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राम मंदिर शिलान्यास पर अयोध्या नहीं जाएंगे आडवाणी-जोशी, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से लेंगे भाग

राम मंदिर शिलान्यास पर अयोध्या नहीं जाएंगे आडवाणी-जोशी, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से लेंगे भाग

लालकृष्ण आडवाणी राम मंदिर के शिलान्यास के समय वहाँ मौजूद नहीं रहेंगे। वे इस पूरे कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए देखेंगे। 

सैकड़ों किलोमीटर की रथ यात्रा कर देश के कोने-कोने में राम मंदिर की बात पहुँचाने वाले और इसके पक्ष में आन्दोलन की नींव रखने लालकृष्ण आडवाणी राम मंदिर के शिलान्यास के समय वहाँ मौजूद नहीं रहेंगे। वे इस पूरे कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए देखेंगे। 

आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को पहले शिलान्यास कार्यक्रम में भाग लेने के लिए नहीं न्योता गया था। बाद में उन दोनों को फ़ोन पर निमंत्रण दिया गया। 

क्या है मामला

एनडीटीवी ने ख़बर दी है कि आडवाणी और जोशी ने इसे स्वीकार कर लिया है, लेकिन वे अयोध्या नहीं जाएंगे। वे अपने-अपने घर पर ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए इसमें शिरकत करेंगे। 

दोनों ही बाबरी मसजिद विध्वंस मामले में अभियुक्त हैं। कुछ दिन पहले ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए उनका बयान दर्ज कराया गया था।

क्या प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में आडवाणी और जोशी को इसलिए न्योता नहीं गया था कि वे बाबरी मसजिद विध्वंस के मामले में अभियुक्त हैं लेकिन उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा को न्योता गया है। ये दोनों भी इस मामले में अभियुक्त हैं।

कल्याण सिंह को न्योता

इसी तरह उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को भी न्योता गया है। कल्याण सिंह के शासन काल में ही बाबरी मसजिद ढहाई गई थी, जब सरकार ने उस विध्वंस को नहीं रोका या नहीं रोक पायी। उमा और कल्याण सिंह कह चुके हैं कि उन्हें 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मसजिद के विध्वंस की घटना का कोई अफ़सोस नहीं है। 

याद दिला दें कि आडवाणी ने ही गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक हजारों किमी लंबी रथ यात्रा के जरिये राम मंदिर के पक्ष में माहौल बनाया था। हालांकि वह यात्रा पूरी नहीं कर सके थे और रास्ते में ही बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने उन्हें समस्तीपुर में गिरफ़्तार कर लिया था। इस रथ यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके सारथी रहे थे।

 - Satya Hindi

रथ यात्रा में लाल कृष्ण आडवाणी

2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद आडवाणी, जोशी जैसे दिग्गज नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया गया था। माना गया था कि पार्टी उनके अनुभवों का इस्तेमाल करेगी लेकिन इस मार्गदर्शक मंडल की शायद ही कोई बैठक हुई हो। 

प्रधानमंत्री बनने की सियासी ख़्वाहिश रखने वाले आडवाणी के बारे में कहा जाता है कि वे इससे चूकने के बाद राष्ट्रपति बनना चाहते थे, लेकिन इस पद के लिए जब रामनाथ कोविंद को बीजेपी की ओर से चुना गया, तो आडवाणी के परेशान होने की ख़बरें आई थीं। 

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