अन्नदाताओं को खालिस्तानी बताने वालों के चेहरे ज़रूर पहचानिए!
पिछले कई मौक़ों की तरह इस बार भी सोशल मीडिया पर एक ‘जमात’ खुलकर मोदी सरकार के बचाव में खड़ी हो गई है। इस ‘जमात’ में बीजेपी के नेता, दक्षिणपंथी विचारधारा का समर्थन करने वाले और मीडिया का एक वर्ग शामिल है, जो कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे किसानों को खालिस्तानी बता रहा है।
ये वो वर्ग है जो मोदी सरकार के ख़िलाफ़ बोलने वाले हर शख़्स को पाकिस्तान परस्त, देशद्रोही बताता है, यही काम इस वर्ग ने सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ हुए आंदोलनों के दौरान किया और बिलकुल यही काम यह इस वक़्त कर रहा है।
ये तबक़ा ये भी भूल गया है कि वह इस बार उन किसानों को खालिस्तानी बताने पर तुला हुआ है, जिनके उपजाए अन्न को खाकर वह जिंदा है।
खालिस्तानी, शाहीन बाग़ कराया ट्रेंड
पंजाब के किसानों के दिल्ली पहुंचते ही ट्विटर पर खालिस्तानी और शाहीन बाग़ ट्रेंड करा दिया गया। हरियाणा की बीजेपी सरकार ने बड़े-बड़े पत्थर बॉर्डर पर रखवा दिए, तमाम ज़ुल्म किए लेकिन बंजर धरती से भी अन्न उगा देने वाले किसानों को वह नहीं रोक सकी। इस दौरान कई किसान नेताओं ने कहा कि क्या वे पाकिस्तान से आए हैं जो उन्हें दिल्ली नहीं आने दिया जा रहा है।
जब किसान यहां पहुंच गए तो टीवी के एक वर्ग ने और सोशल मीडिया पर बैठे दक्षिणपंथी कारकूनों ने ऐसा माहौल बना दिया गया कि ये किसान खालिस्तानी हैं, यानी देशद्रोही हैं। ऐसे कुछ ट्वीट देखिए।
पश्चिम बंगाल बीजेपी के सह प्रभारी और बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने एक वीडियो ट्वीट किया। वीडियो में यह दावा किया जा रहा कि एक किसान कह रहा है कि हमने इंदिरा ठोक दी, मोदी...। इस वीडियो में ये कहीं से नहीं पता चलता कि वो किसान ऐसा कह रहा है कि हमने इंदिरा ठोक दी, मोदी...।
इस वीडियो को लेकर सवाल खड़ा होता है। सवाल यह है कि वीडियो में अपनी पूरी रौ में बोल रहा व्यक्ति जैसे ही इंदिरा वाला बयान आता है, उसकी स्क्रीन को फ्रीज कर दिया जाता है। इससे शक पैदा होता है। कोई भी इसे दो बार सुने, तो उसे यह शक ज़रूर पैदा होगा। क्योंकि किसान अगर आगे इंदिरा वाली बात कह रहा है तो उसे उसी तरह दिखाया जाना चाहिए, जैसे उसके बयान को शुरू से दिखाया जा रहा है। जी न्यूज़ का कहना है कि किसान ने यह बात उसके संवाददाता से कही है।
लेकिन जब आईटी हेड ने वीडियो ट्वीट कर दिया तो बाक़ी कारकूनों की जिम्मेदारी इसे वायरल करने की थी, उन्होंने इसे लपक किया और किसानों के लिए वाहियात बातें करनी शुरू कर दीं।
इंदिरा ठोक दी... मोदी की छाती पर...
— Amit Malviya (@amitmalviya) November 27, 2020
What kind of farmer agitation is this Is Capt Amarinder Singh playing with fire When will Congress realise that politics of aligning with radical elements has reached its sell date pic.twitter.com/dNg7871KZ2
आचार्य विक्रमादित्य नाम के ट्विटर यूजर योगेंद्र यादव की फ़ोटो को ट्वीट कर लिखते हैं कि ये वही लोग हैं जो #CAA #NRC के नाम पर शाहीन बाग़ में आंदोलन कर रहे थे।
ये वहीं हैं @narendramodi जी देखिए ट्रैक्टर पर बैठ कर जो आज किसान आंदोलन के नाम पर राजनीति कर रहे हैं कल ये ही #CAA #NRC के नाम पर शाहीन बाग में देश द्रोह कर रहे थे। pic.twitter.com/jMbdWfnu5K
— Acharya Vikramaditya (@AchVikrmaditya) November 27, 2020
ख़ुद को राष्ट्रवादी बताने वाले अमन चौहान एक फ़ोटो को ट्वीट कर कहते हैं कि ये किसान नहीं हैं, खालिस्तानी हैं। इस फ़ोटो में कुछ किसान धरने पर बैठे हैं और पीछे से भिंडरावाले का फ़ोटो है। ये नहीं पता कि ये लोग कृषि क़ानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसान हैं या कोई और।
These are Protesters in Punjab...
— Aman Chauhan (@aman0391) November 27, 2020
-All pretend to be Farmers but none look like one.
-Khalistani Bhindarwala Poster in BG
Kya samjhe❓ Khalistani slogans
Blocking of army convoys
They aren't farmers,
They are Khalistanis pretending to be farmers. pic.twitter.com/KG7geJtJuj
एक ट्विटर यूजर किसी स्क्रीनशॉट के साथ दावा करती हैं कि सिख फ़ेडरेशन ने दिल्ली चलो आंदोलन के लिए कनाडा से 1 लाख डॉलर जुटा लिए हैं। उस स्क्रीनशॉट में लिखा है कि दिल्ली चलो आंदोलन के दौरान ये लोग इंडिया गेट पर खालिस्तान का झंडा लहरा सकते हैं।
Sikh Federation from Canada raised 1 million dollars for #DelhiChalo protest.
— Vaidehi In Exile 🇮🇳 🕉️ (@dharmicverangna) November 27, 2020
Guy threatens to αssαsinαte the prime minister of India just like Indira Gandhi.
Sure, there is no #khalistani angle here. pic.twitter.com/EJpENWEcjR
ऐसे लोगों को जवाब देने के लिए दूसरी ओर से लोग मैदान में उतरे। पत्रकार साहिल मुरली ने ट्वीट कर कहा कि भारत की नई टेक्स्ट बुक आई है, जिसमें विरोध में बोलने वाले पत्रकारों, किसानों और छात्रों को सरकार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वालों को गालियां दी जाती हैं।
👉Here's new India's textbook. Know it to, bust it.
— Saahil Murli Menghani (@saahilmenghani) November 27, 2020
👉MEDIA- If Pet, then best. If critical, then Jihadi/Irrelevant/Other abuses
👉FARMERS- In elections, 'Mai-Baap'. In protests, Khalistani/Influenced
👉STUDENTS- In Elections, 'future of India'. If protesters, Jihadi/misguided
वकील अमित दत्ता नाम के ट्विटर यूजर जो पेशे से वकील हैं, वो कहते हैं कि कुछ न्यूज़ चैनल किसानों को खालिस्तानी बताकर बेहद ख़तरनाक खेल खेल रहे हैं।
Such a dangerous, dangerous game being played by these news channels by claims that protesting farmers are Khalistani elements. Such baseless and outrageous claims will only serve to deepen divides in the country. https://t.co/l1LqxV1DdY
— Ameet Datta (@DattaAmeet) November 27, 2020
जे सिंह नागरा दो फ़ोटो ट्वीट कर पूछते हैं कि क्या ये खालिस्तानी पुलिस है क्योंकि उसमें आंदोलनकारी सिख पुलिस कर्मियों को पानी पिला रहे हैं और खाना खिला रहे हैं।
So they are khalistani police pic.twitter.com/6wN1DtDb8C
— J Singh Nagra (@JSinghNagra1) November 27, 2020
हिंदुत्व वॉच नाम के यूजर ने लिखा कि बीजेपी की ट्रोल आर्मी किसान आंदोलन का समर्थन करने पर पंजाबी गायकों को भी खालिस्तानी बता रही है।
BJP bots troll Punjabi singers, actors for supporting #FarmersProtest, Diljit Dosanjh gets labelled as 'Khalistani' pic.twitter.com/BM3s4t9WMv
— Hindutva Watch (@Hindutva__watch) November 27, 2020
सिखों, किसानों को खालिस्तानी बताने पर दिल्ली बीजेपी के सचिव इम्प्रीत सिंह बख़्शी आगे आए और उन्होंने कहा कि किसानों को खालिस्तानी न कहा जाए। उन्हें कांग्रेस, अकाली दल और आप नेताओं ने गुमराह किया है।
Its my humble request to all SM Users who are abusing Punjab farmers & labelling them as khalistani, is not at all right, they are also our brothers, sister's and elderly people!!🙏
— Impreet Singh Bakshi ਇਮਪ੍ਰੀਤ ਸਿੰਘ ਬਖ਼ਸ਼ੀ (@impreetsbakshi) November 27, 2020
They might be misguided by Congress/Akali/ AAP leader's bcoz majority of middlemen belong to them.
इस तरह की हरक़तें करके पंजाब-हरियाणा के किसानों को देश के बाक़ी किसानों के सामने देशद्रोही साबित करने की कोशिश की जा रही है। कुछ न्यूज़ चैनल सवाल पूछ रहे हैं कि आख़िर इन दोनों राज्यों के किसानों को ही परेशानी क्यों है।
आपको याद होगा कि शाहीन बाग़ के आंदोलन को किस तरह खुलकर तौहीन बाग़ कहा गया था और ये भी कहा था इसमें बैठे लोग जिहादी, पाकिस्तानी हैं और हिंदुस्तान के टुकड़े-टुकड़े कर देना चाहते हैं। जबकि उस आंदोलन के दौरान कभी किसी तरह की हिंसा नहीं हुई।
इससे होगा ये कि देश के दूसरे हिस्सों में बैठे लोग पंजाब-हरियाणा के किसानों को देश का दुश्मन मानने लगेंगे और नफ़रत की खाई और बढ़ेगी। किसानों ने साफ कहा है कि वे इन क़ानूनों को रद्द करवाना चाहते हैं और तब तक दिल्ली से नहीं जाएंगे। ऐसे में किसानों के ख़िलाफ़ ये एजेंडा आगे और चलेगा, इसमें कोई शक नहीं है। हां, लेकिन अगर कोई देश के ख़िलाफ़ बात करता है तो एजेंसियां जांच कर उसे सख़्त सजा दें लेकिन एडिटेड वीडियो या पुराने फ़ोटो या फिर किसी बयान के कारण किसानों के पूरे आंदोलन को बदनाम करने का काम देश में बहुत ख़राब माहौल बना रहा है।