लान्सेट की रिपोर्ट : चीन में कोरोना संक्रमितों में से 1.38 प्रतिशत की मौत
कोरोना से मरने वालों की संख्या संक्रमण की तुलना में शायद बहुत कम हो । स्वास्थ्य से जुड़ी मशहूर अंतरराष्ट्रीय पत्रिका लान्सेट ने अपने अध्ययन में पाया है कि चीन में कोरोना से मरने वालों की तादाद 1.38 प्रतिशत है। इस अध्ययन पर भरोसा किया जाए तो चीन ने यह साबित कर दिखाया है कि कोरोना से मरने वालों की संख्या को बहुत ही कम किया जा सकता है।
लान्सेट की यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब दुनिया कोरोना से बेहद ख़ौफ़ में है। और कोरोना से संक्रमित लोगों को लगता है कि उसकी मौत निश्चित है।
रॉयल इम्पीरियल कॉलज का शोध?
लान्सेट का यह शोध ब्रिटेन के प्रतिष्ठित रॉयल इम्पीरियल कॉलेज, लंदन, के अनुमान से भी कम है। रॉयल इम्पीरियल कॉलेज ने अपने अध्ययन में पाया है कि मोटे तौर पर कोरोना से मरने वालों की तादाद 3.67 प्रतिशत है। यानी जितने लोगों को यह संक्रमण हुआ, उसमें से 3.67 प्रतिशत लोगों की मौत हो गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी यही अनुमान है।
लान्सेट का कहना है कि कोरोना से होने वाली मौत इस पर निर्भर करती है कि संक्रमण कितना भयानक है और रोगी की उम्र क्या है। इसे ध्यान में रखने पर कोरोना से होने वाली मौत 1.38 प्रतिशत तक भी हो सकती है।
लान्सेट का शोध?
लान्सेट का कहना है कि कोरोना से होने वाली मौत इस पर निर्भर करती है कि संक्रमण कितना भयानक है और रोगी की उम्र क्या है। इसे ध्यान में रखने पर कोरोना से होने वाली मौत 1.38 प्रतिशत तक भी हो सकती है।इस पत्रिका ने यह भी पाया है कि चीन में लोगों के इलाज में कम समय लगा है। लान्सेट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘मेनलैन्ड चाइन में कोरोना से हुई 24 मौतों और इलाज से स्वस्थ हुए 165 मामलों के अध्ययन के बाद हमने पाया कि लक्षण पाए जाने से मृत्यु होने तक 17.8 दिन लगे, और लक्षण पाए जाने से पूरी तरह ठीक होने में 24.7 दिन लगे।’
चीन के मुख्य मैदानी इलाक़े को 'मनलैन्ड चाइना' कहते हैं। इसमें इसके पहाड़ी इलाक़े, तिब्बत, शिनजियांग, हॉंगकॉंग, ताईवान वगैरह शामिल नहीं हैं।
कम मृत्यु दर!
इस पत्रिका ने यह भी कहा है कि ‘प्रयोगशाला में चीन में 70,117 मामलों की पुष्टि हुई, हमने कुल मृत्यु दर 3.67 प्रतिशत पाया। लेकिन जनसंख्या और दूसरे मामलों पर ध्यान देने के बाद हमने पाया कि चीन में कोरोना मृत्यु दर 1.38 प्रतिशत तक रही।
लान्सेट ने कहा, 'लेकिन हमने यह भी पाया कि उम्र बढ़ने के साथ ही मृत्यु दर भी बढ़ती चली गई और 80 साल से ज़्यादा की उम्र के 13.4 प्रतिशत लोगों की मौत हो गई, जबकि 60 साल के अधिक के लोगों में मृत्यु की दर 6.4 प्रतिशत रही।’
लान्सेट का कहना है कि हमारे शोध से यह पता चला है कि दुनिया की सबसे समृद्ध और अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं वाले देश भी इसकी चपेट में आएंगे। इसलिए हमारे अनुमान बेहद अहम हैं ताकि दुनिया के तमाम देश इसी हिसाब से तैयारी करें और इस महामारी से लड़ने लायक ख़ुद को बनाएं।