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लोगों के बीच 'भटकी हुई पार्टी' की बन रही धारणा, जल्द अध्यक्ष चुने कांग्रेस: थरूर

लोगों के बीच 'भटकी हुई पार्टी' की बन रही धारणा, जल्द अध्यक्ष चुने कांग्रेस: थरूर

कांग्रेस में चल रहे नेतृत्व संकट के मसले पर पार्टी नेता अब खुलकर बोल रहे हैं। अभिषेक मनु सिंघवी के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री शथि थरूर ने भी इसे लेकर बेहद तीख़ा बयान दिया है। 

कांग्रेस में चल रहे नेतृत्व संकट के मसले पर पार्टी नेता अब खुलकर बोल रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार और वकालत का लंबा तजुर्बा रखने वाले अभिषेक मनु सिंघवी के द्वारा इस मसले को ‘सत्य हिन्दी’ के साथ बातचीत में उठाए जाने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री शथि थरूर ने भी इसे लेकर बेहद तीख़ा बयान दिया है। 

थरूर ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के साथ बातचीत में कहा है कि कांग्रेस में पूर्णकालिक अध्यक्ष चुने जाने की प्रक्रिया को तेज़ किया जाना चाहिए क्योंकि जनता के बीच में यह धारणा बढ़ती जा रही है कि पार्टी भटकी हुई है और बिना पतवार की है। थरूर के कहने का मतलब साफ है कि इन हालात में पार्टी का मुश्किलों को पार करना बेहद मुश्किल है क्योंकि बिना पतवार के नाव समंदर से पार नहीं हो सकती। 

थरूर ने रविवार को पीटीआई के साथ बातचीत में कहा, ‘मैं निश्चित रूप से सोचता हूं कि राहुल गांधी में यह क्षमता है कि वह एक बार फिर से पार्टी का नेतृत्व कर सकते हैं। लेकिन अगर वह ऐसा नहीं करना चाहते हैं तो पार्टी को नया अध्यक्ष चुनने की दिशा में क़दम उठाने चाहिए।’

थरूर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अंतरिम अध्यक्ष के रूप में पार्टी का कार्यभार संभाल रहीं सोनिया गांधी को 10 अगस्त को एक साल का समय पूरा हो रहा है। इस बीच में कई नेताओं ने खुलकर कहा है कि पार्टी में नेतृत्व के मुद्दे को सुलझाया जाना चाहिए लेकिन गांधी परिवार इस दिशा में कुछ ठोस नहीं कर सका। 

थरूर ने कहा, ‘मैंने पिछले साल सोनिया गांधी जी को अंतरिम अध्यक्ष बनाए जाने का स्वागत किया था। लेकिन मेरा मानना है कि उनसे अनिश्चितकाल के लिए इस जिम्मेदारी को संभालने की उम्मीद करना बेईमानी होगा।’ 

केरल के तिरूवनंतपुरम से सांसद थरूर ने कहा कि हमें जनता के बीच बन रहे इस विचार को तोड़ना होगा कि कांग्रेस चुनौतियों का सामना करने और राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए फिट नहीं है।

उन्होंने आगे कहा, ‘इसीलिए, कांग्रेस को इस ओर ध्यान देते हुए लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत पूर्णकालिक अध्यक्ष चुनने की ज़रूरत है। ऐसा करना पार्टी संगठन को फिर से खड़ा करने के लिए बेहद ज़रूरी है।’ 

पीटीआई की ओर से यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस के अंदर इस तरह की आवाज़ उठ रही है कि राहुल गांधी को फिर से पार्टी अध्यक्ष के रूप में वापसी करनी चाहिए, थरूर ने कहा, ‘बिलकुल, अगर राहुल गांधी नेतृत्व फिर से संभालने के लिए तैयार हैं तो उन्हें अपना इस्तीफ़ा वापस ले लेना चाहिए। उन्हें दिसंबर, 2022 तक के लिए चुना गया था और वह फिर पार्टी की कमान संभाल सकते हैं।’ 

थरूर ने आगे जो कहा, वह अहम बात है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन अगर राहुल गांधी ऐसा नहीं करते हैं तो हमें कोई क़दम उठाना चाहिए। मैं कुछ समय से इस बात की वकालत कर रहा हूं कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) और पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव पार्टी के लिए फायदेमंद साबित होंगे।’ 

थरूर ने लॉकडाउन और चीनी घुसपैठ के दौरान राहुल गांधी द्वारा लगातार उठाए गए सवालों को लेकर उनकी प्रशंसा की। 

कांग्रेस में युवा बनाम बुजुर्ग की जंग को लेकर भी रार दिखाई देती है। राजस्थान में सचिन पायलट की बग़ावत के तुरंत बाद वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने आलाकमान को चेताते हुए कहा था, ‘क्या हम तब जागेंगे, जब सारे घोड़े अस्तबल से भाग चुके होंगे।’

अभिषेक मनु सिंघवी ने वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी के साथ बातचीत में कहा था कि नेतृत्व का संकट हल नहीं होने से कांग्रेस को नुक़सान हो रहा है और यदि राहुल गांधी अध्यक्ष न बनने को लेकर ज़िद पर अड़े हैं तो फिर चुनाव के जरिये नया अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। इस बातचीत को यहां सुनिए- 

इसके अलावा कुछ दिन पहले हुई कांग्रेस नेताओं की एक अहम बैठक में भी पार्टी नेताओं के बीच मतभेद की ख़बरें सामने आई थीं। 

दिग्विजय सिंह के गंभीर आरोप

दिग्विजय सिंह ने भी जून के महीने में इस ओर इशारा करते हुए कहा था कि कांग्रेस में कौन है जो राहुल और प्रियंका का विरोध कर सकता है। पूरी कांग्रेस नेहरू-गांधी परिवार के पीछे खड़ी है। लेकिन कांग्रेस के नेताओं के बीच विचारधारा को लेकर स्पष्टता नहीं है और इससे पार्टी को नुक़सान हो रहा है। 

 - Satya Hindi

संजय झा की छुट्टी

कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता संजय झा ने हाल ही में ‘इंडिया टुडे’ के साथ बातचीत में कहा था, ‘कर्नाटक, मध्य प्रदेश और अब गुजरात का मामला नेताओं के बीच पार्टी के भविष्य के प्रति बढ़ रही असुरक्षा की भावना को दिखाता है और इस बारे में कोई भी ध्यान देने के लिए तैयार नहीं है।’ झा के द्वारा उठाए जा रहे इस तरह के सवालों के बाद पार्टी ने सख़्त कार्रवाई करते हुए उन्हें प्रवक्ता के पद से हटा दिया था। 

‘बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा’

इससे पहले राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित पार्टी में नेतृत्व संकट को लेकर सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने इस साल फरवरी में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर नया अध्यक्ष चुनने में नाकाम रहने का आरोप लगाया था। संदीप ने कहा था कि पार्टी के नेता इस बात से डरते हैं कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा। 

तब शशि थरूर ने दीक्षित के बयान का समर्थन किया था। थरूर ने कहा था कि जो बात संदीप दीक्षित ने खुलकर कही है, वही बात पूरे देश भर से पार्टी के नेता दबी-छुपी जबान में कह रहे हैं और इनमें वे लोग भी शामिल हैं जो पार्टी में जिम्मेदार पदों पर बैठे हैं। 

कब हल होगा नेतृत्व संकट?

इतने वरिष्ठ नेताओं द्वारा इस मुद्दे पर लगातार आवाज़ उठाने के बाद तो कांग्रेस आलाकमान को इस दिशा में कोई क़दम जल्द उठाना चाहिए। लगातार दो लोकसभा चुनाव में करारी हार मिलने के बाद कांग्रेस पस्त है और वह लुंज-पुंज दिखाई देती है। हालांकि राहुल और प्रियंका विपक्षी नेता के तौर पर जनता के मुद्दों की लड़ाई लड़ते दिखते हैं लेकिन लड़ाई लड़ने के लिए स्थायी अध्यक्ष का होना भी ज़रूरी है, इस ओर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। क्योंकि बिना कैप्टन के जहाज कब तक राजनीति के विशाल समंदर के ख़तरों से लड़ पाएगा, कहना मुश्किल है और जब जहाज की हालत पहले से ही ख़राब है, तब यह कांग्रेस के नेताओं के लिए और चिंताजनक बात है। 

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