मध्य प्रदेश: महिला कलेक्टर ने शराब बिक्री के सरकार के आदेश को पलटा
कोरोना महामारी को लेकर देश भर में लागू 'लाॅकडाउन-3' के बीच शराब बिक्री के राज्य सरकार के फ़ैसले पर बवाल मचा हुआ है। कोई छह सप्ताह बाद खुली शराब की दुकानों और ठेकों पर टूट रही लोगों की भीड़ ने कोरोना संक्रमण के ख़तरे को बढ़ा दिया है। ‘कोविड 19’ से जंग में जुटे स्थानीय अफ़सर बेहद चिंतित और परेशान हैं, लेकिन अपनी ही सरकारों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने की हिम्मत नहीं दिखा पाये हैं। प्रतिकूल हालातों में मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले की युवा महिला कलेक्टर ने साहस दिखाते हुए ज़िले में शराब बेचने से इनकार कर दिया है।
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने 6 मई से शराब बिक्री की शुरुआत की है। राज्य सरकारों की आय और राजस्व जुटाने का बड़ा ज़रिया शराब भी है। इसी के मद्देनज़र मध्य प्रदेश सरकार ने भी ग्रीन और ऑरेंज ज़ोन में शराब की दुकानें और ठेके खोलने की मंजूरी देने वाले आदेश जारी किए हैं। भोपाल, इंदौर और उज्जैन ज़िलों को छोड़कर कोरोना रेड ज़ोन वाले अन्य ज़िलों में भी कोरोना मुक्त एवं आंशिक प्रभावित क्षेत्रों और ‘कोरोना फ्री’ ग्रामीण इलाक़ों में भी शराब बेचे जाने का आदेश हुआ है।
खंडवा कलेक्टर तन्वी सुन्द्रियाल ने मध्य प्रदेश सरकार के इस निर्णय को ज़िले में लागू करने में न केवल असमर्थता जता दी है, बल्कि आदेश जारी कर दिया है कि ‘लाॅकडाउन-3’ ख़त्म होने की तिथि 17 मई तक ज़िले में कहीं भी शराब की दुकानें और ठेके नहीं खोले जायेंगे। बता दें कि खंडवा ज़िला कोरोना के रेड ज़ोन में है।
सात मई की शाम तक के आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार खंडवा ज़िले में ‘कोविड 19’ संक्रमित रोगियों की संख्या 50 थी। ज़िले में अब तक कोरोना से सात मौतें हो चुकी हैं। दो मरीज़ गंभीर हालात में हैं। एक सुखद पक्ष यह भी रहा है कि 32 संक्रमित ठीक भी हुए हैं।
कोरोना से जंग में कोई जोख़िम मोल लेने के पक्ष में खंडवा कलेक्टर नहीं हैं और इसी वजह से डिजास्टर मैनेजमेंट में लगी अपनी टीम से गहन विचार-विमर्श के बाद उन्होंने सरकार के निर्णय को अपने ज़िले में पलटा है।
खंडवा कलेक्टर के 'बोल्ड फ़ैसले' को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके काबीना सहयोगियों की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है। राज्य के आला अफ़सरों और आबकारी विभाग ने भी प्रतिक्रिया नहीं दी है। खंडवा कलेक्टर ने 17 मई तक ज़िले में शराब की बिक्री शुरू ना करने संबंधी अपने फ़ैसले की प्रति - वाणिज्यिक कर मंत्रालय, आबकारी आयुक्त, इंदौर के वाणिज्य कर उपायुक्त और अन्य संबंधित अफ़सरों को भी भेजी हुई है।
पहले भी चर्चा में रही हैं तन्वी सुन्द्रियाल
खंडवा कलेक्टर पद पर तन्वी सुन्द्रियाल को एक साल से ज़्यादा हो चुका है। वह भारतीय प्रशासनिक सेवा की 2010 बैच की मध्य प्रदेश कैडर की अफ़सर हैं। महज 36 साल की तन्वी मूलतः उत्तराखंड की निवासी हैं। बीई इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक तथा एलएलबी शिक्षित तन्वी तब मीडिया की सुर्खी में आयी थीं, जब उन्होंने अपनी दो साल की बिटिया पंखुड़ी को खंडवा शहर की एक सरकारी आंगनबाड़ी में दाखिल कराया था।
अपने सरकारी घर से दो किलोमीटर दूर स्थित आंगनबाड़ी में ग़रीब और सामान्य बच्चों के साथ बिटिया को दाखिल करने पर तन्वी की खूब प्रशंसा हुई थी। दरअसल, अक्सर यह सवाल उठता है कि सरकारी स्कूल, अस्पताल और अन्य शासकीय संस्थानों में नेता-अफ़सर अपने बच्चों को नहीं भेजते हैं, इसी वजह से वहाँ की हालत खस्ता होती है।