लेफ़्टिनेंट गर्वनर ने छठी दिल्ली विधानसभा भंग की, नयी की तैयारी
दिल्ली के गर्वनर अनिल बैजल ने छठी दिल्ली विधानसभा को भंग कर दिया है। अब चुनाव परिणाम आने के बाद नयी विधानसभा का गठन होगा। नयी यानी सातवीं विधानसभा में अब नये चुने गए विधायक सदस्य के रूप में शपथ लेंगे। बता दें कि इस विधानसभा का कार्यकाल 22 फ़रवरी को पूरा हो रहा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी फिर से सत्ता में आती हुई दिख रही है।
आम आदमी पार्टी ने 'अच्छे बीते पाँच साल, लगे रहो केजरीवाल' का नारा दिया। पिछले विधानसभा यानी 2015 के चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीती थीं। बीजेपी को तीन सीटें मिली थीं। तब आप को 54.3 फ़ीसदी, बीजेपी को 32.2 फ़ीसदी और कांग्रेस को 9.7 फ़ीसदी वोट मिले थे। हालाँकि इसके बाद हुए 2019 के लोकसभा चुनाव में केजरीवाल की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। इस चुनाव में बीजेपी ने सभी सीटें जीती थीं।
हालाँकि चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में आम आदमी पार्टी की अच्छी स्थिति देखकर बीजेपी ने आख़िरी दिनों में ध्रुवीकरण की पूरी कोशिश की। इसने शाहीन बाग़ का मुद्दा उठाया और बीजेपी नेताओं ने नफ़रत वाले बयान देते रहे।
बता दें कि बीजेपी नेता व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और सांसद प्रवेश वर्मा आपत्तिजनक बयान दिया था। ठाकुर ने '...गोली मारो सालों को' का नारा लगवाया था, जबकि प्रवेश वर्मा ने नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों के बारे में कहा था कि 'ये लोग घरों में घुसेंगे और बहन व बेटियों का रेप करेंगे।' उनके भाषणों की इसलिए चौतरफ़ा आलोचना हुई कि उनके बयान ध्रुवीकरण करने वाले थे और सांप्रदायिकता को बढ़ाने वाले थे। इसके बाद चुनाव आयोग ने दोनों नेताओं को पार्टी के स्टार कैंपेनरों की सूची से हटाने के आदेश दिए थे। लेकिन जब मामूली कार्रवाई किए जाने पर चुनाव आयोग की काफ़ी आलोचना हुई थी तब दोनों पर कुछ समय के लिए प्रचार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
बता दें कि इसके पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव में मॉडल टाउन से बीजेपी उम्मीदवार कपिल मिश्रा ने यही नारा लगाया था। उन्होंने एक रैली निकाली थी, जिसमें वे इसी तरह के नारे लगाते हैं और उनके साथ चल रहे पार्टी कार्यकर्ता इसी तरह का जवाब देते हैं।अब चुनावी रुझानों को देख कर कहा जा रहा है कि दिल्ली के लोगों ने विकास के मॉडल को चुना है और ध्रुवीकरण की राजनीति को नकार दिया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की संभावित जीत से सवाल खड़े होते हैं कि क्या इन नतीजों से बीजेपी अपनी रणनीति बदलेगी और आगे देश की राजनीति पर इसका क्या असर होगा