सॉफ़्ट हिंदुत्व की राह पर आगे बढ़ते हुए राहुल गाँधी उत्तर प्रदेश में काशी विश्वनाथ मंदिर और कुंभ जाएँगे। गठबंधन में जगह न पाने के बाद अकेले लड़ने का फ़ैसला करने वाली कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल अगले महीने से उत्तर प्रदेश के ताबड़तोड़ दौरे करेंगे। राहुल अकेले फ़रवरी में यूपी में एक दर्ज़न से ज़्यादा रैलियों को संबोधित करेंगे। इससे पहले राहुल गाँधी गुजरात और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान कई मंदिरों में गए थे।
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राहुल गाँधी कुंभनगरी प्रयागराज में कांग्रेस सेवादल कैंप का भी दौरा करेंगे। सेवादल ने हर बार की तरह इस बार भी कुंभ में तीर्थयात्रियों की सेवा के लिए अपना स्टाल लगाया है। हालाँकि सेवादल को अभी राहुल के दौरे की जानकारी नहीं है, लेकिन कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का आना करीब क़रीब तय हो गया है। राहुल गाँधी काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन कर यूपी में लोकसभा चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगे।
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फ़रवरी में करेंगे 13 रैलियाँ
राहुल फ़रवरी माह में लखनऊ और हापुड़ सहित कई शहरों में 13 रैलियाँ करेंगे। इसी बीच कांग्रेस यूपी में कई अन्य छोटे दलों के साथ गठजोड़ की संभावनाएँ तलाशेगी। इन दलों में कांग्रेस की निगाह सुहेलदेव राजभर भारतीय समाज पार्टी, अपना दल (कृष्णा पटेल), पीस पार्टी और शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी लोहिया पार्टी (पीएसपीएल) पर है।
बीजेपी को हराने वाले दल साथ आएँ
गठबंधन में जगह न मिलने के बाद रविवार को कांग्रेस महासचिव व यूपी प्रभारी ग़ुलाम नबी आज़ाद ने लखनऊ में पार्टी नेताओं के साथ बैठक कर अकेले चुनाव लड़ने का एलान किया था। आज़ाद ने पार्टी नेताओं से कहा था कि अब हम 25 नहीं बल्कि 80 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा था कि बीजेपी को हराने वाले दल हमारे साथ आ सकते हैं और कांग्रेस साथ आने वाले दलों का समर्थन करेगी। आज़ाद ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने गठबंधन नहीं तोड़ा बल्कि सपा-बसपा ने इस चैप्टर को बंद किया है।
आज़ाद ने रविवार को कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक के बाद कहा कि उत्तर प्रदेश के चुनाव नतीजे राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दलों के लिए चौंकाने वाले होंगे। आज़ाद के बयान से यह साफ़ हो गया है कि कांग्रेस, सपा प्रमुख अखिलेश यादव के ख़िलाफ़ भी प्रत्याशी मैदान में उतारेगी। ग़ौरतलब है कि सपा-बसपा गठबंधन ने रायबरेली व अमेठी में कांग्रेस के ख़िलाफ़ प्रत्याशी न उतारने का एलान किया था और दो सीटें अन्य छोटे दलों के लिए छोड़ने की भी बात कही थी।
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गठबंधन में सपा-बसपा 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के 20 सीटों की माँग करने के कारण उसे गठबंधन में शामिल नहीं किया गया। रालोद ने भी कम से कम 5 सीटों की माँग रखी थी, जिसके लिए सपा और बसपा अध्यक्ष तैयार नहीं थे।