+
RBI ने ब्याज दरें नहीं बढ़ाईं, महंगाई पर शिकंजा, लेकिन मंजिल दूर

RBI ने ब्याज दरें नहीं बढ़ाईं, महंगाई पर शिकंजा, लेकिन मंजिल दूर

रिजर्व बैंक ने आज मौद्रिक नीति जारी कर दी है। उसने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। महंगाई में मामूली सुधार को देखते हुए आरबीआई ने लेंडिंग रेट नहीं बढ़ाया है। 

भारतीय रिजर्व बैंक ने आज प्रमुख उधारी दर को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा यानी कोई बदलाव नहीं किया। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आमराय से रेपो रेट को नहीं बदलने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि महंगाई को काबू करने के लिए समिति तुरंत और उचित रूप से नीतिगत कार्रवाई करना जारी रखेगी। लेंडिंग रेट उसे कहते हैं जिस दर भारतीय रिजर्व बैंक सभी बैंकों को पैसा उधार देते हैं। बैंकों को अगर आरबीआई से महंगी दर पर पैसा मिलता है तो वो आगे उस बढ़ी दर को उपभोक्ता से विभिन्न मदों में वसूलते हैं। रेपो रेट बढ़ने का सीधा असर होम लोन, कार लोन समेत अन्य तरह के लोन पर पड़ता है।

पूरे वर्ष के दौरान महंगाई दर 4 प्रतिशत से ऊपर रहने की उम्मीद है। पिछले डेढ़ साल में महंगाई अपने सबसे निचले स्तर पर है।


-शशिकांत दास, आरबीआई गवर्नर, 8 जून 2023 सोर्सः मीडिया प्रेस कॉन्फ्रेंस

उन्होंने कहा, "अभूतपूर्व विपरीत ग्लोबलहालात के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र मजबूत और लचीला बना हुआ है।" उन्होंने कहा कि महंगाई अभी भी चुनौती है। इस पर काबू पाने की कोशिश जारी है। यहां यह बताना जरूरी है कि खुदरा महंगाई दर अभी भी रिजर्व बैंक की तय सीमा से ऊपर है और आने वाले समय में इससे बहुत ज्यादा राहत मिलने की उम्मीद नहीं करना चाहिए। 

आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि सप्लाई में सुधार होने और मौद्रिक नीति को सख्त करने की वजह से महंगाई पर काफी हद तक अंकुश लगा है। लेकिन अभी भी यह तय सीमा में नहीं है। हम बेहतर मानसून की उम्मीद कर रहे हैं। तब इसमें और भी कमी आ सकती है। मुद्रीस्फीति के लक्ष्य को 2023-24 के लिए 5.2 फीसदी से घटाकर 5.1 फीसदी किया गया है। 

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ने 2022-23 में 7.2% की वृद्धि दर्ज की, जो पहले के 7% के अनुमान से ज्यादा मजबूत है। कोरोना महामारी के स्तर को 10.1% से पार कर गया है। सभी फैक्टरों को ध्यान में रखते हुए, वर्ष 2023-24 के लिए वास्तविक जीडीपी की वृद्धि 6.5% अनुमानित है।

दास ने कहा कि मई के तीसरे सप्ताह से, प्रचलन में मुद्रा में गिरावट और सरकार के खर्च में बढ़ोतरी ने सिस्टम की लिक्विडिटी का विस्तार किया है। आरबीआई के बाजार संचालन और बैंकों में 2000 रुपये के बैंक नोट जमा करने के कारण इसमें और वृद्धि हुई है।

जेब पर बोझ नहीं

आरबीआई ब्याज दर बढ़ाने का सीधा असर उपभोक्ता या आम लोगों की जेब पर पड़ता है, क्योंकि तमाम बैंक आरबीआई से पैसा उधार लेकर लोन देते हैं। इस तरह ईएमआई बढ़ने का जो खतरा था, इस बार फिलहाल टल गया है। जिन ग्राहकों ने बैंकों से फ्लोटिंग रेट पर लोन ले रखा होगा, उन्हें इससे फायदा होगा। दूसरी तरफ अगर आप अपने निवेश पर ज्यादा ब्याज की उम्मीद कर रहे थे तो उसे छोड़ दें। क्योंकि बैंक अब जमा पर भी ज्यादा ब्याज नहीं देंगे। पहले वाली स्थिति बरकरार रहेगी।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें