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ब्राजील में वामपंथी लूला की वापसी, दक्षिणपंथी बोल्सोनारो हारे

ब्राजील में वामपंथी लूला की वापसी, दक्षिणपंथी बोल्सोनारो हारे

ब्राजील में वामपंथी विचारधारा के लूला डिसिल्वा की राष्ट्रपति के रूप में वापसी हुई है। वहां निरंकुश दक्षिणपंथी विचारधारा के मौजूदा राष्ट्रपति बोल्सोनारो चुनाव हार गए हैं। ब्राजील के चुनाव नतीजे दुनिया में बने ताजा राजनीतिक माहौल में चौंकाने वाले हैं। 

ब्राजील में सोमवार को घोषित चुनाव नतीजों के मुताबिक दक्षिणपंथी विचारधारा के जेयर बोल्सोनारो राष्ट्रपति पद का चुनाव हार गए। वामपंथी विचारधारा के लूला डिसिल्वा राष्ट्रपति का चुनाव जीत गए हैं और वो तीसरी बार राष्ट्रपति बनेंगे। इस तरह ब्राजील में दक्षिणपंथी राष्ट्रपति की सरकार का खात्मा हुआ और वामपंथी विचारधारा के राष्ट्रपति की वापसी हुई है।

चुनाव अधिकारियों ने लूला के जीतने की घोषणा की। लूला को 50.2 फीसदी और बोल्सोनारो को 49.2 फीसदी वोट मिले हैं। वोटिंग मशीनों ने 99.1 फीसदी वोटों की गिनती की है।

बोल्सोनारो 1990 के दशक के बाद इस पद से बाहर होने वाले पहले राष्ट्रपति हैं। जबकि अन्य सभी राष्ट्रपतियों ने जिन्होंने दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ा, उन्हें मतदाताओं ने वापस वोट दिया था। लेकिन बोल्सोनारो के साथ ऐसा नहीं हुआ।

1998 में फर्नांडो हेनरिक कार्डसो, 2006 में खुद लूला और 2014 में डिल्मा रूसेफ सभी ने चार साल का दूसरा कार्यकाल जीता था।

कट्टरपंथी नेता बोल्सोनारो कोविड में ब्राजील के हालात को संभाल नहीं पाए। देश के आर्थिक हालात भी खराब रहे। कोविड से ब्राजील में 680,000 से अधिक लोग मारे गए। बोल्सोनारो के नेतृत्व में ब्राजील एक कमजोर अर्थव्यवस्था वाला देश बना। उसकी लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमले हुए। आमेजन के वर्षावनों (रेनफॉरेस्ट) में पेड़ों की कटाई का आदेश दक्षिणपंथी सरकार ने दिया। इससे पर्यावरण को बड़ा खतरा पैदा हुआ।

कई लोगों को डर है कि बोल्सोनारो अपने राजनीतिक रोल मॉडल पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की तरह ही चुनावों में अपनी हार स्वीकार नहीं करेंगे।

अपने विजय भाषण में लूला ने समर्थकों और प्रतिद्वंद्वियों को समान रूप से संबोधित करते हुए कहा कि इस समय शांति, लोकतंत्र और अवसर वाले ब्राजील की जरूरत है।

उन्होंने लिंग, नस्लीय समानता और 33.1 मिलियन ब्राजीलियाई लोगों को प्रभावित करने वाले आर्थिक संकट से निपटने की फौरन जरूरत बताई।

एक स्थायी युद्ध की स्थिति में विभाजित राष्ट्र में रहना किसी के हित में नहीं है। ब्राजील को शांति और एकता की जरूरत है। यह आबादी अब और लड़ना नहीं चाहती। आज हम दुनिया को बताते हैं कि ब्राजील वापस आ गया है।


- लूला डिसिल्वा, चुने गए राष्ट्रपति का 31 अक्टूबर को विजय भाषण

पश्चिमी देशों की निगाहें ब्राजील के चुनाव के नतीजों पर टिकी थीं। जिसमें आमेजन वर्षावन का भविष्य और ग्लोबल जलवायु आपातकाल पर इसका प्रभाव दांव पर लगा है। व्यक्तिगत हमलों और आर्थिक चिंताओं के वर्चस्व वाले चुनाव में यह मुद्दा पीछे चला गया था। 

लूला ने साफ कर दिया कि ब्राजील जलवायु संकट के खिलाफ लड़ाई में अपनी भूमिका वापस लेने के लिए तैयार है। हम आमेजन के जंगल की रक्षा करेंगे। ब्राजील और इस ग्रह को एक जिन्दा आमेजन की आवश्यकता है।

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