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स्वर कोकिला लता मंगेशकर नहीं रहीं

स्वर कोकिला लता मंगेशकर नहीं रहीं

लता मंगेशकर का निधन हो गया। वह 92 वर्ष की थीं। उन्हें कोरोना संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया था। 

स्वर कोकिला बुलाए जाने वाली और भारत रत्न से सम्मानित लता मंगेशकर का रविवार सुबह मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। वह 92 वर्ष की थीं। उन्हें कोरोना संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया था। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उनके निधन की पुष्टि की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि लता मंगेशकर जी का जाना देश के लिए अपूरणीय क्षति है। 

लता मंगेशकर भारत रत्न, पद्म विभूषण, पद्म भूषण और दादासाहेब फाल्के जैसे अनगिनत पुरस्कारों से सम्मानित थीं। वह भारतीय सिनेमा की एक आइकन थीं, जिन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए पार्श्व गायन किया था। उन्होंने मराठी और बंगाली सहित कई क्षेत्रीय भाषाओं में भी गाया। लता मंगेशकर एक प्रमुख संगीत परिवार से ताल्लुक रखती थीं। उन्होंने संगीत भी तैयार किया और इसके साथ ही कुछ फिल्मों का निर्माण भी किया। वह लोकप्रिय रूप से 'भारत की कोकिला' के रूप में जानी जाती थीं।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है, 'लता जी का निधन मेरे लिए हृदयविदारक है, जैसा कि दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए है। उनके गीतों की विशाल श्रृंखला में, भारत के सार और सुंदरता को प्रस्तुत करने वाले पीढ़ियों ने अपनी आंतरिक भावनाओं की अभिव्यक्ति पाई। भारत रत्न, लता जी की उपलब्धियां अतुलनीय रहेंगी।'

गडकरी आज अस्पताल में लता मंगेशकर से मुलाक़ात करने गए थे। उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट किए। उन्होंने कहा, '30 हजार से अधिक गाने गाकर उनकी आवाज़ ने संगीत की दुनिया को सुरों से नवाजा है। लता दीदी बेहद ही शांत स्वभाव और प्रतिभा की धनी थी।'

उन्होंने कहा कि लता जी हमेशा ही अच्छे कामों के लिए हम सभी को प्रेरणा देती रही हैं और भारतीय संगीत में उनका योगदान अतुलनीय है।

प्रधानमंत्री मोदी ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है, 'मैं शब्दों से परे पीड़ा में हूँ। दयालु और देखभाल करने वाली लता दीदी हमें छोड़कर चली गई हैं। वह हमारे देश में एक खालीपन छोड़ गई हैं जिसे भरा नहीं जा सकता। आने वाली पीढ़ियाँ उन्हें भारतीय संस्कृति के एक दिग्गज के रूप में याद रखेंगी, जिनकी सुरीली आवाज़ में लोगों को मंत्रमुग्ध करने की अद्वितीय क्षमता थी।'

राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'लता मंगेशकर जी के निधन का दुखद समाचार मिला। वह कई दशकों तक भारत की सबसे प्रिय आवाज़ बनी रहीं। उनकी सुनहरी आवाज़ अमर है और उनके प्रशंसकों के दिलों में गूंजती रहेगी। उनके परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।'

1929 में पैदा हुईं लता मंगेशकर पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। उनमें गायिका आशा भोंसले थीं जो आईसीयू में ले जाने के बाद अस्पताल में मंगेशकर से मिली थीं। उनके पिता शास्त्रीय संगीतकार पंडित दीनानाथ मंगेशकर थे। 1942 में जब उनके पिता की मृत्यु हो गई, 13 वर्षीय लता मंगेशकर ने संगीत में अपना करियर शुरू किया। मराठी फिल्मों में अभिनय के साथ गायन का काम किया। 1945 में मंगेशकर ने मधुबाला अभिनीत फिल्म महल के 'आयेगा आनेवाला' गीत हिट हुआ था। वहीं से लता मंगेशकर की आवाज़ और करियर ने ऊंचाइयों को छुआ। 

लता मंगेशकर ने बैजू बावरा, मदर इंडिया और मुगल-ए-आज़म, शंकर-जयकिशन की मधुर हिट बरसात और श्री 420 जैसी फ़िल्मों में गाने गाए। मधुमती में सलिल चौधरी के मधुर गीतों ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का फिल्मफेयर पुरस्कार दिलाया। लता मंगेशकर के नाम परिचय, कोरा कागज़, पाकीज़ा, अभिमान, अमर प्रेम, आँधी, सिलसिला, चांदनी, सागर, रुदाली और दिलवाले दुल्हनिया जैसी सफल फ़िल्में शामिल हैं।

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