दूसरे चरण के मतदान से साफ़ हो जाएगी तसवीर, किसका पलड़ा भारी

07:38 am Apr 16, 2019 | यूसुफ़ अंसारी - सत्य हिन्दी

लोकसभा चुनाव के 18 अप्रैल को होने वाले दूसरे चरण के मतदान के लिए आज चुनाव प्रचार का आख़िरी दिन है। इस चरण में 13 राज्यों की 97 लोकसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएँगे। इसमें उत्तर प्रदेश की 9 और बिहार की 5 सीटों पर वोट पड़ेंगे। सभी पार्टियों की साख दाँव पर लगी है लिहाज़ा सभी पार्टियों ने प्रचार में पूरी ताक़त झोंक दी है।

दूसरे चरण के मतदान से पहले चुनाव आयोग ने बीजेपी और बीएसपी दोनों को 440 वोल्ट का झटका दिया है। चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ‘अली और बजरंगबली’ वाले बयान के लिए 72 घंटे प्रचार करने पर पाबंदी लगा दी है, वहीं मायावती को मुसलमानों से एकजुट होकर वोट करने की अपील करने के लिए 48 घंटे की पाबंदी लगा दी है। यह पाबंदी मंगलवार सुबह से लागू होगी। यानी दूसरे चरण के प्रचार के आख़िरी दिन योगी और मायावती प्रचार नहीं कर पाएँगे। 

दोनों नेताओं योगी और मायावती ने चुनाव आयोग को नोटिस का जवाब देते हुए यह भरोसा दिलाया था कि वह आगे इस तरह के भड़काऊ बयान नहीं देंगे, लेकिन चौतरफ़ा आलोचनाओं से घिरे चुनाव आयोग ने दोनों नेताओं को अपनी हैसियत बता दी है।

राहुल गाँधी ने प्रियंका और ज्योतिरादित्य सिंधिया को साथ लेकर दूसरे चरण के मतदान से पहले कांग्रेस की ताक़त दिखाने की कोशिश की। ग़ौरतलब है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश की जिन 9 सीटों पर दूसरे चरण में मतदान होगा वे सभी सीटें मौजूदा लोकसभा में बीजेपी के पास हैं। सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस इनमें अपना खाता खोलने की कोशिश कर रहे हैं। राहुल ने प्रियंका और ज्योतिरादित्य के साथ सोमवार को आगरा और फतेहपुर सीकरी में रोड शो किया। फतेहपुर सीकरी में उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर चुनाव लड़ रहे हैं।  राहुल ने उन्हें जिताने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा दिया है।

वहीं बीजेपी ने सीटें बचाने के लिए वरिष्ठ नेताओं की पूरी फ़ौज उतार दी है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मथुरा व बदायूं लोकसभाओं में जनसभाएँ कीं। राजनाथ सिंह सर्वोदय महाविद्यालय मैदान, चौमुहा, छाता, मथुरा में बीजेपी प्रत्याशी हेमा मालिनी के समर्थन में जनसभा की, जबकि बदायूं में संघमित्रा मौर्या के पक्ष में चुनाव प्रचार किया। केंद्रीय मंत्री डॉ़. महेश शर्मा फतेहपुर सीकरी में राहुल और प्रियंका को जवाब देने के लिए मैदान में उतरे तो केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी बीजेपी प्रत्याशी जयाप्रदा के समर्थन में रामपुर पहुँच गए। बता दें कि मुख्तार अब्बास नक़वी का चुनाव क्षेत्र रामपुर रहा है और 1999 में वहीं से वह जीते भी थे।

किसने क्या उठाया मुद्दा?

दूसरे चरण के मतदान से पहले जहाँ बीजेपी ने राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को ही तरजीह दी, वहीं ध्रुवीकरण कराने में कोई कसर बाक़ी नहीं छोड़ी। योगी आदित्यनाथ जहाँ-जहाँ गए वहाँ उन्होंने आतंकवाद से लड़ने में सरकार की 'जीरो टॉलरेंस नीति' का बखान किया। साथ ही पाकिस्तान और आतंकवाद को क़रारा जवाब देने के नाम पर वोट माँगे। वहीं फतेहपुर सिकरी में प्रियंका ने बीजेपी के राष्ट्रवाद पर ज़ोरदार हमला बोला। मोदी और योगी को चुनौती देते हुए प्रियंका गाँधी बोलीं- अगर आप सच्चे राष्ट्रवादी हैं तो विपक्षी नेता के शहीद पिता का भी सम्मान करें। प्रियंका का इशारा अपने पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की तरफ़ था। उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अगर सच्चे राष्ट्रवादी हैं तो उन्हें सभी शहीदों का सम्मान करना चाहिए चाहे शहीद हिंदू हो या मुसलमान।

पहले चरण के मतदान के बाद जहाँ देश भर से इस तरह के संकेत मिल रहे हैं कि बीजेपी को काफ़ी नुक़सान हो सकता है। बीजेपी इस नुक़सान की भरपाई के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रही है। दूसरे चरण के मतदान के बाद तसवीर कुछ और साफ़ होने के आसार हैं।  दूसरे चरण के मतदान वाली लोकसभा सीटों पर भी बीजेपी और कांग्रेस पूरी तरह दाँव पर लगी हुई है। 

करुणानिधि, जयललिता के निधन के बाद पहला चुनाव

दूसरे चरण में सबसे ज़्यादा तमिलनाडु की 39 सीटों पर मतदान होना है। तमिलनाडु में एक बार डीएमके और एक बार एआईएडीएमके के पक्ष में जनादेश रहने का रिकॉर्ड रहा है। यह पहला मौक़ा होगा जब डीएमके नेता एम. करुणानिधि और एआईएडीएमके नेता जयललिता दोनों ही चुनाव में नहीं हैं। संयोग की बात है कि दोनों का निधन हो चुका है। दोनों के निधन के बाद राज्य में पहला चुनाव हो रहा है। जहाँ डीएमके का गठबंधन कांग्रेस के साथ है वहींं एआईएडीएमके ने बीजेपी का दामन थामा है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों इस राज्य में अपने सहयोगी दलों के कंधों पर रखकर बंदूक चला रहे हैं।

महाराष्ट्र की 10 सीटों पर वोटिंग

दूसरे चरण में महाराष्ट्र की 10 और कर्नाटक की 9 सीटों पर भी लोकसभा का चुनाव होना है। महाराष्ट्र में जहाँ एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन बीजेपी-शिवसेना गठबंधन पर भारी पड़ता दिख रहा है। वहीं जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन कर्नाटक में बीजेपी पर बढ़त बनाता दिख रहा है। कौन किस पर भारी पड़ता है यह मतदान के दौरान चुनाव प्रबंधन और मतदान के प्रतिशत पर निर्भर करेगा। दो चरणों के मतदान के बाद यह तसवीर काफ़ी हद तक साफ़ हो जाएगी कि अगली लोकसभा में कौन कितने पानी में होगा और सरकार किसकी बनेगी।