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हजारों किसान आज शंभू बॉर्डर पर क्यों जुट रहे हैं, मोदी की रैलियों को लेकर भाजपा चिंतित

हजारों किसान आज शंभू बॉर्डर पर क्यों जुट रहे हैं, मोदी की रैलियों को लेकर भाजपा चिंतित

किसान आंदोलन को जो लोग भूल चुके हैं, उनके लिए सूचना है कि शंभू बॉर्डर पर किसान आज भी बैठे हुए हैं। उन्हें सौ दिन हो चुके हैं लेकिन वे एक इंच भी पीछे नहीं गए। शंभू बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस ने उनका रास्ता रोका हुआ है। किसान एमएसपी गारंटी कानून की मांग के मद्देनजर विभिन्न इलाकों से आकर शंभू बॉर्डर पर जमा हुए थे, लेकिन उनका रास्ता रोक दिया गया। सौ दिन पूरे होने पर किसान उस संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए फिर जमा हो रहे हैं। पीएम मोदी की 23 और 24 मई को पंजाब में कई रैलियां हैं। भाजपा ने अपील की है किसान रैली के आसपास प्रदर्शन न करें। जानिए पूरी बातः

पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर बुधवार 22 मई को हजारों किसान जुट रहे हैं। ये किसान हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, पश्चिमी यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान से पहुंच रहे हैं। 22 मई को इस दौर के किसान आंदोलन को 100वां दिन पूरा हो रहा है। उसी मौके पर किसान अपनी रणनीति बनाने के लिए जमा हो रहे हैं। हालांकि चुनाव के अब दो ही चरण बचे हैं लेकिन इस दो दौर में पंजाब और हरियाणा में मतदान होना है। मोदी की 23 और 24 मई को पंजाब में कई रैलियां हैं। भाजपा इन रैलियों को लेकर चिंतित है। वे किसान नेताओं से संपर्क कर मनाने की कोशिश कर रहे हैं। फिलहाल जालंधर को गुरुवार को नो फ्लाई जोन घोषित कर दिया गया है।

इन सौ दिनों में करीब 22 किसान शहीद हो चुके हैं। इसमें शुभकरण सिंह की शहादत भी शामिल है। आरोप है कि उन पर हरियाणा पुलिस ने खनौरी सीमा पर पैलेट गन चलाई थी। घायल शुभकरण की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। सभी टेंटों में शुभकरण की फोटो लगाई गई है। हालांकि भीषण गर्मी पड़ रही है लेकिन किसान मौसम की परवाह किए बिना शंभू बॉर्डर आ रहे हैं। गुरदासपुर के महिंदर सिंह (98) एमएसपी की गारंटी के लिए किसानों के विरोध प्रदर्शन के 100वें दिन मशाल उठाने वालों में शामिल होने जा रहे हैं।

सुबह से ही किसानों का धरना स्थल पर आना शुरू हो गया है. हालांकि किसानों ने ग्राउंड जीरो पर एक बड़ा पंडाल लगाया है, लेकिन स्थल के पास कई छोटे टेंट भी लगाए गए हैं। विरोध स्थल पर लगे पंडाल ने चौपाल का आकार ले लिया है, जो गांवों में एक आम जगह है जहां लोग चर्चा के लिए इकट्ठा होते हैं।

तिरपाल की चादरें, पंखे और रेफ्रिजरेटर वाले ट्रैक्टर-ट्रेलरों को घर में बदल दिया गया है। हालांकि तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के आसपास है और मौसम विभाग ने गंभीर लू की चेतावनी जारी की है। किसान नेताओं को साइट पर लगभग 40,000 किसानों के इकट्ठा होने की उम्मीद है। पंजाब पुलिस ने भी यातायात के सुचारू प्रवाह के लिए नाके लगाए हैं।

रणनीति पर चर्चा करते हुए, हरियाणा के बीकेयू (शहीद भगत सिंह) के अध्यक्ष अमरजीत सिंह मोहरी ने जाट नेता अशोक बुलारा के साथ कहा, “हम एमएसपी की कानूनी स्थिति चाहते हैं और डॉ स्वामीनाथन के फार्मूले सी 2 प्लस 50 प्रति के अनुसार इसका निर्धारण चाहते हैं। किसानों और कृषि श्रमिकों की कुल कर्ज माफी, प्रति माह 10,000 रुपये की सामाजिक सुरक्षा, लखीमपुर खीरी के किसानों के लिए न्याय और सरकारी खर्च पर फसल बीमा योजना इन मांगों में शामिल है।”

किसानों के फिर सक्रिय होने पर भाजपा की चिन्ता बढ़ीः हरियाणा में 25 मई को मतदान है। जबकि पंजाब में 25 मई के बाद 1 जून को भी मतदान है। इधर किसान दोनों ही राज्यों में सक्रिय हो गए हैं। इससे भाजपा चिंतित नजर आ रही है। पंजाब में सभी 13 संसदीय क्षेत्रों के भाजपा उम्मीदवारों को रोजाना किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उन्हें विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचार करने की अनुमति नहीं दी गई है। यही हाल रोहतक, करनाल, झज्जर, भिवानी में है। हरियाणा के पूर्व सीएम को काले झंडे तक दिखाए गए। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी विस्तृत सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए पटियाला, गुरदासपुर और जालंधर के पुलिस अधिकारियों के साथ बैठकें कर रहे हैं।

एसपीजी के अधिकारियों की बैठक के बाद, जालंधर प्रशासन ने जिले को गुरुवार के लिए नो फ्लाइंग जोन घोषित कर दिया। अतिरिक्त उपायुक्त मेजर अमित महाजन (रिटायर्ड) ने कहा, "एसपीजी के साथ बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया है ताकि पीएम की यात्रा के दौरान हर संभव सुरक्षा उपाय अपनाए जा सकें।"

भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य मनोरंजन कालिया ने कहा कि किसानों को पीएम की रैलियों को बाधित करने के बजाय एक विस्तृत मांग पत्र लेकर आना चाहिए। कालिया ने कहा- “हम किसानों को आश्वस्त कर रहे हैं कि उनकी मांगों को प्रधानमंत्री के समक्ष सकारात्मक रूप से उठाया जाएगा ताकि उनके मुद्दों का कोई न कोई समाधान हो सके। विरोध प्रदर्शन करना या रैलियों में गड़बड़ी करना बिल्कुल भी समाधान नहीं है। लोकतंत्र उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार करने का अधिकार देता है।”

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा, “किसान संघों को पहले आम सहमति बनानी चाहिए और वास्तविक मुद्दों और मांगों पर काम करने के लिए एक साथ आना चाहिए। फिलहाल वे कई आवाजों में बोल रहे हैं।''

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