मधु किश्वर ने फैलाई फ़ेक न्यूज़, कोलकाता पुलिस का एक्शन
कुछ लोग सोशल मीडिया को नफ़रत से भर देना चाहते हैं। उनकी हर पोस्ट, हर कमेंट किसी जाति, भाषा, मज़हब को निशाना बनाने के लिए होती है। वे नहीं चाहते कि सोशल मीडिया पर बहुलतावाद हो, सबको अपनी बात रखने की आज़ादी हो।
ऐसे लोग एक विशेष किस्म का समुदाय बनाना चाहते हैं, जहां पर एक ही विचारधारा को मानने वाले हों और जो उनकी मुखालफ़त करे, उनके ख़िलाफ़ झूठे ट्रेंड्स चलाए जाएं, उन्हें देश का गद्दार, पाकिस्तान परस्त बता दिया जाए।
लेकिन इनकी ओर से फैलाई जा रही नफ़रतों का भांडाफोड़ भी सोशल मीडिया पर सक्रिय लोग करते हैं। ऐसा ही एक और मामला ख़ुद को मानवाधिकारों और महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाला बताने वालीं मधु पूर्णिमा किश्वर का है।
मधु पूर्णिमा किश्वर का यह एक और मामला इसलिए है, क्योंकि जिस तरह आज उनका एक झूठ पकड़ा गया है, वैसा ही झूठ पहले भी पकड़ा जा चुका है। लेकिन वह बाज़ नहीं आतीं। उनके ट्वीट्स एक समुदाय विशेष के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे होते हैं और वह अक्सर ऐसा करती हैं।
ट्विटर पर 20 लाख फ़ॉलोवर की संख्या रखने वालीं मधु पूर्णिमा किश्वर ने रविवार को एक वीडियो ट्वीट किया। इस वीडियो में दिखता है- मुसलमान बड़ी संख्या में जुलूस निकाल रहे हैं। वे नारा ए तकबीर और इसलाम जिंदाबाद कहते हैं। उनके हाथों में होर्डिंग्स हैं और इनमें उनकी मांगों को लेकर कुछ बातें लिखी हुई हैं।
मधु ने इस वीडियो के साथ कैप्शन लिखा कि यह कोलकाता का वीडियो है। ट्वीट करते ही उनके फ़ॉलोवर्स ने इसे री ट्वीट करना शुरू किया और यह जंगल में आग की तरह फैल गया। लेकिन कोलकाता पुलिस की पकड़ में यह आ गया। उन्होंने जांच की तो पता चला कि यह वीडियो भारत का नहीं बल्कि पड़ोसी देश बांग्लादेश का है।
कोलकाता पुलिस ने हैशटैग #FakeNewsAlert के साथ मधु की इस पोस्ट का स्क्रीनशॉट लगाया और कहा कि इस वीडियो के कोलकाता के होने का दावा पूरी तरह झूठा है। पुलिस ने कहा है कि उसने इस मामले में क़ानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।
#FakeNewsAlert
— Kolkata Police (@KolkataPolice) November 9, 2020
A video clip from Bangladesh is being falsely claimed to be from Kolkata. Legal action initiated. pic.twitter.com/FcL1LP12Ln
कोलकाता पुलिस के कार्रवाई करने की बात कहते ही मधु किश्वर को अकल आई और उन्होंने तुरंत अपना ट्वीट डिलीट कर दिया। लेकिन उन्होंने दो समुदायों के बीच जो नफ़रत फैलानी थी, वह तो फैला दी।
जाने-माने अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा है कि फ़ेक न्यूज़ फैलाने वाले ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
ऐसे मामलों में सख़्त से सख़्त कार्रवाई की जानी बेहद ज़रूरी है। देखा गया है कि कार्रवाइयों के बाद भी कई लोग बाज़ नहीं आते और इस तरह के वीडियो-फ़ोटो को जान बूझकर या अनजाने में ज़रूर पोस्ट करते हैं, जिससे धार्मिक आधार पर दो समुदायों के बीच नफ़रत बढ़ती हो।
अर्णब मामले में ऐसा ही
पत्रकार अर्णब गोस्वामी के मामले में भी कुछ लोग इसी तरह की फ़ेक ख़बरों को फैला रहे हैं। सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने किसी पुराने वीडियो को शेयर कर दावा किया कि मुंबई पुलिस ने अर्णब की बेरहमी से पिटाई की। इसके बाद कई लोगों ने हमेशा की तरह इसे सही मान लिया और उद्धव ठाकरे पर बरस पड़े।
लेकिन जांच में पता चला कि यह वीडियो क़रीब 10 महीने पुराना है और उत्तर प्रदेश के देवरिया ज़िले का है। इस घटना में एक पुलिस स्टेशन में तीन पुलिसकर्मियों ने एक व्यक्ति की बेरहमी से पिटाई की थी। यह मामला एक मोबाइल फ़ोन के चोरी होने का था। जिसके ख़िलाफ़ शिकायत की गई थी पुलिस ने उसकी थाने में लाकर बेरहमी से पिटाई की थी। लेकिन लोगों ने फर्जीवाड़ा करते हुए इसे अर्णब का मामला बताकर शेयर कर दिया।