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लश्कर आतंकी का संबंध विपक्षी दल से जुड़ता तो बीजेपी क्या करती?

लश्कर आतंकी का संबंध विपक्षी दल से जुड़ता तो बीजेपी क्या करती?

यदि किसी विपक्षी पार्टी से कोई आतंकवादी जुड़ा हुआ पाया जाए तो बीजेपी उसका हस्र क्या करेगी, क्या इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है? लेकिन बीजेपी अब आख़िर क्यों कह रही है कि बीजेपी का सदस्य नहीं रहा है?

सबसे बड़ी राष्ट्रवादी पार्टी होने का दावा करने वाली बीजेपी अब एक आतंकवादी के मुद्दे पर चौतरफ़ा घिरी है। यह मुद्दा किसी आतंकी हमले का नहीं है, बल्कि एक ऐसे आतंकवादी का है जो कथित तौर पर बीजेपी का पदाधिकारी बन गया था। जम्मू-कश्मीर में रविवार को पकड़े गए लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकवादियों में से एक का संबंध कथित तौर पर बीजेपी के साथ था। वह जम्मू कश्मीर में बीजेपी आईटी सेल का प्रमुख रहा था। यह मुद्दा सामने आने के बाद अब सोशल मीडिया पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि यदि किसी विपक्षी दल के किसी सदस्य पर आतंकवादियों से संबंध का आरोप लगता तो बीजेपी की प्रतिक्रिया कैसी होती? क्या बीजेपी टीवी चैनलों से लेकर सोशल मीडिया तक देश भर में एक बड़ी बहस नहीं खड़ी कर चुकी होती?

वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने इसी मुद्दे पर ट्वीट किया है, 'बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा आईटी सेल से जुड़े लश्कर के एक आतंकवादी को आज पकड़ा गया। उदयपुर में और अब जम्मू: स्पष्ट रूप से पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा को पृष्ठभूमि की जाँच सुनिश्चित करने की ज़रूरत है, विशेष रूप से ऑनलाइन सदस्यों की। कल्पना कीजिए कि अगर इसी तरह के लोग विपक्षी दलों के लिंक के साथ पाए जाते तब।'

 - Satya Hindi

जम्मू कश्मीर में पकड़े गए आतंकवादी का यह मामला बड़ा गंभीर है। ऐसा इसलिए कि वह आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा का कमांडर बताया जाता है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार वह किसी बड़ी साज़िश को अंजाम देने के प्रयास में था। इतना बड़ा एक आतंकवादी बीजेपी जैसी 'राष्ट्रवादी' पार्टी में न सिर्फ़ शामिल होता है बल्कि वह जम्मू प्रांत के अल्पसंख्यक मोर्चा के आईटी और सोशल मीडिया सेल का प्रभारी भी बन जाता है।

वैसे, यह कोई पहला मामला नहीं है जो ऐसे देश विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों के साथ बीजेपी के संबंध जुड़ने के आरोप लगे हैं। अभी कुछ दिन पहले ही राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की हत्या में शामिल आरोपियों के भी बीजेपी से जुड़े होने के आरोप लगे हैं।

हत्या के मुख्य आरोपी रियाज अटारी और मोहम्मद गौस ने हत्या को अंजाम देने से बहुत पहले बीजेपी नेताओं से संपर्क बना लिया था। उनके फोटो बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ भी पाए गए हैं। कांग्रेस ने दो दिन पहले ही शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आरोपियों के फोटो बीजेपी नेताओं के साथ जारी भी कर दिए, लेकिन बीजेपी ने इस आरोप का खंडन किया है कि आरोपियों के संबंध बीजेपी से थे।

क़रीब दो साल पहले जम्मू कश्मीर में एक और ऐसा मामला आया था। आतंकियों को हथियार मुहैया कराने के आरोप में बीजेपी के पूर्व नेता और सरपंच तारिक़ अहमद मीर को गिरफ्तार किया गया था।

2020 के मई महीने में एनआईए ने कहा था कि मीर आतंकियों की मदद करने के आरोप में निलंबित डीएसपी दविंदर सिंह का सहयोगी है। दविंदर सिंह से पूछताछ में ही मीर का नाम सामने आया था। इसके बाद उसे शोपियां स्थित उसके निवास से गिरफ़्तार किया गया था। 

11 जनवरी को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने तत्कालीन डीएसपी दविंदर सिंह को उस समय श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर गिरफ्तार किया था जब वह अपने साथ आतंकी नावेद बाबू, रफी अहमद और इरफान अहमद को जम्मू ले जा रहा था। दविंदर सिंह श्रीनगर एयरपोर्ट पर एंटी हाइजैकिंग विंग में था।

बीजेपी पर ऐसे ही सवाल क़रीब 5 साल पहले मध्य प्रदेश में उठे थे जब पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के 12 जासूस पकड़े गए थे। आरोपियों में भोपाल के भाजयुमो आईटी सेल के जिला संयोजक ध्रुव सक्सेना समेत बीजेपी के कई नेताओं के नाम आए थे। 'वन इंडिया' की रिपोर्ट के अनुसार संघ परिवार से जुड़े संगठन भाजपा, बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद के नेताओं के नाम आईएसआई से रिश्ते को लेकर उजागर हुए थे। उस समय जब विपक्ष ने आरोपियों के बीजेपी नेताओं के साथ तसवीरों व संबंध को लेकर सवाल उठाए तो बीजेपी ने सफाई दी थी। तत्कालीन प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान ने कहा था कि किसी के साथ फोटो खिंचवा लेने से कोई आतंकवादी नहीं हो जाता और ध्रुव सक्सेना के साथ बीजेपी का कोई लेना-देना नहीं है।

बहरहाल, सोशल मीडिया पर ऐसी प्रतिक्रियाओं के बीच बीजेपी की तरफ़ से जब ख़बरों को खारिज करने की कोशिश की गई तो कुछ यूज़रों ने आतंकी को बीजेपी आईटी सेल का प्रमुख नियुक्त करने वाला पत्र ट्विटर पर पोस्ट कर दिया। कांग्रेस की प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने बीजेपी के उस ख़त को ट्वीट किया है। 

वैसे, आरोप तो नाथूराम गोडसे के संबंध आरएसएस से होने के भी लगते रहे थे, लेकिन आरएसएस ने साफ़ तौर पर गोडसे को संघ से कोई संबंध होने से इनकार किया था। हालाँकि, कुछ रिपोर्टों में गोडसे के परिवार वालों के हवाले से संघ के बयान के विपरीत दावे किए जाते रहे हैं। पर अभी तक आधिकारिक तौर पर यह नहीं माना गया कि गोडसे का संबंध संघ से था। गोडसे को देश के 'राष्ट्रपिता' महात्मा गांधी की हत्या के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाता रहा है। 

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