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कर्नाटक: लिंगायत संत की आत्महत्या के पीछे हनी ट्रैप का मामला?

कर्नाटक: लिंगायत संत की आत्महत्या के पीछे हनी ट्रैप का मामला?

कौन है वह महिला जो कंचुगल बंदे मठ के मुख्य संत बसवलिंगा स्वामी को ब्लैकमेल कर रही थी? 

कर्नाटक में लिंगायत संप्रदाय के संत बसवलिंगा स्वामी की आत्महत्या के मामले में हनी ट्रैप का मामला सामने आया है। बसवलिंगा स्वामी ने सोमवार सुबह अपने मठ में आत्महत्या कर ली थी। इस मामले की जांच कर रहे अफसरों ने एनडीटीवी को बताया है कि एक महिला आपत्तिजनक वीडियो कॉल की आड़ में संत को ब्लैकमेल कर रही थी। संत ने जो सुसाइड नोट छोड़ा था उसमें दो नाम ऐसे हैं जो इस मठ से जुड़े हुए हैं। 

बसवलिंगा स्वामी पिछले 25 साल से कंचुगल बंदे मठ के मुख्य संत थे। यह मठ 400 साल से ज्यादा पुराना है। 

संत ने जो दो पन्ने का सुसाइड नोट लिखा था उसमें कुछ लोगों पर आरोप लगाया था कि वे लोग उन्हें उनके पद से हटाना चाहते थे और इसके लिए उनका उत्पीड़न कर रहे थे। बसवलिंगा स्वामी 44 साल के थे। 

बसवलिंगा स्वामी के द्वारा आत्महत्या करने का पता तब चला जब उन्होंने सोमवार सुबह अपने कमरे का दरवाजा नहीं खोला। इसके बाद मठ के कर्मचारियों ने उनके कमरे का दरवाजा तोड़ा तो उन्होंने संत को फंदे से लटकता हुआ पाया। 

सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि एक महिला ने संत के कुछ निजी पलों को अपने फोन के स्क्रीन रिकॉर्डिंग फंक्शन के जरिए कैप्चर कर लिया था। मामले की जांच कर रहे अफसरों के मुताबिक बसवलिंगा स्वामी ने अपने सुसाइड नोट में भी इस बात को लिखा है कि एक महिला ने उनके साथ यह सब किया। 

एनडीटीवी के मुताबिक, मामले की जांच पड़ताल के दौरान पता चला है कि इस महिला और कुछ लोगों ने संत को धमकी दी थी कि वह उनके चार आपत्तिजनक वीडियो को वायरल कर देंगे। पुलिस को इन लोगों के बारे में शुरुआती जानकारी मिल चुकी है। पुलिस महिला के बारे में और ज्यादा जानकारी जुटा रही है। 

एनडीटीवी को सूत्रों ने बताया कि इस मामले में मठ के अंदर या बाहर की राजनीति की भी भूमिका हो सकती है। कर्नाटक की राजनीति में मठों का बड़ा रोल होता है और कई संत राजनेताओं के संपर्क में भी रहते हैं। हालांकि यह पता चला है कि सुसाइड नोट में किसी भी राजनेता का नाम नहीं है। 

ताकतवर है लिंगायत समुदाय 

कर्नाटक में लिंगायत समुदाय की आबादी 17 फ़ीसदी है। 224 सीटों वाले कर्नाटक में इस समुदाय का असर 90-100 विधानसभा सीटों पर है। कर्नाटक में इस समुदाय के 500 मठ हैं। लिंगायत समुदाय की मान्यताओं को मानने वालों में निवर्तमान मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई हैं। बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाने से पहले बीजेपी नेतृत्व को लिंगायत समुदाय के संतों ने चेताया था। 

पिछले महीने कर्नाटक के ही बेलागवी जिले में श्री गुरु मदीवालेश्वर मठ के पुजारी बसवसिद्दलिंग स्वामी अपने मठ में मृत मिले थे। उससे पहले एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। इस ऑडियो क्लिप में कहा गया था कि बसवसिद्दलिंग स्वामी अपने पद और ताकत का दुरुपयोग कर रहे हैं। 

यौन शोषण का आरोप 

पिछले महीने लिंगायत संत शिव मूर्ति शरणारू के खिलाफ जब कुछ नाबालिग लड़कियों ने यौन शोषण का आरोप लगाया था तो इसे लेकर देशभर में जबरदस्त चर्चा हुई थी। संत शिव मूर्ति शरणारू इन दिनों जेल में है। लिंगायत मठ के द्वारा संचालित एक स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों ने उन पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। हालांकि शिव मूर्ति शरणारू ने कहा था कि उनके खिलाफ लगे आरोप एक साजिश का हिस्सा हैं। उन्होंने दावा किया था कि वह निर्दोष साबित होंगे। 

 - Satya Hindi

कोई भी शख्स जीवन से संन्यास लेकर ही मठ में जाता है। संन्यास लेने का सीधा मतलब है कि वह किसी भी तरह के लोभ, लालच, वासना आदि से मुक्त हो चुका है। लेकिन मठ में रहने वाले लोगों पर अगर यौन शोषण के आरोप लगते हैं या फिर उन्हें हनीट्रैप किया जाता है, तो इससे पता चलता है कि धर्म को बढ़ावा देने के लिए चलाए जा रहे मठों में रहने वाले संत अभी भी सांसारिक जीवन के मोह में फंसे हुए हैं और खुद को तमाम लालच, प्रलोभनों से मुक्त नहीं कर पाए हैं। 

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