+
मतदान के तीसरे चरण में 57% सीटों पर वोट प्रतिशत में गिरावट से क्या संकेत है

मतदान के तीसरे चरण में 57% सीटों पर वोट प्रतिशत में गिरावट से क्या संकेत है

चुनाव आयोग ने तीसरे चरण का डेटा जारी कर दिया है। आयोग का आंकड़ा बता रहा है कि करीब 57 फीसदी सीटों पर मतदान प्रतिशत में गिरावट हुई है। लेकिन कुछ सीटों पर ज्यादा मतदान भी हुआ। इन सब तथ्यों से क्या संकेत मिल रहे हैं। भाजपा के लिए तीसरा चरण और चौथा चरण काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। चौथे चरण का मतदान तो सोमवार 13 मई को है लेकिन तीसरे चरण के आंकड़ों से भाजपा हिली हुई है। जानिएः

चुनाव आयोग ने 7 मई को तीसरे चरण के लिए 93 सीटों पर हुए मतदान प्रतिशत का डेटा 11 मई शनिवार को जारी किया। उसका कहना है कि तीसरे चरण में 65.68 फीसदी लोगों ने मतदान किया है। लेकिन अगर इन आंकड़ों की तुलना 2019 के पिछले लोकसभा चुनाव से की जाए तो यह 1.32 फीसदी कम है। आयोग के आंकड़े बता रहे हैं कि 40 सीटों पर तो मतदान प्रतिशत बढ़ा है लेकि 53 सीटों पर मतदान प्रतिशत में गिरावट देखने को मिली। ये 53 सीटें 57 फीसदी बैठती हैं। यानी मतदान प्रतिशत में गिरावट सीट की संख्या के हिसाब से ज्यादा है। 

गुजरात की 8 सीटों पर सबसे कम मतदान

गुजरात के चुनाव नतीजों की भविष्यवाणी अभी से नहीं की जा सकती लेकिन संकेत बता रहा है कि सरकार के प्रति मतदाताओं की नाराजगी या एंटी इन्कबेंसी बढ़ी है। गुजरात की जिन 8 सीटों पर सबसे कम मतदान हुआ, वो हैं बारडोली, दाहोद, अहमदाबाद पूर्व, नवसारी, वडोदरा, गांधीनगर, महेसाणा और अमरेली। दक्षिणी गुजरात में पड़ने वाले बारडोली में सबसे बड़ी 9 फीसदी की गिरावट सामने आई। हॉट सीट गांधीनगर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मैदान में हैं, वहां भी 6 फीसदी की गिरावट सामने आई। दाहोद में तो भाजपा नेता के बेटे ने मतदान बूथ पर ही कब्जा करके फर्जी वोटिंग की और उसे सोशल मीडिया पर लाइव भी दिखाया। गुजरात में मतदाताओं को भाजपा मतदान केंद्रों पर नहीं ला पाई। गांधीनगर में तो पीएम मोदी खुद वोट डालने पहुंचे थे। लेकिन इसके बावजूद लोगों में मतदान को लेकर उत्साह नहीं देखा गया। इसी से संकेत मिलता है कि भाजपा गुजरात में जिस लोकप्रियता का दावा करती है, उसमें कमी आई है। ये आंकड़े अंत में हार-जीत के नतीजे क्या देंगे, इस पर सब कुछ निर्भर करेगा।

चुनाव आयोग का कहना है कि 16 लोकसभा सीटों पर वोट डालने वाली महिलाओं की तादाद ज्यादा थी। ये 16 सीटें असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव में आती हैं। 2019 में भी 18 सीटों पर पुरुष मतदाताओं के मुकाबले महिलाओं ने ज्यादा वोट डाले थे। इन 18 में वो 16 सीटें भी शामिल थीं। लेकिन इस बार गुजरात की 9 सीटों पर महिला-पुरुष के बीच मतदान प्रतिशत का अंतर ज्यादा था। पोरबंदर, जामनगर, खेड़ा और राजकोट में तो पुरुष मतदान महिला मतदान से 10 फीसदी ज्यादा था। इसी तरह मध्य प्रदेश के ग्वालियर में इस बार महिलाओं के मुकाबले पुरुषों ने ज्यादा मतदान किया। आयोग के मुताबिक पुरुषों में मतदान प्रतिशत 7 फीसदी तक ऊपर गया, जबकि महिलाओं में 2.6 फीसदी नीचे आया है। जबकि 2019 के पिछले चुनाव में महिलाओं का प्रतिशत ज्यादा था। पिछली बार पुरुषों के मुकाबले 4 फीसदी महिलाओं ने ज्यादा वोट डाले थे।

चुनाव आयोग पर फाइनल मतदान प्रतिशत देर से जारी करने का आरोप लगातार लग रहा है। तीसरे चरण के बाद भी देरी हुई है। लेकिन आयोग ने शनिवार को अपने बयान में कहा, "अंतिम मतदान प्रतिशत का आंकड़ा सिर्फ गिनती के बाद ही मिलेगा, जिसमें पोस्टल बैलेट की गिनती और कुल वोटों की गिनती शामिल होती है।"

संकेत क्या है

गिरि इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज की नोमिता पी कुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा कि “अगर मतदान कम होता है तो मतदाताओं के दिमाग को पढ़ना मुश्किल होता है। मुख्य नियम यह है कि यदि मतदान प्रतिशत 5% तक कम होता है तो हम समझते हैं कि लोग बदलाव नहीं चाहते हैं और उनमें जड़ता की कमी है। उस परिदृश्य में स्थानीय मुद्दे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जिसके परिणामस्वरूप कभी-कभी आश्चर्यजनक परिणाम मिलते हैं। कुछ भी हो सकता है।” 

हालांकि कुछ विशेषज्ञों ने कम मतदान की या मतदान प्रतिशत गिरने की और भी वजहें बताई हैं। विशेषज्ञ इस गिरावट के लिए चिलचिलाती धूप, बढ़ते तापमान को जिम्मेदार मानते हैं। इस वजह से भाजपा को इंडिया गठबंधन से कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है। जबकि चुनाव आयोग ने भाजपा की सलाह से ही मतदान कार्यक्रम तैयार किया है जो देखने से ही साफ हो जाता है। अन्यथा जो आम चुनाव चार-पांच चरणों में खत्म हो जाते थे, उनका विस्तार 7 चरणों तक कर दिया गया है। बहरहाल, कम मतदान का संकेत भ्रमित करने वाला है। कुछ भी हो सकता है। नतीजा संगठन की लामबंदी क्षमता पर निर्भर करेगा। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें