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माया ने लालजी वर्मा, राजभर को किया पार्टी से बाहर

माया ने लालजी वर्मा, राजभर को किया पार्टी से बाहर

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक दलों में उठापटक का खेल शुरू हो गया है।

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक दलों में उठापटक का खेल शुरू हो गया है। गुरुवार को बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती ने अपने सबसे खास रहे और वर्तमान में विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। मायावती ने अपने एक अन्य विश्वासपात्र विधायक व पूर्व मंत्री राम अचल राजभर को भी पार्टी से निकाल दिया है। 

मायावती ने इन दोनों नेताओं को निकालते हुए उन पर पंचायत चुनावों में पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया है। मायावती ने अपने इन दोनों पर लगातार अनुशासनहीनता करने का आरोप भी लगाया है। लालजी वर्मा पूर्व में बीएसपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 

इस निष्कासन के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा में बीएसपी विधायकों की संख्या दहाई से घटकर ईकाई में रह गयी है। विधानसभा में अब बीएसपी के कुल 9 विधायक ही बचे हैं।

माना जा रहा है कि बीएसपी से निकाले गए ये दोनों कद्दावर नेता एसपी का दामन थाम सकते हैं। बीएसपी के एक बड़े नेता ने बताया कि लालजी वर्मा और रामअचल राजभर की बातचीत कई दिनों से एसपी में चल रही थी और इसकी खबर मिलते ही मायावती ने उन्हें निकालने का फैसला ले लिया।

लालजी वर्मा जेपी आंदोलन के समय से ही राजनीति में सक्रिय हैं। लालजी वर्मा बीते दो दशक से बीएसपी में थे और माया सरकार में संसदीय कार्य मंत्री के पद पर भी रह चुके हैं। दोनों निष्कासित विधायक यूपी के अंबेडकरनगर जिले के रहने वाले हैं। लालजी वर्मा व राजभर के निकाले  जाने से अवध के इलाके में बीएसपी को बड़ा झटका लगा है। 

गुड्डू जमाली को मिली कुर्सी

लालजी वर्मा के निष्कासन के साथ ही बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने आजमगढ़ के विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को विधानमंडल दल का नेता बना दिया है। गुड्डू जमाली बीएसपी के टिकट पर दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। वो इससे पहले 2014 में आजमगढ़ लोकसभा सीट से बीएसपी प्रत्याशी भी रहे हैं। 

 - Satya Hindi

लालजी वर्मा।

पेशे से बिल्डर गुड्डू जमाली मायावती के खास लोगों में गिने जाते हैं और पूर्वांचल में पार्टी का मुसलिम चेहरा हैं। माना जा रहा है कि जल्दी ही बीएसपी अपने कुछ अन्य नेताओं पर निष्कासन की गाज गिरा सकती है। हाल ही में भगदड़ की आशंका के चलते मायावती ने राजधानी लखनऊ सहित कई जिलों में पार्टी के पदाधिकारियों में भी बदलाव किया था।

उत्तर प्रदेश में लगातार पिट रही बीएसपी में भगदड़ की घटना नयी नहीं है। इससे पहले राज्यसभा चुनावों के दौरान बीएसपी के सात विधायकों ने पाला बदल लिया था।

उस समय एसपी के साथ मिलीभगत रखने के आरोप में मायावती ने विधायक असलम राइनी, असलम अली, विधायक मुजतबा सिद्दीकी, हाकिम लाल बिंद, विधायक हरगोविंद भार्गव, सुषमा पटेल के साथ विधायक वंदना सिंह को निलंबित कर दिया था। 

उस समय बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने को लेकर नाराज इन विधायकों ने बीएसपी के राज्यसभा प्रत्याशी रामजी गौतम के नामांकन से नाम वापस ले लिया था। इन विधायकों ने रामजी गौतम के नामांकन पत्र पर बतौर प्रस्तावक हस्ताक्षर किए थे। हालांकि बीजेपी की मदद से बीएसपी एक राज्यसभा सीट झटकने में कामयाब हो गयी थी। 

पाला बदल का खेल शुरू होगा

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में अब महज सात महीने का समय बचा है। इन हालात में जल्दी ही अन्य दलों में भी पाला-बदल का खेल शुरू हो सकता है। टिकट कटने की आशंका में कई अन्य दलों के विधायक भी दूसरी पार्टियों में जा सकते हैं। 

रायबरेली से कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह पहले से ही पार्टी के खिलाफ बयान दे रही हैं और उन्हें नोटिस दिया जा चुका है साथ ही विधायक राकेश प्रताप सिंह भी महज तकनीकी तौर पर ही दल में बचे हुए हैं। 

सात सदस्यों वाली कांग्रेस के पास अब यूपी विधानसभा में पांच सदस्य ही बचे हैं। इसी तरह से बीजेपी के कुछ विधायक खुले आम बगावती तेवर अपनाए हुए हैं हालांकि उन्होंने अभी पार्टी नहीं छोड़ी है।

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