किसानों को खालिस्तानी बताने पर क्यों तुले हैं बीजेपी नेता?
जब-जब दिल्ली में मोदी की हुक़ूमत तक विरोध की आवाज़ पहुंचती है तो बीजेपी समर्थक, मीडिया का एक वर्ग और दक्षिणपंथी विचारधारा के समर्थन वाले लोग छाती अड़ाकर आगे खड़े हो जाते हैं। ये ऐसे लोग हैं जो हर उस शख़्स को हिंदुस्तान का विरोधी बताते हैं, जो दिल्ली में बैठी मोदी की हुक़ूमत के किसी फ़ैसले से नाइत्तेफ़ाकी रखता है या नाख़ुशी का इजहार करता है।
मोदी सरकार के फ़ैसलों से नाख़ुश ऐसे लोगों में मुसलमान पुरूष हों तो उन्हें देशद्रोही, पाकिस्तानी, वतन का गद्दार बताया जाता है। अगर मुसलिम महिलाएं हों तो उनके चरित्र पर टिप्पणियां की जाती हैं, उनसे कहा जाता है कि वे बिकी हुई औरतें हैं जो 500 रुपये लेकर शाहीन बाग़ में बैठती थीं। विरोध में बोलने वालीं महिला पत्रकारों का चरित्र हनन किया जाता है। छात्रों को जिहादी, पाकिस्तानी, आईएसआई का एजेंट बताया जाता है।
शाह का बयान अलग
ऐसे लोग इस बार पूरी ट्रोल आर्मी के साथ किसानों पर चढ़ गए हैं। किसानों के दिल्ली पहुंचने से पहले ही उनके ख़िलाफ़ जमकर फर्जी सामग्री जुटा ली गई और हरियाणा-पंजाब के बॉर्डर पर पहुंचते ही इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया। इसमें अन्न उगाने वाले अन्नदाताओं को खालिस्तानी बताया गया। ख़ुद हरियाणा की बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री ने ऐसा बयान दिया। सरकार के बुरी तरह घिरते देख गृह मंत्री अमित शाह ने खट्टर के उलट बयान दिया।
किसान आंदोलन पर सुनिए चर्चा-
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम ने शाह की भी नहीं सुनी और कहा कि इस आंदोलन में खालिस्तान और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कट्टरपंथियों ने इस आंदोलन को हाईजैक कर लिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो का हवाला दिया और कहा कि इनमें लोग खालिस्तान और पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाते हुए सुने जा सकते हैं।
लोगों ने की धुलाई
बीजेपी में जब मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय महासचिव के पद पर बैठे लोग इस तरह की बातें करेंगे तो उनके समर्थक बिना अपनी बुद्धि लगाए उसे वायरल करेंगे ही। सो, वे भी अपने काम में जुट गए लेकिन ऐसे लोगों को जोरदार जवाब भी मिला है। किसानों को खालिस्तानी बताने से आम लोग जिनका राजनीति या किसी विचारधारा से कोई वास्ता नहीं है, वे भी भड़क गए हैं और खुलकर किसानों के साथ आ गए हैं।
बीजेपी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय सोशल मीडिया इंचार्ज प्रीति गांधी ने ऐसा ही एक वीडियो ट्वीट किया। इस वीडियो में बताया गया कि एक शख़्स पाकिस्तान और खालिस्तान के समर्थन में नारेबाज़ी कर रहा है और उसके आसपास खड़े लोगों ने पाकिस्तान और खालिस्तान के झंडे पकड़े हुए हैं। अंत में यह शख़्स मोदी सरकार हाय-हाय के नारे लगाता सुनाई देता है।
गांधी ने पूछा कि क्या ये वास्तव में किसान हैं। जैसे ही पता चला कि इस वीडियो का किसान आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है, गांधी की अच्छी-खासी फजीहत हुई और उन्होंने इसे हटा लिया।
प्रीति की देखा-देखी बीजेपी के दिल्ली सोशल मीडिया हेड पुनीत अग्रवाल ने भी इसी वीडियो को ट्वीट किया और लिखा कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का देश विरोधी एजेंडा सामने आ गया है। लेकिन बाद में अग्रवाल को भी ये ट्वीट डिलीट करना पड़ा क्योंकि उनका भी फर्जीवाड़ा पकड़ा गया था। इस तरह की वाहियात हरक़तें करने के आदी रहे बीजेपी नेता लानत-मलानत से भी मानने के लिए तैयार नहीं होते।
राष्ट्रहित को सर्वोपरि बताने वालीं एक ट्विटर यूजर ने इस वीडियो को ट्वीट किया है।
ये सरदारजी मोदी सरकार हाय हाय के नारे लगा रहे है यह तो समझ में आता है..
— 🍁 Aaru rajgor 🍁T.A.B 🇮🇳 (@GorAruna) November 28, 2020
लेकिन ये "पाकिस्तान जिंदाबाद खालिस्तान जिंदाबाद" के नारे क्यों ....❓🤔❓
वीडियो देखने और सुनने के बाद आगे बताने की ज़रूरत नही है आप खुद समझदार हो ...!!#मोदी_संग_किसान
👇👇 pic.twitter.com/VFohiyXS2A
हिंदुत्व के नए प्रतापी योद्धा बनकर उभर रहे पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ के फैन्स क्लब नाम के पेज ने भी इस वीडियो को शेयर किया है और हज़ारों व्यूज़ बटोर लिए।
सोशल मीडिया पर होने वाले फर्जीवाड़े का खुलासा करने के लिए पहचानी जाने वाली ऑल्ट न्यूज़ ने इस वीडियो की पड़ताल की तो पता चला कि ये वीडियो एडिट करके बनाया गया है। ऑल्ट न्यूज़ ने बताया है कि ऐसा ही एक वीडियो एएनआई न्यूज़ की ओर से 6 जुलाई, 2019 को यू ट्यूब पर अपलोड किया गया था।
इस वीडियो का टाइटल था- ब्रिटेन में एक वर्ल्ड कप के मैच के दौरान सिखों पर खालिस्तान के समर्थन में नारेबाज़ी करने का आरोप। इस वीडियो में एक सिख शख़्स के पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाज़ी करने का दावा किया गया। वहीं से 20 सेकेंड की इस क्लिप को निकालकर ये बता दिया गया कि दिल्ली के किसान आंदोलन में मौजूद एक सिख ने ऐसी नारेबाज़ी की है।
इस वीडियो में कुछ लोग खालिस्तान जिंदाबाद और पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाते हुए सुनाई दिए। वीडियो में एक शख़्स कहता है कि खेल और सियासत को मिलाना ग़लत है और पाकिस्तान को ऐसा नहीं करना चाहिए। लेकिन फर्जीवाड़ा करने में माहिर लोगों ने 20 सेकेंड की क्लिप निकालकर हिंदुस्तान के किसानों को बदनाम करने में अपनी पूरी ताक़त लगा दी और पीछे से इसमें मिक्सिंग करके मोदी सरकार हाय-हाय का नारा जोड़ दिया।
फर्जीवाड़े में जुटी ट्रोल आर्मी
परेशानी यही है कि जब तक लोगों के पास सच्चाई पहुंचती है, तब तक इस फर्जीवाड़े में जुटी ये टीम अपना काम कर चुकी होती है। हालांकि कई मौक़ों पर इस तरह का फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों की जबरदस्त धुलाई भी हुई है। लेकिन बावजूद ये अपने काम में जुटे रहते हैं। इनका सिर्फ़ एक मक़सद है मोदी सरकार के ख़िलाफ़ उठने वाली हर आवाज़ को मुल्क़ के ख़िलाफ़ बताकर आवाज़ उठाने वालों को देशद्रोही घोषित कर दो।
इसके अलावा जब खाली वक़्त मिले तो मुसलमानों को निशाने पर ले लो। पुराने वीडियोज़ को एडिट करके मुसलमानों को पाकिस्तान परस्त बताने की कोशिश करो, इसलाम के ख़िलाफ़ नफ़रती प्रचार करते रहो।
ऐसे लोगों को प्रीति गांधी, पुनीत अग्रवाल जैसे बीजेपी के पदाधिकारी और कई राष्ट्रीय नेता सोशल मीडिया पर खुलकर सपोर्ट करते हैं। इन्हें पता होता है कि कोई पुलिस, एजेंसी इनके गिरेबां पर हाथ नहीं डाल सकती, इसलिए फर्जीवाड़ा करते रहो।
किसानों को बदनाम करने की कोशिश
दक्षिणपंथी संगठनों की पूरी कोशिश है कि हरियाणा-पंजाब के किसानों के इस आंदोलन को पूरी तरह देश के लोगों के बीच बदनाम कर दिया जाए। किसानों को खालिस्तानी बताने वाले ये लोग ये भी भूल गए कि ये पंजाब-हरियाणा के किसान देश में 40 फ़ीसदी आबादी का पेट तो भरते ही हैं, हिंदी भाषी राज्यों के लोगों को रोज़गार भी देते हैं।
किसानों के बुलंद हौसलों को डिगाने में नाकाम रही सरकार अब इस बात से परेशान है कि इस मसले का हल कैसे निकलेगा। लेकिन उसे अपने ऐसे नेताओं को जो फर्जी वीडियो ट्वीट कर बाद में उसे डिलीट कर देते हैं, उनके पेच कसने चाहिए। वरना उसकी अच्छी-खासी बदनामी लोगों के बीच में हो रही है और इसे सौ अच्छे कामों के बाद भी लोग भूलेंगे नहीं।