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लोकसभा चुनाव नतीजे बताते हैं कि भारत हिंदू राष्ट्र नहीं: डॉ अमर्त्य सेन

लोकसभा चुनाव नतीजे बताते हैं कि भारत हिंदू राष्ट्र नहीं: डॉ अमर्त्य सेन

दुनिया के जाने-माने अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित डॉ अमर्त्य सेन भारत में हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों से बहुत खुश हैं। वो बुधवार को कोलकाता पहुंचे। मीडिया से बात की। पढ़िए, क्या कहा उन्होंनेः

नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ अमर्त्य सेन ने कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजों से पता चला है कि भारत हिंदू राष्ट्र नहीं है। बुधवार रात अमेरिका से आने पर मीडिया से बात करते हुए, महान अर्थशास्त्री ने कहा: "भारत एक हिंदू राष्ट्र नहीं है, यह भारतीय मतदाताओं की राय से साबित होता है।"

देर रात शांतिनिकेतन स्थित अपने घर पहुंचे डॉ सेन इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दे रहे थे कि देश को एक दशक के बाद विपक्ष का कोई नेता मिला है। बता दें कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को लोकसभा में नेता विपक्ष बनाया गया है।

जब डॉ सेन से पूछा गया कि नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने और उन्हें पहली बार सहयोगी दलों पर निर्भर रहना पड़ रहा है, तो उन्होंने कहा, ''अतीत में जो हुआ वह अब भी हो रहा है। गरीब और अमीर के बीच की खाई और चौड़ी हो गई है। राजनीतिक नजरिए को उदार बनाना होगा। भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, इसे हिंदू राष्ट्र में परिवर्तित करना बुद्धिमानी नहीं होगी।"

उन्होंने भारत को "हिंदू राष्ट्र" में बदलने के विचार को खारिज करते हुए जोर देकर कहा कि जब भारत एक धर्मनिरपेक्ष संविधान वाला एक धर्मनिरपेक्ष देश है तो राजनीतिक रूप से खुले दिमाग की जरूरत है।

डॉ अमर्त्य सेन ने कहा-  "मुझे नहीं लगता कि भारत को 'हिंदू राष्ट्र' में बदलने का विचार उचित है। नया केंद्रीय मंत्रिमंडल पहले वाले की नकल है। मंत्रियों के पास समान विभाग हैं। थोड़े से फेरबदल के बावजूद, राजनीतिक रूप से शक्तिशाली अभी भी शक्तिशाली है।" 

फैजाबाद लोकसभा सीट जहां राम मंदिर का निर्माण हुआ था, वहां भाजपा की हार के बारे में डॉ सेन ने सत्तारूढ़ दल पर देश की असली पहचान को खत्म करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा "...इतना पैसा खर्च करके राम मंदिर का निर्माण किया गया, सिर्फ भारत को 'हिंदू राष्ट्र' के रूप में चित्रित करने के लिए। महात्मा गांधी, रवींद्रनाथ टैगोर और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के देश में यह नहीं होना चाहिए था। उन्होंने कहा, ''भारत की असली पहचान की उपेक्षा नहीं की जा सकती। नजरिया बदलना होगा।''

इस महान अर्थशास्त्री ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए बताया कि जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था और लोगों को बिना मुकदमे के जेल में डाल दिया जाता था। उन्होंने कहा- “जब मैं छोटा था, मेरे कई चाचाओं और चचेरे भाइयों को बिना मुकदमा चलाए जेल में डाल दिया गया था। हमें उम्मीद थी कि आजादी के बाद भारत इससे मुक्त हो जायेगा। यह नहीं रुका इसके लिए कांग्रेस भी दोषी है। उन्होंने इसे नहीं बदला... लेकिन, वर्तमान सरकार के तहत यह अब अधिक चलन में है।'' डॉ सेन ने यह बात उन राजनीतिक कैदियों के बारे में सांकेतिक रूप से कही जो शाहीनबाग आंदोलन के दौरान गिरफ्तार करके जेल में डाल दिए गए और उन्हें जमानत भी नहीं मिल रही है। उमर खालिद, शरजील इमाम, खालिद सैफी जैसे सैकड़ों युवा, छात्र जेलों में हैं। देश में 3 आपराधिक कानून 1 जुलाई से लागू हो रहे हैं, ये हालात को और खराब करेंगे।

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