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कांग्रेस गरीब महिला को देगी 1 लाख, क्या उसके 5 वादे बदलेंगे चुनावी फिज़ा

कांग्रेस गरीब महिला को देगी 1 लाख, क्या उसके 5 वादे बदलेंगे चुनावी फिज़ा

कांग्रेस ने बुधवार को महिलाओं के लिए पांच बड़ी घोषणाएं की हैं। ये घोषणाएं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अलग-अलग जगहों पर की हैं। महिलाओं से वादे लोकसभा चुनाव के मद्देनजर किए गए हैं, लेकिन क्या इन घोषणाओं से कांग्रेस अपने पक्ष में महिलाओं के वोट हासिल कर पाएगी। जानिएः

देश में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने बुधवार 13 मार्च को 'नारी न्याय गारंटी' का ऐलान किया है। ये वादे उसके घोषणापत्र का हिस्से भी हैं। कांग्रेस की यह पहल आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि की महिलाओं को सालाना ₹1 लाख की वित्तीय सहायता का वादा कर रही है। इसके साथ ही, कांग्रेस ने 'महालक्ष्मी', 'आधी आबादी पूरा हक', 'शक्ति का सम्मान', 'अधिकार मैत्री' और 'सावित्रीबाई फुले छात्रावास' नाम से पांच प्रमुख वादों की रूपरेखा तैयार की। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो महिलाओं के लिए 5 कल्याणकारी योजनाएं लाएंगे। पार्टी ने वादा किया कि हर गरीब परिवार की एक महिला को 'महालक्ष्मी' गारंटी के तहत प्रति वर्ष 1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।

इसमें 'आधी आबादी पूरा हक' गारंटी के तहत रोजगार का वादा किया गया और कहा गया कि केंद्र सरकार के स्तर पर होने वाली नई भर्तियों में आधी पर महिलाओं का अधिकार होगा।

कांग्रेस ने कहा कि 'शक्ति का सम्मान' गारंटी के साथ आंगनवाड़ी, आशा और मध्याह्न भोजन कार्यकर्ताओं की मासिक आय में केंद्र सरकार का योगदान दोगुना हो जाएगा। इसकी चौथी गारंटी थी 'अधिकार मैत्री'. इसमें महिलाओं के लिए हर पंचायत में कानूनी सहायता नियुक्त करने का वादा किया गया।

इसकी आखिरी गारंटी है 'सावित्रीबाई फुले छात्रावास'। कांग्रेस ने कहा कि उसकी सरकार जिला मुख्यालयों पर कामकाजी महिलाओं के लिए कम से कम एक छात्रावास बनाएगी। देशभर में इन हॉस्टलों की संख्या दोगुनी की जाएगी।

खड़गे ने अपने वादों को पूरा करने के लिए कांग्रेस की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा, "इससे पहले, हमने सहभागी न्याय, किसान न्याय और युवा न्याय की घोषणा की थी। और, कहने की जरूरत नहीं है, हमारी गारंटी सिर्फ खोखले वादों और बयानों से कहीं अधिक है।" उन्होंने कहा, "हमारे शब्द पत्थर की लकीर हैं। यह हमारा रिकॉर्ड है: 1926 से लेकर आज तक, जब हमारे विरोधी पैदा हुए थे, हमने घोषणापत्र जारी किए हैं और उन घोषणाओं को पूरा किया है। उन्होंने कहा, "आप सभी कांग्रेस पार्टी को अपना आशीर्वाद देते रहें और लोकतंत्र और संविधान को बचाने की इस लड़ाई में हमारे हाथ मजबूत करें।" बता दें कि पिछले हफ्ते, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने युवा मतदाताओं को लक्षित करते हुए पांच प्रमुख चुनावी वादों की घोषणा की, जिसमें डिग्री/डिप्लोमा धारकों के लिए गारंटीकृत प्रशिक्षुता और समयबद्ध तरीके से केंद्र सरकार के 30 लाख रिक्त पदों को भरना शामिल है।

महाराष्ट्र के धुले में राहुल गांधी ने अपनी यात्रा के दौरान बुधवार को कहा-  "..हमारी दूसरी भारत जोड़ो यात्रा में, हमने एक नया शब्द 'न्याय' जोड़ा है क्योंकि हमारी पहली यात्रा में हम जिससे भी मिले, चाहे किसान हों, युवा हों। या महिला, कहा हिंसा और नफरत का कारण है अन्याय...90% भारतीयों को हर दिन अन्याय का सामना करना पड़ता है। मुझे नहीं पता कि आप सब यह जानते हैं या नहीं, लेकिन भारत में 22 लोगों की संपत्ति देश के 70 करोड़ लोगों की संपत्ति के बराबर है।..."

क्या बदलेगी चुनावी फिजा

कांग्रेस पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी जनता और खासकर गरीबों के लिए कई घोषणाएं की थीं। लेकिन लोगों ने भाजपा को भारी बहुमत से जिताया। हालांकि कांग्रेस ने अपनी योजनाओं को ग्रामीणों पर आधारित बनाई थी। फिर किसी ने उन पर ध्यान नहीं दिया। 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में महिलाओं को केंद्र में रखकर प्रियंका गांधी ने लड़की हूं लड़ सकती हूं का नारा दिया था और कई घोषणाएं की थीं। लेकिन लोग भाजपा को लाए। इसी तरह अब 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर युवकों और महिलाओं के लिए अलग-अलग वादे किए गए हैं। कांग्रेस की बुधवार की घोषणा बहुत ही बेहतरीन है। इसकी गृह लक्ष्मी योजना के तहत गरीब परिवार की एक महिला को हर महीने 8000 रुपये से कुछ ज्यादा मिलेंगे यानी साल में एक लाख रुपये उस परिवार में सरकार देगी। ऐसी किसी तरह की देशव्यापी योजना अभी तक भाजपा सरकार नहीं लागू कर पाई है। लेकिन एमपी में पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की लाडली बहना योजना से भाजपा ने 2023 का विधानसभा चुनाव जीत लिया था। यह अलग बात है कि भाजपा आलाकमान ने उन्हें इस बार सीएम पद से हटा दिया।

कांग्रेस के साथ सबसे बड़ा संकट यह रहता है कि अच्छी योजनाएं और वादे होने के बावजूद उनकी जानकारी आम लोगों तक नहीं पहुंच पाती। जब तक उसकी घोषणाएं जनता के बीच नहीं पहुंचेंगी, चुनावी फिजा का उसके पक्ष में बदलना मुश्किल है।

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