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दिल्ली: ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर भी जमे हैं किसान, रोकने में जुटी पुलिस 

दिल्ली: ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर भी जमे हैं किसान, रोकने में जुटी पुलिस 

सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर किसानों के जमावड़े से परेशान केंद्र सरकार की चिंता उत्तर प्रदेश और दिल्ली के ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर बैठे किसानों ने बढ़ा दी है।

सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर किसानों के जमावड़े से परेशान केंद्र सरकार की चिंता उत्तर प्रदेश और दिल्ली के ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर बैठे किसानों ने बढ़ा दी है। पिछले तीन दिनों से किसानों ने यहां भी बड़ी संख्या में डेरा डाल दिया है। उनकी मांग है कि उन्हें दिल्ली में आने दिया जाए लेकिन दिल्ली पुलिस उन्हें रोकने में जुटी है। इससे टकराव बढ़ने के साथ ही जाम भी लग रहा है। दूसरी ओर, केंद्र सरकार को सूझ नहीं रहा है कि आख़िर क्या किया जाए जिससे किसान अपना आंदोलन ख़त्म कर दें। 

रविवार रात को किसानों और पुलिस के बीच ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर बैरिकेडिंग हटाने को लेकर जोरदार संघर्ष हुआ और अब किसानों ने एलान कर दिया है कि वे दिल्ली जाकर ही मानेंगे। 

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेतृत्व में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड से हज़ारों किसानों ने शनिवार को दिल्ली के लिए कूच किया था। ग़ाज़ियाबाद में यूपी गेट बॉर्डर के आगे लगी दिल्ली पुलिस की बैरिकेडिंग को तोड़कर किसान दिल्ली की सीमा में दाखिल हो गए थे लेकिन पुलिस ने उन्हें ग़ाज़ीपुर टोल प्लाजा के पास रोक लिया था। इसके बाद से किसान वहीं धरने पर बैठे हैं।

शनिवार, रविवार को ट्रैफ़िक कम होता है लेकिन सोमवार को कामकाजी लोग अपने दफ़्तरों के लिए निकलते हैं, ऐसे में दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर जाम लगने से उन्हें परेशानी हो रही है। 

 - Satya Hindi

रविवार को किसानों ने दिन भर जोरदार प्रदर्शन किया और सोमवार को भी इसे जारी रखा है। भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा है कि किसान क्यों बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड में जाएंगे, धरना-प्रदर्शन के लिए रामलीला मैदान और जंतर-मंतर पर बने हैं, वे वहीं जाएंगे। टिकैत उस बात का जवाब दे रहे थे, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों से बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड जाने की अपील की थी। 

दिल्ली को घेरेंगे किसान

दूसरी ओर, टिकरी और सिंघू बॉर्डर पर जमे हरियाणा-पंजाब के किसानों का कहना है कि बुराड़ी ग्राउंड ओपन जेल की तरह है और वे वहां नहीं जाएंगे। किसान नेताओं ने कहा है कि दिल्ली में आने के 5 मुख्य रास्ते हैं, इन जगहों को वे जाम कर देंगे और दिल्ली की जोरदार घेराबंदी करेंगे। रविवार शाम को हुई प्रेस कॉन्फ्रेन्स में किसान नेताओं ने कहा कि उन्हें रहने-खाने की कोई दिक्कत नहीं है और वे आराम से 4 महीने रोड पर बैठ सकते हैं। 

देखिए, किसान आंदोलन पर चर्चा-  

मेरठ, मुज़फ़्फरनगर, हापुड़, शामली, बाग़पत से भाकियू कार्यकर्ता बड़ी संख्या में दिल्ली आए हैं। राकेश टिकैत का कहना है कि केंद्र सरकार एमएसपी को क़ानून में शामिल करे और इसकी गारंटी दे। भाकियू ने पिछले हफ़्ते मुज़फ्फरनगर, मेरठ, बागपत में हाईवे को जाम कर दिया था और मुज़फ्फरनगर में पंचायत भी की थी। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में कहा है कि ये कृषि क़ानून किसानों को उनके हक़ दिलाएंगे और उन्हें नए मौक़े भी देंगे। गृह मंत्री अमित शाह ने भी यही कहा कि ये क़ानून किसानों के हित में हैं और जिसे राजनीतिक विरोध करना हो वो कर सकता है। 

नड्डा के घर जुटे बीजेपी नेता

हैरान-परेशान बीजेपी के नेता और केंद्र सरकार के आला मंत्री रविवार रात को नड्डा के घर पर जुटे। बैठक में अमित शाह के अलावा राजनाथ सिंह और नरेंद्र तोमर भी मौजूद रहे। पार्टी के नेताओं ने इस बात पर माथापच्ची की कि कैसे इस मुसीबत का हल निकाला जाए क्योंकि किसानों के बॉर्डर्स पर बैठ जाने के कारण दिल्ली में जाम की भयंकर समस्या खड़ी हो जाएगी। यह बैठक दो घंटे तक चली। 

मोदी सरकार को बिहार की जीत के बाद लगा था कि कृषि क़ानूनों पर किसानों ने मोहर लगा दी है। लेकिन पंजाब-हरियाणा के किसानों ने दिल्ली बॉर्डर पर आकर उसे बता दिया है कि अब तक उनके राज्यों में चल रहा यह आंदोलन कितना ताक़तवर है। 

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