+
भाजपा को पंजाब में अकालियों से झटकाः इसलिए नहीं हुआ समझौता

भाजपा को पंजाब में अकालियों से झटकाः इसलिए नहीं हुआ समझौता

पंजाब में भाजपा ने कहा कि वो अकेले लोकसभा की सभी 13 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। भाजपा ने वो वजह नहीं बताई कि आखिर अपने अभिन्न राजनीतिक मित्र अकालियों से भाजपा का समझौता क्यों नहीं हुआ। इस घटनाक्रम से साफ हो गया कि पंजाब में अब मुकाबला कांग्रेस-आप और अकालियों के बीच होगा, भाजपा इस लड़ाई में चौथे नंबर पर रहेगी।हालांकि अगर पंजाब में कांग्रेस-आप का समझौता हो गया तो अकालियों के लिए भी मुस्किल होगी। जानिए कि क्या है पंजाब में समझौता न होने की असली वजह। 

लोकसभा चुनाव की सबसे बड़ी खबर यही है कि पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और भाजपा का चुनावी गठबंधन नहीं हो पाया। यह एक तरह से भाजपा को झटका है। क्योंकि वो पिछले दो महीने से अकालियों से बैठकें कर रही थी लेकिन समझौते तक नहीं पहुंच पा रही थी। पंजाब में लोकसभा की 13 सीटें हैं। अकाली-भाजपा समझौते का सीधा असर यह होने वाला है कि पंजाब में मुकाबला त्रिकोणीय रहेगा। एकाध सीट भाजपा जरूर प्रभावित कर लेगी लेकिन वो लड़ाई में कहीं नहीं है। लेकिन पहले यह जानिए कि आखिर भाजपा-अकालियों में बात क्यों नहीं बनी।

किसानों के मुद्दे पर भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए और मोदी सरकार में भागेदारी छोड़ने के बाद, शिरोमणि अकाली दल (SAD) के एक बड़े नेता ने मंगलवार 26 मार्च को सूत्रों को बताया कि वे कई वजहों से गठबंधन के भाजपा प्रस्ताव पर हां नहीं कह सकते, क्योंकि हमारे मुद्दों पर भाजपा ने ध्यान नहीं दिया। अकाली दल ने कहा- सिखों के लंबित मुद्दों पर प्रतिबद्धता की पेशकश नहीं की गई। जिसमें सिख राजनीतिक कैदियों की रिहाई, चंडीगढ़ को पंजाब में ट्रांसफर करना और किसानों के मुद्दे भी शामिल हैं।

1998 के बाद यह पहला लोकसभा चुनाव होगा जिसमें भाजपा और अकाली दल अकेले चुनाव लड़ेंगे। पहले विधानसभा चुनाव में वे अलग-अलग लड़े थे, दोनों को झटका लगा था, जिसमें भाजपा ने दो सीटें जीती थीं और अकालियों ने 117 में से 3 सीटें जीती थीं। आप ने 92 सीटें जीती थीं। 

वरिष्ठ अकाली नेतृत्व ने कहा कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के बीच आखिरी बातचीत सोमवार शाम को फोन पर हुई थी। नेता ने कहा, "मार्च की शुरुआत में बातचीत नाकाम होने के बाद से कोई बैठक नहीं हुई है। नड्डा ने गठबंधन के लिए सोमवार शाम सुखबीर जी को फोन किया। उन्हें साफ-साफ बताया गया कि शिरोमणि अकाली दल सिख मुद्दों पर प्रतिबद्धता के बिना गठबंधन नहीं बना सकता।"

सूत्रों के मुताबिक उस नेता ने बताया- चूंकि अकाली दल ने किसानों के मुद्दों पर भाजपा का साथ छोड़ दिया था, इसलिए वह राजनीतिक लाभ पर साझेदारी के लिए वापस नहीं जा सकता। अकाली दल पंजाब की एकमात्र प्रतिनिधि पार्टी है और हम राज्य के लिए कुछ भी बलिदान दे सकते हैं। अकाली नेता ने कहा- "हम पाकिस्तान के साथ व्यापार संबंध खोलने की मांग कर रहे हैं। इससे पंजाबियों को तुरंत मदद मिलेगी क्योंकि वहां व्यापार की व्यापक संभावनाएं हैं।"

पंजाब भाजपा ने क्या कहा

भाजपा ने मंगलवार को पंजाब लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने के अपने फैसले की घोषणा की। भाजपा पंजाब अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि भाजपा ने पंजाब चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है। जाखड़ ने कहा-  "हमने लोगों, पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया। इस फैसले का उद्देश्य पंजाब के युवाओं, किसानों, व्यापारियों, पिछड़े वर्गों के उज्ज्वल भविष्य को ध्यान में रखना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पंजाब के लिए किए गए काम स्पष्ट हैं। पिछले दस वर्षों में पंजाब के किसानों की उपज का हर दाना खरीदा गया है और उचित एमएसपी एक सप्ताह के भीतर किसानों के बैंक खातों में भेज दिया गया है।”

उन्होंने कहा कि सीमा पार करतारपुर गुरुद्वारे के दर्शन करने का सिखों का सदियों पुराना अधूरा सपना पीएम मोदी के नेतृत्व में करतारपुर कॉरिडोर खुलने से संभव हुआ। जाखड़ ने कहा, "यह फैसला सुरक्षित सीमावर्ती राज्य पंजाब के हित में लिया गया है और मुझे यकीन है कि लोग 1 जून के चुनाव में भाजपा का समर्थन करेंगे।" यह अलग बात है कि यहां सुनील जाखड़ ने सच नहीं बताया कि करतारपुर प्रोजेक्ट पिछली कांग्रेस सरकार के समय में शुरू हुआ था। जिसकी स्क्रिप्ट नवजोत सिंह सिद्धू और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की दोस्ती की वजह से लिखी गई। अमेरिका की सिख लॉबी का भी इस प्रोजेक्ट को अंजाम तक पहुंचाने का श्रेय जाता है।

समझा जाता है कि गठबंधन की बातचीत कई मुद्दों पर विफल रही, जिनमें मुख्य रूप से लोकसभा सीटों में बड़ी हिस्सेदारी पर अकाली दल का जोर शामिल है। भाजपा 13 क्षेत्रों में से पांच और अधिकतम छह की मांग कर रही थी। सूत्रों ने कहा कि अकाली चार देने को राजी थी। इसलिए भाजपा के लिए अकेले जाना बेहतर है। वैसे भी भाजपा ने पहले ही राज्य की सभी 13 सीटों के लिए संभावितों का एक पैनल बना लिया है। .

बीजेपी का मानना ​​है कि राम मंदिर निर्माण और पीएम की विकास समर्थक पिच इस बार भाजपा के लिए अधिक समर्थन लाने वाली है। इस बीच यह भी पता चला है कि किसानों के आंदोलन के मद्देनजर अकालियों को गठबंधन से सावधान रहने को उसके कार्यकर्ताओं और नेताओं ने सलाह दी थी। क्योंकि पंजाब के गावों में भाजपा की छवि किसान विरोधी बन गई है। इसके अलावा अकाली दल भी चुनाव पूर्व समझौते के हिस्से के रूप में बंदी सिख पंथिक एजेंडे के समाधान के लिए बहुत उत्सुक था।

अकाली दल के पूर्व नेता और वर्तमान भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, "पार्टी ने फैसला किया है कि हम सभी 13 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेंगे। हम पंजाब के लोगों के साथ सीधे संपर्क में रहना चाहते हैं। हमें यकीन है कि पीएम मोदी जीतेंगे। पंजाब में भी।”

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें