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बीजेपी को भारी न पड़ जाए ग़ाज़ीपुर बॉर्डर खाली कराने की कोशिश

बीजेपी को भारी न पड़ जाए ग़ाज़ीपुर बॉर्डर खाली कराने की कोशिश

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली-यूपी के ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर बैठे किसानों को हटाने की कोशिश योगी सरकार को भारी पड़ सकती है।

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली-यूपी के ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर बैठे किसानों को हटाने की कोशिश योगी सरकार को भारी पड़ सकती है। गुरूवार शाम को योगी सरकार ने बड़ी संख्या में जवानों को ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर तैनात कर दिया था, जिसके विरोध में किसान नेता राकेश टिकैत ने भावुक भाषण दिया था और किसान उनके पक्ष में लामबंद हो गए थे। बीते दिन मुज़फ्फरनगर में हुई किसान महापंचायत में भी बड़ी संख्या में लोग उमड़े थे और इसके बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा बीजेपी के नेताओं में खलबली का माहौल है। 

ग़ाज़ियाबाद प्रशासन के ग़ाज़ीपुर बॉर्डर को खाली कराने के आदेश को लेकर ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने बीजेपी के कई सांसदों से बात की है। इन सांसदों का कहना है कि टिकैत के भावुक होने के बाद किसान और विशेषकर जाट समुदाय के लोग उनके पक्ष में आ डटे हैं। 

ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पहुंचे लोग 

बीजेपी के एक नेता ने अख़बार से कहा, ‘टिकैत के रोने वाले दृश्यों ने इस समुदाय (जाट) को भड़का दिया है। उनके लिए यह ऐसा है कि उनका बेटा रो रहा है।’ बीजेपी नेता के मुताबिक़, उनके बीच से यह बात सामने आई है कि हमें वहां जाना चाहिए और उसका समर्थन करना चाहिए। इसके बाद से कई गांवों से लोग ग़ाज़ीपुर बॉर्डर की ओर बढ़ चुके हैं। 

इस इलाक़े के कुछ बीजेपी नेताओं ने उत्तर प्रदेश सरकार पर मामले को ग़लत ढंग से हैंडल करने का आरोप लगाया है। बीजेपी के एक सांसद ने कहा कि इस क़दम के बाद हरियाणा, पश्चिमी यूपी में यह आंदोलन फिर से जिंदा हो सकता है। 

किसान आंदोलन पर देखिए वीडियो- 

पार्टी के नेताओं ने कहा कि कुछ आंदोलनकारियों के लाल क़िले में घुसने, बैरिकेड तोड़ने के बाद केंद्र सरकार अपनी शर्तों पर किसानों से बात करने की स्थिति में आई थी लेकिन योगी सरकार के बॉर्डर पर पुलिस भेजने के बाद यह स्थिति बेहद पेचीदा हो गयी है। 

 - Satya Hindi

किसान महापंचायत में पहुंचे विपक्षी दल 

मुज़फ्फरनगर में हुई किसान महापंचायत में समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेता भी शामिल हुए और उन्होंने किसान आंदोलन में शामिल होने का एलान किया है। यह भी सहमति बनी है कि किसानों को ज़रूरत पड़ने पर दिल्ली कूच के लिए तैयार रहना चाहिए, हालांकि बीते दो दिनों में पश्चिमी यूपी से बड़ी संख्या में लोग ग़ाज़ीपुर बॉर्डर के लिए कूच कर चुके हैं। 

दबाव में दुष्यंत चौटाला 

यह किसानों की नाराज़गी का ही डर था कि पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और राजस्थान में हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को एनडीए से बाहर निकलना पड़ा। बीजेपी के साथ खड़ी जेजेपी पर इसे लेकर हमले तेज़ हो रहे हैं कि वह उसके साथ मिलकर सरकार क्यों चला रही है। 

इंडियन नेशनल लोकदल के विधायक अभय चौटाला के किसानों के समर्थन में इस्तीफ़ा देने के बाद उनके भतीजे और राज्य के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जबरदस्त दबाव में आ गए हैं। 

हरियाणा के एक बीजेपी सांसद ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि वास्तव में पुलिस को ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर उतारे जाने की कार्रवाई ने हरियाणा में इस आंदोलन को जिंदा करने का मौक़ा दे दिया है।

एकजुट हुआ जाट समुदाय 

किसानों के अलावा जाट समुदाय के लोग भी टिकैत के समर्थन में उमड़े हैं और राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने भी टिकैत के समर्थन में ग़ाज़ीपुर बॉर्डर और मुज़फ्फरनगर में हुई महापंचायत में पहुंचकर यह जताने की कोशिश की है कि यह समुदाय टिकैत के साथ खड़ा है। 

कृषि क़ानूनों को लेकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के साथ ही जाट समुदाय में भी एकजुटता दिखाई दे रही है। जाट समुदाय के पास ज़मीन भी है और ताक़त भी। ऐसे में इन राज्यों के साथ ही केंद्र सरकार के सामने भी इस आंदोलन को संभाल पाना चुनौती बन गया है।  

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