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पश्चिम बंगाल: मोदी सरकार का घर देने का दावा निकला झूठा

पश्चिम बंगाल: मोदी सरकार का घर देने का दावा निकला झूठा

चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से एक दिलचस्प मामला सामने आया है।

चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से एक दिलचस्प मामला सामने आया है। मामला ये है कि पश्चिम बंगाल के कुछ अख़बारों में 25 फ़रवरी को एक विज्ञापन दिया गया। विज्ञापन में कहा गया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 24,00,000 महिलाओं को मोदी सरकार ने घर दिए हैं। 

विज्ञापन में एक ओर पीएम मोदी की फ़ोटो है तो दूसरी ओर कोलकाता की रहने वाली लक्ष्मी देवी की। विज्ञापन में लक्ष्मी देवी पीएम मोदी को इस बात के लिए धन्यवाद दे रही हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिला है। यह विज्ञापन आम विज्ञापनों जैसा ही था इसलिए इस पर किसी का ध्यान नहीं गया। 

लेकिन इस विज्ञापन की सोशल मीडिया में तब जबरदस्त चर्चा होने लगी जब कुछ मीडिया संस्थानों ने लक्ष्मी देवी को ढूंढ निकाला और उनसे हुई बातचीत में पता चला कि उन्हें तो कोई घर ही नहीं मिला है। है न कमाल की बात। 

न्यूज़ लॉन्ड्री की पत्रकार मनीषा पांडे ने लक्ष्मी देवी से बातचीत की। बातचीत में लक्ष्मी देवी कहती हैं कि उन्हें तो यह भी नहीं पता कि अख़बार में छपी उनकी यह फ़ोटो कब ली गयी, वह सोकर उठीं तो लोगों ने बताया कि अख़बार में उनकी फ़ोटो छपी है और जब देखा तो यह उनकी ही फ़ोटो थी। 

उन्होंने कहा कि वह भाड़े के घर में रहती हैं और इसका भाड़ा 500 रुपये है। मनीषा पांडे से बातचीत में लक्ष्मी देवी ने कहा कि अगर उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिला होता तो क्या वह भाड़े के घर में रहतीं। वह कहती हैं कि इस इश्तेहार में उन्हें घर मिलने का दावा पूरी तरह झूठ है। लक्ष्मी देवी कहती हैं कि उन्हें तो ऐसी किसी योजना के बारे में पता ही नहीं है। 

मूलरूप से छपरा की रहने वाली लक्ष्मी देवी कहती हैं कि वह 50 साल से इसी घर में रह रही हैं और 500 रुपये महीने में एक पार्क में झाड़ू-पोछा करती हैं। वह कोलकाता के बहू बाजार के 71, मलिंगा लेन इलाक़े में रहती हैं। 

न्यूज़ चैनल ‘आज तक’ ने भी लक्ष्मी देवी से बातचीत की। ‘आज तक’ से बातचीत में लक्ष्मी देवी कहती हैं कि छोटे से कमरे में वे और परिवार के सात लोग रहते हैं। जगह न होने के कारण उन्हें बाहर ही सोना पड़ता है। 

ग़जब की अंधेरगर्दी

ये है ग़जब की अंधेरगर्दी। सारी तकनीकी सुविधाओं से लैस दफ़्तरों में और अच्छी-खासी तनख्वाह पर काम कर रहे केंद्र सरकार के अफ़सर क्या आंख बंद करके काम कर रहे हैं। ऐसा विज्ञापन जारी होने का एक लाइन में यही मतलब है कि लापरवाही हद से ज़्यादा है। 

विज्ञापन में दावा किया गया है कि 24 लाख लोगों को घर मिल गया है, ऐसे में जब लक्ष्मी देवी जिनकी फ़ोटो छपी है, उन्हें ही घर नहीं मिला है तो बाक़ी लोगों को घर मिला होगा, इसकी क्या गारंटी है। इस तरह के कामों से केंद्र सरकार का आम लोगों के बीच में मजाक उड़ता है जो स्वाभाविक भी है।

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