तमिलनाडु के बंटवारे की चर्चा, डीएमके बोली- ऐसा नहीं होने देंगे
क्या केंद्र सरकार तमिलनाडु को बांटने की किसी योजना पर विचार कर रही है। राज्य के बंटवारे की चर्चा इन दिनों तमिलनाडु के सियासी गलियारों में जोर-शोर से तैर रही है। बीजेपी की राज्य इकाई ही इस मुद्दे पर बंटी हुई है जबकि हुक़ूमत में बैठी डीएमके-कांग्रेस की सरकार ने कहा है कि तमिलनाडु को कोई नहीं बांट सकता।
तमिलनाडु में चर्चा इस बात की है राज्य के पश्चिमी जिलों को अलग कर कोंगा नाडू नाम से केंद्र शासित प्रदेश बनाने की तैयारी चल रही है।
डीएमके नेता कनिमोझी ने बंटवारे के सवाल पर कहा है कि तमिलनाडु को बांटना तो दूर कोई ऐसा सोच भी नहीं सकता। जबकि तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष केएस अलागिरी ने कहा है कि आर्थिक मोर्चे पर विफलता से ध्यान भटकाने के लिए बीजेपी ऐसी कोशिश कर रही है।
बीजेपी की राज्य इकाई के महासचिव के. नागराजन ने ‘द हिंदू’ से कहा कि राज्य के बंटवारे का प्रस्ताव शुरुआती दौर में था और कोंगू इलाक़े के लोग ऐसा चाहते भी हैं। उन्होंने कहा कि कोंगू नाडू देसिया मक्कल काची व कुछ अन्य राजनीतिक दल इस प्रस्ताव के समर्थन में हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को लोगों की बात सुननी चाहिए और उनकी ख़्वाहिश को पूरा करना चाहिए।
जबकि पार्टी के कोषाध्यक्ष एस आर शेखर ने कहा है कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है और यह सिर्फ़ अख़बारों में ही छपा है।
विरोध में दिया धरना
एमडीएमके और थान्थाई पेरियार द्रविड़ कषगम ने कोयम्बटूर में इस प्रस्ताव की ख़बरों पर धरना दिया है और केंद्र सरकार से सफाई देने की अपील की है। अम्मा मक्का मुनेत्र कषगम के महासचिव टीटीवी दिनाकरन ने कहा है कि केंद्र और राज्य सरकार को इस बात के बड़ा मुद्दा बनने से पहले ही इसे रोकना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह की मांग तमिलनाडु में किसी ने भी नहीं की है।
इसके अलावा सीपीआई, सीपीएम और एमडीएमके ने भी ऐसे किसी प्रस्ताव का विरोध करने की बात कही है।
सोशल मीडिया और सत्ता के गलियारों में भी तमिलनाडु के बंटवारे को लेकर चर्चा होती रहती है। हालांकि यह अभी तक सिर्फ़ चर्चा तक ही सीमित है और यह साफ़ नहीं है कि क्या केंद्र सरकार ऐसे किसी प्रस्ताव पर काम कर रही है।
बीजेपी के लिए चुनौती है राज्य
बीजेपी तमिलनाडु में पैर जमाने की बहुत कोशिश कर चुकी है लेकिन उसे यहां कामयाबी हासिल नहीं हुई है। उसे उम्मीद है कि राज्य के बंटवारे के बाद वह यहां डीएमके और एआईएडीएमके के वर्चस्व को कुछ कम कर पाएगी और ख़ुद के लिए जगह बना पाएगी।
इस तरह की चर्चाओं को इसलिए भी ताक़त मिली है क्योंकि बीजेपी ने कुछ दिन पहले ही कोंगा नाडू से आने वाले और राज्य बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष एल. मुरूगन को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी है।