किसान नेता सरकार का प्रस्ताव ठुकराएंगे या मान जाएंगे?
ऐसा साफ दिखता है कि मोदी सरकार किसानों के आंदोलन के सामने बेबस है और शायद इसीलिए वह यहां तक पहुंची है कि अपने ही क़ानूनों पर डेढ़ साल तक रोक लगाने के लिए तैयार है। वरना, इन क़ानूनों के ख़िलाफ़ जब पंजाब में आंदोलन शुरू हुआ था तो सरकार को बातचीत की टेबल तक लाने में किसान संगठनों को लंबा वक़्त लगा था।
उसके बाद जब किसान दिल्ली के बॉर्डर्स पर आकर बैठ गए तो सरकार संशोधनों के लिए भी तैयार हो गई और अब तो वह इससे भी चार क़दम आगे बढ़ चुकी है।
बुधवार को हुई बातचीत के बाद सरकार के प्रस्ताव को लेकर किसान संगठनों ने कहा है कि वे धरने पर बैठे लोगों के साथ ही गुरूवार को आपस में भी इस पर चर्चा करेंगे और जो फ़ैसला होगा, उसे 22 जनवरी को होने वाली बैठक में सरकार को बताएंगे। लेकिन यह भी पहला मौक़ा है जब किसान नेताओं ने सरकार की किसी बात को एक झटके में खारिज नहीं किया।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, जम्हूरी किसान सभा के महासचिव कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि सरकार के साथ बैठक बेहतर माहौल में हुई और सरकार की ओर से ही क़ानूनों पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया गया। संधू के मुताबिक़, केंद्रीय राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने कहा कि सरकार इन क़ानूनों को दो साल तक लागू नहीं करेगी लेकिन कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने डेढ़ साल तक क़ानून लागू न करके की बात कही। संधू के मुताबिक़, सरकार ने कहा कि वे इस बारे में सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा भी देगी।
संधू ने बताया, एमएसपी के मसले पर सरकार ने कहा कि किसान संगठन उसे कमेटी बनाने दें और यह कमेटी ही इस बारे में फ़ैसला लेगी। उन्होंने कहा कि अब ऐसा लग रहा है कि सरकार इस मसले को हल करना चाहती है लेकिन हम 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड तो निकालेंगे ही।
किसान आंदोलन पर देखिए वीडियो-
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, सरकार के साथ बैठक में भाग लेने वालीं महिला किसान अधिकार मंच की नेता कविता कुरुगंती ने कहा कि सरकार के प्रस्ताव पर किसान संगठन चर्चा करेंगे। ऑल इंडिया किसान फ़ेडरेशन की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष प्रेम सिंह गहलावत ने कहा कि बैठक में सरकार का स्टैंड बहुत सरल रहा।
भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि वे इन क़ानूनों के रद्द होने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं लेकिन हमने सरकार से कहा है कि हम उनके प्रस्ताव पर चर्चा कर सकते हैं।
एनआईए के नोटिस का मामला
भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि सरकार को किसान नेताओं को एनआईए की ओर से भेजे जा रहे नोटिसों के बारे में बताया गया तो सरकार ने कहा कि अगर ये नोटिस किसानों के आंदोलन से संबंधित हैं तो इन्हें वापस ले लिया जाएगा।
ट्रैक्टर परेड की तैयारी
इस बीच, किसानों की ट्रैक्टर परेड की तैयारी जोरों पर है। किसानों ने कहा है कि वे दिल्ली की बाहरी रिंग रोड पर परेड निकालेंगे और गणतंत्र दिवस समारोह में किसी भी तरह की रुकावट पैदा नहीं करेंगे। किसान नेताओं ने कहा है कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहेगा।
ट्रैक्टर परेड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा है कि वह अपनी याचिका को वापस ले ले। दिल्ली पुलिस ने याचिका में किसान ट्रैक्टर परेड पर रोक लगाने की मांग की थी। पुलिस का कहना था कि परेड होने से गणतंत्र दिवस समारोह के आयोजन में अड़चन आएगी और इससे दुनिया भर में देश की छवि ख़राब होगी।
अदालत ने कहा है कि पुलिस को ही इस बारे में फ़ैसला करना होगा कि परेड की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं। अदालत ने कहा कि पुलिस के पास इस बारे में फ़ैसला लेने का पूरा अधिकार है और वह इस मामले में दख़ल नहीं दे सकती।