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किसानों के साथ दो मुद्दों पर सहमति बनी, 4 को होगी अगली वार्ता: तोमर

किसानों के साथ दो मुद्दों पर सहमति बनी, 4 को होगी अगली वार्ता: तोमर

नये कृषि क़ानून पर किसानों और सरकार के बीच जारी गतिरोध के बीच विज्ञान भवन में बुधवार को एक बार फिर कई घंटे तक बातचीत हुई। 

नये कृषि क़ानून पर किसानों और सरकार के बीच जारी गतिरोध के बीच विज्ञान भवन में बुधवार को एक बार फिर कई घंटे तक बातचीत हुई। बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बैठक बहुत अच्छे माहौल में हुई और किसान नेताओं ने जो चार विषय रखे थे, उसमें से दो विषयों पर सरकार और किसानों के बीच रजामंदी बन गई है। तोमर ने कहा कि किसानों की शंका थी कि पराली वाले अध्यादेश में किसानों को नहीं रखा जाना चाहिए, सरकार ने किसानों की इस बात को मान लिया है। तोमर ने कहा कि प्रस्तावित बिजली क़ानून को लेकर किसानों की कुछ मांग थी, सरकार और यूनियन के बीच में इस मांग को लेकर रजामंदी हो गई है। अगली बैठक 4 जनवरी को होगी। 

कृषि मंत्री ने कहा, 'किसान नेताओं ने एक बार फिर कहा कि नए कृषि क़ानूनों को रद्द कर दिया जाना चाहिए। इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार इस मसले पर और चर्चा करने के लिए तैयार है।' उन्होंने कहा कि जहां तक एमएसपी का मसला है, किसान चाहते हैं कि एमएसपी को लेकर क़ानूनी गारंटी होनी चाहिए, इसे लेकर चर्चा जारी है और अगली बैठक में इस विषय पर चर्चा होगी। 

कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों ने आंदोलन के दौरान अनुशासन बनाए रखा है, इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि किसानों से अनुरोध किया गया है कि सर्दी के मौसम को देखते हुए वे बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को घर भेज दें। उन्होंने कहा कि जिस तरह के बेहतर माहौल में बातचीत किसानों और सरकार के बीच हुई है, उससे उम्मीद है कि जल्द ही इस मसले का हल निकल आएगा। 

बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि 4 जनवरी की बैठक में कृषि क़ानूनों को रद्द करने और एमएसमपी को लेकर बातचीत होगी। अन्य किसान नेताओं ने कहा कि बैठक में उनका जोर इस बात पर रहा कि सरकार कृषि क़ानूनों को रद्द करे। बैठक में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, राज्यमंत्री सोम प्रकाश, कृषि विभाग के अफ़सर सहित किसान यूनियनों के नेता मौजूद रहे। किसानों ने बातचीत से पहले ही साफ़ कर दिया था कि वे नये कृषि क़ानूनों को रद्द करने और एमएसपी की क़ानूनी गारंटी देने सहित सिर्फ़ चार मुद्दों पर ही बात करेंगे। 

 - Satya Hindi

बता दें कि कृषि मंत्रालय की ओर से 24 दिसंबर को किसानों को पत्र भेजा गया था और आंदोलनकारी किसानों से अगले दौर की बातचीत के लिए तारीख़ और वक़्त तय करने का अनुरोध किया गया था। 

किसानों के आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने 25 दिसंबर को इसका जवाब देते हुए अगले दौर की बातचीत के लिए 29 दिसंबर को 11 बजे का वक़्त सुझाया था और पत्र भी भेजा था। इसके बाद कृषि मंत्रालय ने सोमवार को किसानों को भेजे संदेश में कहा था कि 30 दिसंबर को दिन में 2 बजे बातचीत का वक़्त मुकर्रर किया गया है।  कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल की ओर से किसानों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि भारत सरकार खुले मन से मुद्दों के तर्कपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध है।

वीडियो चर्चा देखिए, कौन झुकेगा?

किसानों के प्रदर्शन का एक महीना से ज़्यादा वक़्त हो चुका है और सरकार की तरफ़ से बातचीत से हल निकालने का प्रयास अब तक विफल रहा है। किसान नये कृषि क़ानूनों को रद्द कराने पर अड़े हैं और उससे कम उन्हें मंजूर नहीं है। लेकिन सरकार अलग-अलग संशोधनों जैसे प्रस्ताव लेकर आ रही है। प्रधानमंत्री मोदी ख़ुद कई योजनाओं की घोषणा कर किसानों को विश्वास में लेने की कोशिश में हैं। 

सरकार की नीति है कि वह नये कृषि क़ानूनों को हटाना भी नहीं चाहती और किसानों को मनाना भी चाहती है। किसान भी क़रीब-क़रीब इसी राह पर चल रहे हैं। कृषि क़ानूनों को रद्द नहीं करने तक अपने आंदोलन को तेज़ भी करते जा रहे हैं और सरकार की वार्ता के प्रस्ताव को स्वीकारते भी जा रहे हैं। 

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