लॉकडाउन बढ़ने से शेल्टर होम में रुके हज़ारों मजदूरों की मुसीबत बढ़ी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाये जाने का एलान करने के बाद दिहाड़ी मजदूरों के साथ ही कुछ राज्य सरकारों की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं। महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली सहित कई अन्य राज्यों में बड़ी संख्या में दिहाड़ी मजदूर शेल्टर होम में रुके हुए हैं या अपने-अपने कमरों में फंसे हुए हैं। इन मजदूरों के पास न राशन है और न पैसा। राज्य सरकारें उनके खाने-पीने का इंतजाम कर रही हैं, लेकिन वे ऐसा कितने दिन तक कर पायेंगी, यह एक यक्ष प्रश्न है।
24 मार्च को 21 दिन के लॉकडाउन का एलान होने के बाद दिल्ली-नोएडा सहित महानगरों से बड़ी संख्या में मजदूर अपने गांवों की ओर निकल पड़े थे। इनमें से कई लोग गांव पहुंच गए लेकिन बड़ी संख्या में लोग रास्ते में ही फंस गये।
लॉकडाउन के कारण काम-धंधा चौपट होने की वजह से कई जगहों पर मालिकों ने दिहाड़ी मजदूरों को नौकरी से निकाल दिया है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के मुताबिक़, महाराष्ट्र सरकार ने ऐसे 4,573 रिलीफ़ कैंप या शेल्टर होम बनाये हैं और इनमें 5,60,450 दिहाड़ी मजदूर रुके हुए हैं। उनका दावा है कि राज्य सरकार कुल 7 लाख से ज़्यादा लोगों को हर दिन खाना खिला रही है। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, इन शेल्टर होम में कॉमन टॉयलेट एक बड़ी दिक्कत है। इसके अलावा मजदूरों ने खाना कम मिलने या न मिलने की भी शिकायत की है।
दिहाड़ी मजदूरों के सामने मुसीबतों का अंबार लगा हुआ है। जैसे-तैसे गांव की सीमा तक पहुंचे मजदूरों को उनके गांवों में घुसने नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में वे पेड़ों पर रहकर या किसी खुली जगह में 14 दिन का क्वरेंटीन का समय पूरा कर रहे हैं।
बीच रास्ते में फंसे इन दिहाड़ी मजदूरों की बेचैनी बढ़ती जा रही है। गुजरात के सूरत में काम करने वाले मजदूरों ने कुछ दिन पहले घर जाने देने की मांग को लेकर जबरदस्त हंगामा किया था।
गुजरात के कई अन्य इलाक़ों में काम कर रहे दिहाड़ी मजदूर पैसा, राशन न होने के कारण परेशान हैं। क्योंकि इनमें से बड़ी संख्या में कांट्रेक्ट लेबर हैं, जब कंपनी या ठेकेदार के पास काम नहीं है तो स्वाभाविक तौर पर उनकी कमाई ज़ीरो है और इसका सीधा असर इन मजदूरों पर हो रहा है।
गुजरात में काम करने वाले इन मजदूरों में बड़ी संख्या उत्तर प्रदेश, बिहार और उड़ीसा से आने वालों की है। लॉकडाउन बढ़ाये जाने की ख़बरों से ही ये परेशान हो गये थे। ऐसे में अब जब 3 मई तक लॉकडाउन बढ़ गया है तो निश्चित रूप से आने वाले दिनों में इनका ग़ुस्सा बढ़ सकता है और हालात और ख़राब हो सकते हैं।
इसी तरह दिल्ली के कई औद्योगिक इलाक़ों में काम करने वाले मजदूर काम बंद होने के बाद यहां फंसे हुए हैं और घर जाना चाहते हैं। अब ट्रेन सेवाएं भी 3 मई तक बंद हो गई हैं, ऐसे में ये मजदूर और परेशान हो गये हैं।
दिल्ली में काम करने वाले अधिकांश मजदूर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से हैं। ये सभी लॉकडाउन पार्ट 1 के बाद दिल्ली छोड़कर जाना चाहते थे क्योंकि काम चौपट होने के बाद ये किराया कहां से देते, कहां से खाते। लेकिन ये दिल्ली से निकल नहीं सके और यहीं फंस गये।
उत्तर प्रदेश में ऐसे ही 5,241 शेल्टर होम में 1,25,989 मजदूर रुके हुए हैं। इन मजदूरों की भी यही चिंता है कि काम बंद हो चुका है, पैसे हैं नहीं और सरकार के भरोसे मिलने वाले राशन के दम पर वे कितने दिन तक अपना काम चला पायेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कुछ शर्तों के साथ ढील देने की बात कही है। ऐसे में अगर निर्माण कार्य फिर से शुरू होते हैं, तो बड़ी संख्या में मजदूरों को काम मिल सकेगा। लेकिन यहां सबसे बड़ा डर कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलने का है। ऐसे में काम भी चले और संक्रमण भी न फैले, यह एक बड़ी चुनौती सरकार, आम लोगों के सामने खड़ी है।