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भाजपा ने इलेक्टोरल बॉन्ड को रिश्वत, कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था: कांग्रेस

भाजपा ने इलेक्टोरल बॉन्ड को रिश्वत, कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था: कांग्रेस

पिछली मोदी सरकार द्वारा लाए गए इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किए जाने पर कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला किया है। जानिए, इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर क्या आरोप लगाए हैं। 

कांग्रेस ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को बीजेपी का रिश्वत और कमीशन खाने का ज़रिया क़रार दिया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को रद्द किये जाने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पवन खेड़ा ने कहा, "आज यह बात साफ हो गई कि मोदी सरकार सिर्फ कमीशन, रिश्वतखोरी और काला धन छिपाने के लिए ही 'इलेक्टोरल बॉन्ड' लेकर आई थी। इलेक्टोरल बॉन्ड पीएम मोदी की 'भ्रष्टाचार बढ़ाओ नीति' की वो साजिश है, जो आज पूरे देश के सामने बेनकाब हो चुकी है। पीए मोदी की ऐसी भ्रष्टाचारी नीतियां लोकतंत्र के लिए बेहद घातक हैं, देश के लिए खतरा हैं।'

सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को रद्द किये जाने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि मोदी सरकार की भ्रष्ट नीतियों का एक और सबूत आपके सामने है। राहुल ने कहा, 'भाजपा ने इलेक्टोरल बॉण्ड को रिश्वत और कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था।' कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'चुनावी बॉन्ड योजना की लॉन्चिंग के दिन कांग्रेस पार्टी ने इसे अपारदर्शी और अलोकतांत्रिक बताया था। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने अपने 2019 के घोषणापत्र में मोदी सरकार की संदिग्ध योजना को खत्म करने का वादा किया।'

खड़गे ने आगे कहा, "हम आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं, जिसने मोदी सरकार की इस 'काला धन रूपांतरण' योजना को 'असंवैधानिक' बताते हुए रद्द कर दिया है। हमें याद है कि कैसे मोदी सरकार, पीएमओ और वित्तमंत्री ने बीजेपी का खजाना भरने के लिए हर संस्थान- आरबीआई, चुनाव आयोग, संसद और विपक्ष पर बुलडोजर चला दिया था। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि इस योजना के तहत 95% फंडिंग बीजेपी को मिली।"

खड़गे ने यह भी कहा कि हमें उम्मीद है कि मोदी सरकार भविष्य में ऐसे शरारती विचारों का सहारा लेना बंद कर देगी और सुप्रीम कोर्ट की बात सुनेगी, ताकि लोकतंत्र, पारदर्शिता और समान अवसर कायम रहे।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में पवन खेड़ा ने कहा, 'आज माननीय सुप्रीम कोर्ट की तरफ़ से इलेक्टोरल बॉन्ड पर एक महत्वपूर्ण फ़ैसला आया है। 2017 में जब इलेक्टोरल बॉन्ड लाया गया था, तब से हमने इसका पुरजोर विरोध किया था।' उन्होंने आगे कहा, 'हमारी आपत्तियां थीं- यह प्रक्रिया अपारदर्शी है। भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। काला धन सफेद हो जाएगा। सारा लाभ सत्ता पक्ष को मिलेगा। इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों और सत्ता पक्ष के बीच एक अनकहा-अनदेखा रिश्ता स्थापित हो जाएगा।'

शिवसेना यूबीटी की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने इस पर बयान जारी कर कहा कि यह फ़ैसला ऐतिहासिक है। उन्होंने बीजेपी पर तीखा हमला करते हुए कहा, 'माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर जो फैसला सुनाया है वो स्वागत योग्य है। चुनाव को कंट्रोल करने के लिए भाजपा को कॉरपोरेट घरानों से अनगिनत फंडिंग मिल सके इसके लिए मोदी सरकार ने इसकी शुरुआत की थी।'

आम आदमी पार्टी ने भी सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का स्वागत किया है। दिल्ली की मंत्री और आप नेता आतिशी ने कहा है, 'हम इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का स्वागत करते हैं। लोकतंत्र के लिए बहुत ज़रूरी है कि पारदर्शितता रहे कि किस राजनीतिक दल को कौन चंदा दे रहा है। ख़ुशी की बात है कि चुनाव आयोग को उच्चतम कोर्ट ने तुरंत बताने को कहा है कि किस पार्टी को कहाँ से और कितने इलेक्टोरल बॉन्ड मिले। हर नागरिक को जानने का अधिकार है कि केंद्र में या प्रदेश में जो पार्टी सरकार में है वो वोटर के लिए निर्णय ले रही है या चंदा देने वालों के लिए।'

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया है और कहा कि इसे रद्द करना होगा। भारत के चीफ जस्टिस ने कहा- कंपनी अधिनियम में संशोधन (कॉर्पोरेट राजनीतिक फंडिंग की अनुमति) असंवैधानिक है। चीफ जस्टिस ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक चुनावी बांड जारी करना बंद करे। एसबीआई अभी तक की सारी सूचनाएं 6 मार्च तक चुनाव आयोग दे। आयोग उन्हें 13 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों को बॉन्ड का वो पैसा उन्हें देने वालों को वापस करना होगा, जिन बॉन्डों को भुनाया नहीं गया है। 

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