किसान आंदोलन: 14 को भूख हड़ताल, 19 दिसंबर से अनशन
केंद्र सरकार को अपनी ताक़त और एकजुटता का अहसास करा चुके किसानों ने आंदोलन को और तेज़ करने का एलान किया है। शनिवार शाम को सिंघु बॉर्डर पर हुई प्रेस कॉन्फ्रेन्स में किसान नेता कमलप्रीत पन्नू ने कहा कि किसान संगठन चाहते हैं कि इन क़ानूनों को तुरंत वापस लिया जाए और उन्हें किसी भी तरह का संशोधन स्वीकार नहीं है। उन्होंने कहा कि हम सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं।
पन्नू ने कहा कि 14 दिसंबर को किसान सिंघु बॉर्डर पर भूख हड़ताल करेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हमारे आंदोलन को फ़ेल करना चाहती है लेकिन हम शांतिपूर्वक इसे जारी रखेंगे।
पन्नू ने कहा, ‘किसानों ने फ़ैसला लिया है कि इस आंदोलन को और बढ़ाया जाएगा। रविवार को राजस्थान के शाहजहांपुर से हज़ारों किसान ट्रैक्टर-ट्रालियों में निकलेंगे और 11 बजे दिल्ली-जयपुर हाईवे को जाम करेंगे।’ उन्होंने कहा कि 14 दिसंबर को आंदोलनकारी देश भर में सुबह 8 से शाम 5 बजे तक डीएम कार्यालयों के बाहर धरना देंगे।
पन्नू ने कहा कि 15 दिसंबर के बाद मजदूरों और महिलाओं की भी किसान आंदोलन में भागीदारी होगी।
भारतीय किसान यूनियन की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि अगर सरकार ने किसानों की मांगें नहीं मानी तो 19 दिसंबर से सिंघु बॉर्डर पर अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया जाएगा। चढ़ूनी ने आरोप लगाया कि दिल्ली की ओर आ रही किसानों की ट्रैक्टर ट्रालियों को रोका जा रहा है।
किसान नेता पन्नू ने कहा कि 14 दिसंबर के बाद फिर से संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक बुलाई जाएगी। बता दें कि यह आंदोलन इस मोर्चा की अगुवाई में ही चल रहा है। किसानों ने एलान किया है कि अडानी-अंबानी के प्रोडक्ट्स का बहिष्कार और बीजेपी के मंत्रियों-नेताओं के घरों का घेराव भी किया जाएगा।
कई दौर की बातचीत के फ़ेल होने के बाद अब किसान लंबी और जोरदार लड़ाई के लिए मैदान में डट चुके हैं। सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर हरियाणा-पंजाब और कई राज्यों से किसानों का आना जारी है। ऐसे में जब किसान आंदोलन तेज़ होता जा रहा है तो सरकार के भी हाथ-पांव फूल चुके हैं।
कई टोल प्लाजा को किया फ्री
शनिवार को दिन में किसानों ने अंबाला में शंभु टोल प्लाजा को फ्री कर दिया। इसके अलावा करनाल में बस्तारा टोल प्लाजा और यूपी-ग़ाज़ियाबाद बॉर्डर पर छिजारसी टोल को भी फ्री कर दिया गया। किसानों के आंदोलन को देखते हुए हरियाणा के पलवल, फरीदाबाद और दिल्ली-जयपुर हाईवे पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। उत्तर प्रदेश में सभी 130 टोल प्लाजा पर पुलिसकर्मी तैनात हैं। फ़ायर ब्रिगेड और बाक़ी आपातकालीन सेवाओं को अलर्ट पर रखा गया है।
राजनाथ से मिले चौटाला
इस बीच, हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने दिल्ली आकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मुलाक़ात की। चौटाला ने कहा, उन्हें उम्मीद है कि सरकार और किसानों के बीच अगले 24-40 घंटों के बीच फिर बातचीत होगी। इस्तीफ़े को लेकर बन रहे दबाव और तमाम सवालों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने कहा कि जब तक वे हरियाणा सरकार में हैं, हर किसान को एमएसपी का फ़ायदा मिलेगा।
दिल्ली के बॉर्डर्स पर बैठे किसानों की वजह से आम लोगों को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि सरकार ये कृषि क़ानून वापस ले ले, वे तुरंत अपने घर चले जाएंगे। उधर, टिकरी और सिंघु बॉर्डर के अलावा ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर भी बड़ी संख्या में किसान जमा हो गए हैं।
ठंड के दिनों में बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं अपनी मांग को लेकर डटे हुए हैं और पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं। दूसरी ओर, केंद्र सरकार भी कृषि क़ानूनों को वापस लेने के लिए तैयार नहीं दिखती। ऐसे में आने वाले दिनों में सरकार और किसानों के बीच टकराव बढ़ेगा, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
किसानों को मनाने में भले ही मोदी सरकार ने पूरी ताक़त झोंक दी हो लेकिन किसान टस से मस होने के लिए तैयार नहीं हैं।
‘टुकड़े-टुकड़े गैंग जिम्मेदार’
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि किसानों और सरकार के बीच बातचीत फ़ेल होने के पीछे टुकड़े-टुकड़े गैंग जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि इस बात के सबूत हैं कि किसानों के आंदोलन को टुकड़े-टुकड़े गैंग ने अपने हाथों में ले लिया है।
अल्ट्रा लेफ़्ट का नैरेटिव
इससे पहले किसानों के आंदोलन को सिर्फ़ पंजाब का बताया गया लेकिन जब पश्चिमी यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान, एमपी और बाक़ी कई राज्यों में भी किसानों ने इन कृषि क़ानूनों की मुखालफ़त की तो सरकार और उसके समर्थकों ने पैंतरा बदला और कहा कि खालिस्तान समर्थक लोग इस आंदोलन को चला रहे हैं।
अब जब किसानों ने कहा कि वे देश भर में टोल प्लाजा को फ्री करेंगे, बीजेपी के नेताओं-मंत्रियों का घेराव करेंगे, अडानी-अंबानी के प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करेंगे और 14 दिसंबर को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेंगे तो एक नया नैरेटिव चला दिया गया है कि किसानों के आंदोलन को कट्टर वामपंथियों ने हाईजैक कर लिया है।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचे किसान
किसान अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। भारतीय किसान यूनियन (भानू) की ओर से कोर्ट में याचिका दायर कर तीनों कृषि क़ानूनों को चुनौती दी गई है। इस याचिका में अदालत से इस मामले में दख़ल देने का अनुरोध किया गया है। अदालत में कृषि क़ानूनों को लेकर छह याचिकाएं पहले से लंबित हैं। अक्टूबर में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर उसका जवाब मांगा था। अब इन सभी याचिकाओं पर दिसंबर के अंतिम सप्ताह में सुनवाई होगी।
दूसरी ओर, दिल्ली पुलिस ने सिंघु बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली है। यह एफ़आईआर किसानों द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन किए जाने को लेकर महामारी क़ानून के अंतर्गत अलीपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई है।
'एमएसपी पर देंगे लिखित आश्वासन'
किसानों को मनाने के लिए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है, ‘किसानों के मन में शंका थी कि एमएसपी पर ख़रीद नहीं होगी लेकिन प्रधानमंत्री और मैंने स्वयं कहा कि एमएसपी पर ख़रीद होती रहेगी। हमारी सरकार की प्रतिबद्धता एमएसपी को लेकर बनी रहेगी और हम इसके लिए लिखित आश्वासन देने के लिए तैयार हैं।’
‘बातचीत के लिए तैयार हैं’
तोमर ने कहा कि सरकार लगातार बातचीत कर रही है और किसानों द्वारा उठाए गए सवालों को लेकर सरकार की ओर से उनके पास प्रस्ताव भेजा गया है। उन्होंने कहा कि सरकार आगे भी बातचीत के लिए तैयार है। तोमर ने मोदी सरकार द्वारा किसानों के लिए चलाई जा रही कई योजनाओं का जिक्र भी किया।
सुनिए, किसान आंदोलन पर चर्चा-