणाली बताता है, उस समय भी अंतिम डेटा उसी दिन देर रात या अगले दिन सुबह उपलब्ध हो जाता था। अब आप जब ईवीएम से चुनाव करा रहे हैं और जहां मात्र एक बटन के जरिए सारे डेटा विभिन्न तरीके से हर समय उपलब्ध रहता है, आप फौरन ही उसे जारी कर सकते हैं। हमने यह भी मान लिया कि पोलिंग बूथ पर तैनात कर्मचारी ईवीएम लेकर तमाम जगहों पर देर से पहुंचते होंगे, तब भी अंतिम डेटा अगले दिन तो जारी हो सकता है। क्योंकि ईवीएम द्वारा उपलब्ध कराए गए डेटा का मालिक तो चुनाव आयोग है, वो जितना देर करेगा या रोकेगा, उससे सवाल और संदेह बनेंगे। 

आम चुनाव 2019 में भी सात चरणों में हुए थे और आम चुनाव 2024 भी सात चरणों में हो रहे हैं। 2019 में नतीजे 25 मई को घोषित कर दिए गए थे। इस बार 4 जून को आएंगे। अगर आप सभी मतदाताओं की सहभागिता चाहते हैं तो भीषण गर्मी में चुनाव कराना कहां की अक्लमंदी है। चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट को इस मुद्दे पर विचार करना चाहिए कि आखिर किस महीने चुनाव हो कि कम से कम 90 फीसदी लोग मतदान कर सकें। अगर 60-62 फीसदी कुल मतदान में से कोई राजनीतिक दल 36-38 फीसदी वोट हासिल कर सरकार बना लेता है तो वो कैसा जनमत होगा, इसे कोई भी आसानी से समझ सकता है। अगर ऐसे वोट लेकर कोई राजनीतिक दल भारत की सबसे लोकप्रिय पार्टी होने का दावा करे तो लोकतंत्र हमेशा संकट में ही रहेगा।

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